बिजली के निजीकरण के विरोध होगा सामूहिक जेल भरो आंदोलन

राष्ट्रव्यापी हड़ताल के बाद, जेल भरो आंदोलन की शुरुआत होगी

लखनऊ : पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगमों के निजीकरण के विरोध में आंदोलनरत बिजली कर्मियों ने रविवार को महापंचायत बुलाकर आंदोलन की रणनीति तय की। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संर्घष समिति द्वारा बुलाई गई महापंचायत में यह भी एलान किया कि निजीकरण का टेंडर जारी होते हुए प्रदेश भर में बिजली कर्मियों का जेल भरो आंदोलन शुरू कर दिया जाएगा। यह भी तय किया गया है कि 9 जुलाई को देशभर के 27 लाख बिजली कर्मी एक दिन की राष्ट्रव्यापी सांकेतिक हड़ताल भी करेंगे। हड़ताल की तैयारी में 02 जुलाई को देश भर में व्यापक विरोध किया जायेगा।

राजधानी के आशियाना स्थित डॉ राम मनोहर लोहिया लॉ कॉलेज के प्रेक्षागृह में आयोजित महापंचायत में देशभर के निजीकरण विरोध करने वाले संगठनों के नेता शामिल हुए। इसमें यह भी चेतावनी दी गई है कि इसके बाद भी प्रबंधन ने फैसला नहीं बदला और टेंडर प्रक्रिया शुरू की तो जेल भरो आंदोलन की शुरुआत की जाएगी। इसमें बिजली कर्मचारी के साथ ही रेल कर्मचारी, सरकारी कर्मचारी, किसान और उपभोक्ता भी शामिल होंगे।

महापंचायत में प्रस्ताव पारित कर बताया गया कि उड़ीसा, भिवंडी, औरंगाबाद, जलगांव, नागपुर, मुजफ्फरपुर, गया, ग्रेटर नोएडा और आगरा आदि स्थानों पर निजीकरण का प्रयोग पूरी तरह असफल रहा है। इस असफल प्रयोग को उत्तर प्रदेश के 42 जनपदों की बेहत गरीब जनता पर थोपा जा रहा है।

आगरा में निजीकरण के असफल प्रयोग से पॉवर कारपोरेशन को प्रति माह एक हजार करोड़ रूपये का नुकसान हो रहा है। टोरेंट पॉवर कम्पनी ने आगरा में पावर कारपोरेशन का 2200 करोड़ रूपये का बिजली राजस्व का बकाया हड़प लिया है और वापस नहीं किया है। अब निजी घरानों की नजर पूर्वांचल एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के 66 हजार करोड़ रूपये राजस्व बकाये पर है।

प्रस्ताव में कहा गया है कि इलेक्ट्रिसिटी एक्ट 2003 की धारा 131 के अनुसार सरकारी कम्पनी का निजीकरण करने के पहले उसकी परिसम्पत्तियों का सही मूल्यांकन और राजस्व पोटेंशियल का मूल्यांकन किया जाना जरूरी है।

संघर्ष समिति ने कहा कि 42 जनपदों की सारी जमीन मात्र 1 रूपये की लीज पर निजी घरानों को दी जा रही है। यह बड़ी लूट है। उप्र पॉवर ऑफिसर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष आरपी केन ने निजीकरण के विरोध में विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति को समर्थन देने का एलान करते हुए कहा कि निजीकरण किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि निजीकरण के जरिए बिजली उपभोक्ताओं को फिर से लालटेन युग में ले जाने की तैयारी है।

रेल कर्मचारियों के राष्ट्रीय नेता शिव गोपाल मिश्र ने कहा कि यदि उप्र में बिजली कर्मचारियों पर निजीकरण थोपा गया तो सारे देश के रेल कर्मचारी, बिजली कर्मचारियों के साथ प्रदेश की जेलों को भर देंगे। संयुक्त किसान मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ दर्शन पाल,

ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल इण्डिया के कार्यकारी निदेशक रमानाथ झा, नेशनल कोऑर्डिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी इम्प्लॉइज एण्ड इंजीनियर्स के संयोजक सुदीप दत्त, ऑल इण्डिया पॉवर डिप्लोमा इंजीनियर्स फेडरेशन के अध्यक्ष आर के त्रिवेदी, ऑल इण्डिया पॉवर इंजीनियर्स फेडरेशन के एके जैन आदि ने संबोधित किया। इसके अतिरिक्त राष्ट्रीय ट्रेड यूनियनों, बैंक कर्मचारियों, राज्य कर्मचारियों, शिक्षकों के प्रतिनिधियों ने महापंचायत को सम्बोधित किया।

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