पंबन जैसे अत्याधुनिक पुल निर्माण का इंजीनियरों को प्रशिक्षण!

सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय 7 जुलाई से प्रशिक्षण देगा

नोएडा (दिल्ली-एनसीआर) : शहर में अब पंबन ब्रिज जैसी अत्याधुनिक तकनीक से पुल निर्माण की विधि सीखने का मौका मिलेगा। भारतीय राजमार्ग अभियंता अकादमी (आईएएचई) एक विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू करने जा रहा है। इसका नाम केबल स्टेड और एक्स्ट्रा डोज्ड ब्रिज का डिज़ाइन रहेगा, जिसे जुलाई में आयोजित करने की तैयारी है। यह प्रशिक्षण शहर में पूरे देश के इंजीनियरों को अत्याधुनिक आयाम देगा। देश में पंबन ब्रिज की तरह ही अन्य सतही इलाकों में ब्रिज तैयार करने के लिए इंजीनियर मिल सकेंगे।

भारत सरकार के सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के अधीन भारतीय राजमार्ग अभियंता अकादमी (आईएएचई) अब पंबन जैसे अत्याधुनिक पुल के निर्माण का इंजीनियरों को प्रशिक्षण देगा। यह प्रशिक्षण 7 जुलाई से शुरू होगा जो कि लगातार 5 दिनों तक चलेगा। इसके बाद उन्हें सर्टिफिकेट भी वितरित किए जाएंगे। इनमें एक बैच में अधिकतम 30 इंजीनियर शामिल हो सकेंगे। अकादमी के निदेशक संजीव कुमार ने बताया कि देश में हाल ही में पहली बार ऐसा पुल देखा, जो कि पूरी तरह से अत्याधुनिक है और अपनी गुणवत्ता व तकनीक के लिए प्रसिद्ध भी हुआ।

तमिलनाडु को रामेश्वरम जोड़ने वाले अत्याधुनिक पंबन ब्रिज का उद्धाटन हाल ही में पीएम मोदी ने किया था। यह ब्रिज इस तरह से डिजाइन किया गया है कि यदि समुद्र से कोई जहाज गुजर रहा है, तब पुल का कुछ हिस्सा दो भागों में विभाजित हो जाएगा और एक हिस्सा केबिल से कुछ मीटर तक अपनी सतह से ऊपर उठ जाएगा। इस तरह का पुल अब तक विदेशों में ही देखने को मिलता था, लेकिन पहली बार देश में इसका निर्माण हुआ। इसी तरह के ही भारत के अलग अलग हिस्सों में इस तरह के पुल तैयार किए जा सकें, इसके लिए उन्हें गुणवत्तापूर्ण अत्याधुनिक तकनीक का प्रशिक्षण इंजीनियरों को दिया जाएगा।

समुद्रों, नदियों समेत गहरे घाटियों पर फायदेमंद हैं ये ब्रिज
खासकर समुद्रों, नदियों और गहरे घाटियों पर बनाए जाने वाले पुलों में अब केबल स्टे और एक्स्ट्रा डोज्ड डिज़ाइन पंबन ब्रिज जैसे प्रोजेक्ट, जो अपनी इंजीनियरिंग जटिलता और सौंदर्यशास्त्र के लिए प्रसिद्ध हैं, अब भविष्य के मॉडल बन रहे हैं। वहीं इस प्रशिक्षण सत्र के दौरान केबल स्टे ब्रिज और एक्स्ट्रा डोज्ड ब्रिज के डिज़ाइन, संरचना, निर्माण विधियों और नवीनतम तकनीकी दृष्टिकोण पर केंद्रित रहेगा। जहां इंजीनियरों को यह समझने का अवसर मिलेगा कि इन आधुनिक ब्रिजों का निर्माण कैसे किया जाता है, किन विशेष तकनीकों का उपयोग होता है, और कैसे इन संरचनाओं को लंबे समय तक सुरक्षित और टिकाऊ रखा जा सकता है।

कौन ले सकेंगे प्रशिक्षण
यह कोर्स मुख्यत: शहर समेत पूरे देश के सिविल इंजीनियरों के लिए है। इनमें बुनियादी ढांचा विकास एजेंसियों, सड़क एवं परिवहन विभाग के अधिकारियों, राज्य और केंद्र सरकार के इंजीनियरिंग अधिकारियों, निजी क्षेत्र के डिजाइन सलाहकारों, तथा इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनियों के तकनीकी कर्मचारियों को शामिल किया जा सकता है। जिन्हें विशेष रूप से नई तकनीक से तैयार होने इन ब्रिज को तैयार करने की बारीकियां सिखाई जाएंगी। इसके लिए उन्हें भारतीय राजमार्ग अभियंता अकादमी की अधिकारिक वेबसाइट पर जाकर पंजीकरण कराना होगा।

यह प्रशिक्षण इंजीनियरों की तकनीकी विशेषज्ञता बढ़ाएगा, जिससे देश को आत्मनिर्भर भारत की दिशा में मजबूत बुनियादी ढांचे के विकास के लिए तैयार करेगा।-संजीव कुमार, निदेशक, भारतीय राजमार्ग अभियंता अकादमी, भारत सरकार

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