सुप्रीम कोर्ट में घिरी दिल्ली ‘आप सरकार’ -‘दिल्ली जल बोर्ड को 28,400 करोड़ रुपये मिले
जल बोर्ड 28,400 करोड़ रुपये की कोई जवाबदेही नहीं चाहता

नई दिल्ली: दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) का फंड रिलीज ना करने के दिल्ली सरकार के आरोपों पर दिल्ली के वित्त विभाग ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया गया है। इसमें कहा गया है कि 2016 से अब तक दिल्ली जल बोर्ड को 28,400 करोड़ रुपये फंड दिया गया, लेकिन बोर्ड कोई जवाबदेही नहीं चाहता।
दिल्ली जल बोर्ड में कोई जवाबदेही नहीं
वित्त विभाग के सचिव ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देते हुए कहा कि 2016 से अब तक दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) को 28,400 करोड़ रुपये दिए गए हैं। इसके बदले में डीजेबी की तरफ से कोई जवाबदेही नहीं दी गई। वित्त सचिव ने कहा कि जब बोर्ड ने शर्तों के हिसाब से फंड का इस्तेमाल भी नहीं किया। इससे पहले दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर 300 करोड़ के बकाए की मांग की थी। वित्त सचिव ने कहा कि पानी और सीवेज के लिए घरेलू टैरिफ और सर्विस चार्ज में बढ़ोतरी न होने से डीजेबी को हर साल 1200 करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान हो रहा है।
दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने एक अप्रैल को वित्त सचिव को उस याचिका पर नोटिस जारी किया था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि विधानसभा द्वारा बजट की मंजूरी के बाद भी अधिकारियों ने दिल्ली जल बोर्ड को फंड जारी नहीं किया। दिल्ली सरकार की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी ने पिछली सुनवाई में कहा था कि सरकार के आदेश का पालन नौकरशाहों द्वारा नहीं किया जा रहा।
एक साल में बढ़े तीन लाख बकाएदार
वित्त सचिव ने अपने हलफनामे में बताया कि 2023 में बकाएदारों की संख्या 11 लाख थी, जो अब बढ़कर 14 लाख हो गई है। यानी एक साल के भीतर तीन लाख बकाएदार और बढ़ गए हैं। हलफनामे में इसकी वजह भी बताई गई। वित्त सचिव ने बताया कि बकाएदारों को लगता है कि दिल्ली सरकार उनके बिल माफ कर देगी। ऐसे में दिल्ली जल बोर्ड पर कर्ज लगातार बढ़ता जा रहा है और उस पर लगने वाला ब्याज 73000 करोड़ के पार चला गया है। डीजेबी द्वारा दिल्ली सरकार को बताया गया है कि वह इतना सक्षम नहीं है कि इस कर्ज को चुकाया जाए।
दिल्ली सरकार ने लगाए हैं ये आरोप
दिल्ली सरकार के हलफनामे में कहा गया है कि 2003-04 से 2022-23 के बीच दिए गए फंड को लेकर दिल्ली जल बोर्ड का ऑडिट किया था। इसमें आरोप लगाया गया कि जिस राशि को एक योजना में लगाया जाना था, उसे अन्य योजनाओं में खर्च किया गया।
सरकार और नौकरशाहों के बीच चल रहे इस गतिरोध के बीच दिल्ली सरकार ने 20 मार्च को सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। कोर्ट द्वारा दिल्ली सरकार की याचिका पर अगली सुनवाई 10 अप्रैल को तय की गई है।