साइबर फ्रॉड पर गृह मंत्रालय ने बढ़ा दी सख्ती
फोन या फिर वीडियो कॉल से रहें सावधान!

नई दिल्ली: साइबर फ्रॉड कोई नया नहीं है, अकसर ऐसे मामले सामने आते रहते हैं। ना जाने कितने ही लोग रोजाना अलग-अलग तरीकों से इनका शिकार बन बैठते हैं। गृह मंत्रालय ने अब ऐसे मामलों में सख्ती बढ़ा दी है। खास तौर पर साइबर क्रिमिनल्स को टारगेट करने के लिए अलर्ट जारी किया गया है। उन्होंने ऐसे साइबर क्रिमिनल्स को लेकर लोगों को चेताया है जो खुद को पुलिस अधिकारी बताकर फर्जीवाड़े को अंजाम देते हैं।
मंत्रालय ने कहा कि यह सीमा पार क्राइम सिंडिकेट की ओर से चलाया जा रहा संगठित ऑनलाइन आर्थिक अपराध है। देशभर में कई पीड़ितों ने ऐसे अपराधियों के कारण बड़ी मात्रा में अपने पैसे खोने की शिकायत दर्ज कराई है। गृह मंत्रालय ने ऐसे किसी भी फोन कॉल या फिर ऑनलाइन फ्रॉड से लोगों को बचाने के लिए जरूरी दिशा-निर्देश भी दिए हैं।
ऐसे फोन या फिर वीडियो कॉल से रहें सावधान!
गृह मंत्रालय ने बताया कि ऐसे साइबर अपराधी कई बार पुलिस अफसर बनकर या फिर केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई), नारकोटिक्स विभाग, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई), प्रवर्तन निदेशालय और अन्य एजेंसियों से खुद जोड़कर लोगों को धमकाते हैं। उन्हें अलग-अलग वजहों के जरिए टारगेट करके ब्लैकमेल या फिर जबरन वसूली की कोशिश करते हैं। इस तरह के साइबर क्रिमिनल्स के खिलाफ राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल (एनसीआरपी) पर बड़ी संख्या में शिकायतें दर्ज की जा रही हैं। मंत्रालय ने फर्जीवाड़ा करने वाले इन अपराधियों के काम करने के तरीके को लेकर विस्तार से जानकारी दी। साथ ही ऐसे किसी भी कॉल से सावधान रहने की भी सलाह दी है।
गृह मंत्रालय ने बताया कैसे काम करते हैं साइबर क्रिमिनल्स
गृह मंत्रालय ने बताया कैसे काम करते हैं साइबर क्रिमिनल्स
मंत्रालय ने दावा किया कि ऐसे अपराधी आम तौर पर संभावित पीड़ित को कॉल करते हैं और उन्हें बताते हैं कि उसने पार्सल भेजा है। इस पार्सल में अवैध सामान, ड्रग्स, नकली पासपोर्ट या कोई अन्य प्रतिबंधित वस्तु है। कभी-कभी, वे यह भी सूचित करते हैं कि पीड़ित शख्स का कोई करीबी या फिर कोई प्रिय व्यक्ति किसी अपराध या दुर्घटना में शामिल पाया गया है और उनकी हिरासत में है। फिर धोखेबाज शख्स ‘मामले’ को निपटाने के लिए पैसे की मांग करता है।
ऐसे अपराधियों संग ‘क्रिमिनल अरेस्ट’ से बचें
ऐसे अपराधियों संग क्रिमिनल अरेस्ट से बचें
गृह मंत्रालय ने बताया कि कुछ मामलों में, इन बातों से बेखबर पीड़ित लोग इन साइबर क्रिमिनल्स के साथ ‘डिजिटल अरेस्ट’ से भी गुजरना पड़ता है। जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं हो जातीं, तब तक वे स्काइप या अन्य वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग प्लेटफॉर्म पर धोखेबाजों के साथ ऑनलाइन जोड़ लेते हैं। ऐसे किसी भी ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से जुड़ने को लेकर भी मंत्रालय ने चेतावनी दी है। उन्होंने स्पष्ट कहा कि साइबर फ्रॉड से बचने के लिए ऐसे अपराधियों से सीधे संपर्क से बचना चाहिए।
साइबर क्रिमिनल्स के खिलाफ यहां करें शिकायत
गृह मंत्रालय ने बताया कि ऐसे फर्जीवाड़ा करने वाला गैंग लोगों को अपने जाल में फंसाने के लिए पुलिस स्टेशन या फिर सरकारी ऑफिस जैसा सीन क्रिएट करता है। इसके लिए स्टूडियो का उपयोग भी करते हैं। यही नहीं असली दिखने के लिए वो वर्दी भी पहने नजर आते हैं। ऐसा किसी भी हालात से कोई प्रभावित होता है तो उसे तुरंत ही इस संबंध में शिकायत दर्ज करानी चाहिए।
ऐसी कॉल आने पर नागरिकों को तत्काल साइबरक्राइम हेल्पलाइन नंबर 1930 या www.cybercrime.gov.in पर सहायता के लिए इसे रिपोर्ट करना चाहिए।
साइबर क्रिमिनल्स कैसे करते हैं काम जानिए
– ऐसे अपराधी अकसर फर्जी पुलिस अधिकारी या फिर दूसरे विभागों के अफसर बनकर फोन कॉल के जरिए लोगों से संपर्क करते हैं। वो फोन पर कहते है कि उन्हें अवैध सामान, ड्रग्स, नकली पासपोर्ट या प्रतिबंधित सामान भेजा गया है।
– ऐसे क्रिमिनल्स कई बार आपके किसी करीबी को पकड़ने या फिर हिरासत में लेने की भी बात कहकर फंसाने की कोशिश करते हैं। वो आपके करीबी को छोड़ने के लिए और केस को निपटाने की एवज में पैसे की डिमांड करते हैं।
– कई बार ऐसे साइबर क्रिमिनल वीडियो कॉल के जरिए पीड़ितों को ‘डिजिटली अरेस्ट’ की भी कोशिश करते हैं। इसमें वो बाकायदा वर्दी में अधिकारी के तौर पर नजर आएंगे और अपनी डिमांड आपके सामने रखेंगे।
– गृह मंत्रालय ने लोगों को ऐसे किसी भी फ्रॉड करने वाले गैंग से बचकर रहने की सलाह दी है। उन्होंने ये भी कहा कि कभी किसी पुलिस अधिकारी या दूसरे अफसर बनकर कॉल किए जाने पर तुरंत उनकी बातों को सही नहीं मानना चाहिए। ऐसे केस में मंत्रालय के तहत भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र है, जिससे संपर्क करके फ्रॉड से बचा जा सकता है।