विदेश मंत्री जयशंकर ने बताया ‘बदली भू राजनीति में विदेश नीति का महत्व’
कहा- दुनिया में आने वाला समय बहुत कठिन होने की उम्मीद

नई दिल्ली : विदेश मंत्री एस जयशंकर ने दुनिया में बदलती भू-राजनीति के कारण भारत की विदेश नीति में किसी भी संभावित बदलाव को लेकर अपनी बात कही। विदेश मंत्री जयशंकर ने सोमवार को एक कार्यक्रम में कहा कि हम सभी को यह मानकर चलना चाहिए कि आने वाले साल बहुत कठिन होंगे।
उन्होंने कहा किसी को उम्मीद नहीं थी कि यूक्रेन में युद्ध होगा… अब हम यूक्रेन के साथ युद्ध के तीसरे वर्ष में हैं जिसका कोई अंत नहीं दिख रहा है… किसी ने भी अक्टूबर में इज़राइल पर इस तरह के हमले की उम्मीद नहीं की थी या जब इजराइल ने जवाब दिया तो यह इतने लंबे समय तक चलेगा… छह महीने से अधिक समय हो चुका है.
तो स्विच बंद करना मुश्किल होता है
विदेश मंत्री ने कहा कि ये (युद्ध) ऐसा है कि एक बार जब आप स्विच चालू करते हैं तो इसे बंद करना बहुत मुश्किल होता है। उन्होंने कहा कि भारत को अपने लिए और दुनिया के लिए शांति की आवश्यकता है। जयशंकर ने कहा कि भारत की कूटनीति के लिए पहली बात इंडिया फर्स्ट है।
उन्होंने कहा कि हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि भारत सुरक्षित है, शांति रहे। इसके साथ ही हमारे देश के खिलाफ आतंकवादी हमले नहीं किए जाएं… अगर हैं तो हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हमले को अंजाम देने वालों के लिए कड़ी सजा हो। उन्होंने कहा कि दुनिया में शांति हो, अगर दुनिया में नहीं तो कम से कम हमारे लिए तो शांति हो। उन्होंने कहा कि हमें ग्रोथ और प्रोग्रेस की जरूरत है।
कैसी विदेश नीति की है जरूरत
एक कार्यक्रम में विदेश मंत्री ने कहा कि आप लोग बहुत सौभाग्यशाली हैं कि पिछले 25 साल में हमने अपने देश में कोई युद्ध नहीं देखा है। उन्होंने कहा कि जब मैं आप लोगों की उम्र में था तो मैंने 1965 का युद्ध, 1971 का युद्ध और श्रीलंका में भारत का हस्तक्षेप और करगिल का युद्ध देखा है। उन्होंने इन युद्ध के दौरान अपनी उस दौरान की उम्र का जिक्र किया।
उन्होंने कहा कि हम किसी भी देश के लिए शांति और समृद्धि की चाह रख सकते हैं। इसके लिए जरूरी है कि देश की एक अपनी विदेश नीति हो जो यह शांति सुनिश्चित करे। सीमाओं को सुरक्षित करे। साथ ही इतनी मजबूत हो की अन्य देश का विरोध कर सके। इसके साथ ही अपनी कूटनीति का प्रयोग कर सके। विदेश मंत्री ने कहा कि हमने रूस-यूक्रेन के युद्ध में अपनी तरफ से कुछ करने का प्रयास किया। हमने इजरायल और ईरान के की बीच चीजें मुश्किल हो गईं तो हमने दोनों देशों से बात की।