पराली जलाने वाले किसानों को नहीं मिलेगी MSP!
पराली जलाने वाले किसान का जमीन का रिकॉर्ड चेक किया जाएगा

नई दिल्ली: पराली जलाने से होने वाले प्रदूषण को देखते हुए केंद्र सरकार अहम कदम उठाने जा रही है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पराली जलाने वाले किसानों को अब एमएसपी नहीं मिलेगी। केंद्र सरकार ने राज्यों को ऐसे किसानों पर कार्रवाई करने के लिए कहा है। नई व्यवस्था इसी साल से लागू हो सकती है।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, हाल ही में केंद्र सरकार ने दिल्ली, पंजाब, राजस्थान और हरियाणा के राज्य सरकारों से कहा कि जो भी किसान पराली जला रहे हैं, उन्हें एमएसपी का लाभ नहीं दिया जाए। साथ ही, ऐसे किसानों पर सख्त कार्रवाई की जाए। केंद्र सरकार ने इन राज्यों से यह भी कहा है कि इसरो की मदद इसमें ली जाए। इससे यह पहचान हो सके कि किस खेत में किसान पराली जला रहे हैं। इसके बाद जमीन का रिकॉर्ड चेक कर पराली जलाने की घटना उस किसान के नाम दर्ज कर ली जाएगी।
इस मामले में खाद्य मंत्रालय को भी एक मैकेनिज्म तैयार करने के लिए कहा गया है। इसमें पहले पराली जलाने वाले किसान का पहले जमीन का रिकॉर्ड चेक किया जाएगा। इसके बाद उस किसान को एमएसपी का लाभ देना है या नहीं ये तय किया जाएगा। सरकार का मानना है कि इस तरह इस फैसले से दिल्ली-एनसीआर समेत आसपास के क्षेत्रों में प्रदूषण कम होगा। साथ ही पराली जलाने वाली घटना कम होगी।
सरकार लगातार ये भी कोशिश कर रही है कि किसानों से पराली खरीद ली जाए। ताकि उन्हें जलाने का मौका मिले। सरकार एक इंटेंसिव स्कीम भी ऐसे किसानों के लिए ला सकती है। अगर वे अपनी पराली सरकार को देते है, तो उन्हें ज्यादा इंटेंसिव दिया जाएगा।
दरअसल, अक्तूबर से लेकर दिसंबर तक दिल्ली-एनसीआर में बहुत ज्यादा प्रदूषण हो जाता है। इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट में भी याचिका दायर की गई थी। इस पर एक कमेटी बनाई गई थी। इसी कमेटी ने सुझाव दिया था कि जो किसान पराली जलाते हैं, उन्हें एमएसपी का फायदा नहीं दिया जाए। अब केंद्र सरकार इसी पर अमल करने की तैयारी कर रही है।
संयुक्त किसान मोर्चा के नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल अमर उजाला से कहते हैं कि पराली जलाना किसानों का कोई शौक नहीं है। यह उनकी मजबूरी है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने आदेश दिया था कि किसानों की पराली काटने के लिए सरकार उन्हें फ्री में मशीन उपलब्ध करवाए। लेकिन आज तक तक सरकार ने किसानों को कोई सुविधा उपलब्ध नहीं करवाई है।
सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब, हरियाणा और यूपी की सरकारों से कहा था कि किसान को धान के इंसेंटिव के रूप में 100 रुपये प्रति क्विंटल बोनस के रूप में दे। लेकिन आज तक केंद्र सरकार और इन राज्यों की सरकारों ने इसे नहीं माना। अब ऐसे फैसले लेकर सरकार किसानों के ऊपर दबाव बना रही है। ये फैसला गलत है इस पर किसानों का पक्ष भी सुना जानी चाहिए।