भोजशाला सरस्वती मंदिर के एएसआई सर्वे पर हाईकोर्ट इंदौर का आदेश
अब 121 साल बाद शुरू हुआ भोजशाला परिसर सर्वे

इंदौरः मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ के आदेश के बाद धार में भोजशाला का एएसआई (भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण) सर्वेक्षण 22 मार्च 2024 से शुरू हो गया है. ताकि यह सामने आ सके कि भोजशाला परिसर में किस तरह के प्रतीक चिन्ह, वास्तु शैली है.
इस मामले को लेकर मौलाना कमालुद्दीन वेलफेयर सोसाइटी मध्य प्रदेश ने उच्च न्यायालय की इंदौर खंडपीठ के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. आइए जानते हैं कि भोजशाला का इतिहास क्या है और इस पर क्घ्यों विवाद चल रहा है।
भोजशाला का वैभवशाली इतिहास
मध्य प्रदेश के धार शहर में हजारों साल पहले राजा भोज का शासन था. राजा भोज परमार वंश के सबसे महान राजा थे और विद्या की देवी सरस्घ्वती के उपासक थे. राजा भोज से साल 1034 में एक महाविद्यालय की स्थापना की, जिसे बाद में भोजशाला के नाम से जाना गया. इस महाविद्यालय में पढ़ने के लिए दूर-दूर से छात्र आते थे. राजा भोज ने इस कॉलेज में देवी सरस्वती का भव्घ्य मंदिर भी बनवाया था.
कहा जाता है कि बाद में मुसलमानों ने इस मंदिर में मौलाना कमालुद्दीन की मजार बना दी थी. जबकि आज भी भोजशाला में देवी-देवताओं के चित्र मौजूद हैं और संस्कृत में श्लोक लिखे हुए हैं. इतना ही नहीं 18वीं शताब्दी में की गई खोदाई में देवी सरस्वती की प्रतिमा भी निकली थी, जिसे अंग्रेज लंदन ले गए. यह प्रतिमा आज भी लंदन के संग्रहालय में है और हाईकोर्ट में दाखिल याचिका में इस प्रतिमा को वापस लेने की भी मांग की गई है।
होली के दिन भी धार की भोजशाला में एएसआई (ASI) सर्वे जारी
इस बीच मुस्लिम पक्ष की बड़ी डिमांड, जानिए
धार भोजशाला परिसर के सर्वे का आज चैथा दिन है. होली के दिन भी ASI सर्वे जारी है. इस बीच मुस्लिम पक्ष ने बड़ी मांग रखी है.
धार स्थित भोजशाला का भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) सर्वे का आज सोमवार को चैथा दिन है. आज पूरे देश में होली का त्योहार मनाया जा रहा है लेकिन धुलेड़ी होने के बावजूद भी परिसर में सर्वेक्षण चल रहा हैं. एएसआई के दिल्ली व भोपाल के आला अधिकारी सुबह 8 बजे भोजशाला में प्रवेश कर चुके हैं, वहीं हिन्दू पक्ष के गोपाल शर्मा और मुस्लिम पक्ष के अब्दुल समद खान भोजशाला पहुंचे हैं.
वहीं, कमाल मौला मस्जिद वेलफेयर सोसाइटी के अध्यक्ष अब्दुल समद ने शनिवार को ई-मेल के माध्यम से एएसआई को अपनी कुछ आपत्तियां सौंपी हैं.
मुस्लिम पक्षकार ने उठाई आपत्ति
भोजशाला में ASI की टीम चैथे दिन का सर्वे कर रही है तो वहीं मुस्लिम पक्षकार अब्दुल समद (अध्यक्ष कमाल मौलाना वेलफेयर सोसाइटी धार) ने आरोप लगाया कि सर्वे टीम में एक ही कम्युनिटी के लोग है. इंदौर हाई कोर्ट का आदेश है कि सर्वे टीम में दोनों कम्युनिटी के लोग होना चाहिए लेकिन सर्वे टीम में एक ही कम्युनिटी के लोग हैं. इससे सर्वे निष्पक्ष नहीं रहेगा. हम इसकी मांग करते हैं कि सर्वे की टीम में दोनों समुदाय के लोग हो।
आधुनिक मशीन लेकर पहुंची टीम
जानकारी मिल रही है कि ASI की टीम तीसरे दिन भोजशाला परिसर में सर्वे के लिए आधुनिक मशीन लेकर अंदर गई है. इससे माना जा रहा है कि धीरे-धीरे खुदाई कर बारीकी से इस सर्वे को किया जा रहा है. इसके अलावा कई महत्वपूर्ण तथ्य सामने लाने के लिए अब कुछ अन्य स्थान पर भी रडार से सर्वे किया जाएगा.
6 सप्ताह के भीतर जांच होगी पूरी
वहीं मध्यप्रदेश हाई कोर्ट की इंदौर बैंच ने 11 मार्च को ।ैप् को 6 सप्ताह के भीतर भोजशाला परिसर का ज्ञानिक सर्वेक्षणश् करने का निर्देश दिया था. यह मध्यकालीन युग का स्मारक है जिसके बारे में माना जाता है कि यह वाग्देवी (सरस्वती) का मंदिर है. वहीं, मुस्लिम समुदाय इसे कमाल मौला मस्जिद कहता है.