कुवैत की अल जबर को मिला पद्म श्री अवॉर्ड
जानें कौन हैं वो और क्या है योगदान?

नई दिल्ली : कुवैत की योग सिखाने वाली शेखा शेखा अली अल-जबर अल-सबा को भारत सरकार ने पद्म श्री अवॉर्ड से सम्मानित किया गया है. उन्होंने सोमवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने पद्म श्री अपॉर्ड से सम्मानित किया है. यह अवॉर्ड उन्हें उनके योग के क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर किए गए सकारात्मक कामों के लिए दिया गया है. यह पहली बार है कि किसी कुवैती नागरिक को भारत का हाईएस्ट सिविलियन अवॉर्ड दिया गया है. 8 विदेशी नागरिकों को भारत ने इस साल सम्मानित किया है जिनमें से वह एक हैं. चलिए जानते हैं आखिर शेखा अली जबर अल सबा आखिर हैं कौन?
राष्ट्रपति भवन की ओर से एक्स सोशल मीडिया पर एक पोस्ट किया गया जिसमें कहा गया कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने योग के क्षेत्र में शेखा अली जबर अल सबा को पद्म श्री अवॉर्ड दिया गया है. वह एक योगा प्रैक्टिशनल हैं और ‘दरात्मा फॉर योगा एजुकेशन’ की फाउंडर भी हैं. उन्होंने कुवैत का पहले लाइसेंसी योगा स्टूडियो ओपन किया है. वह पारंपरिक दूरियों को खत्म करने की दिशा में बड़ा योगदान दे रही हैं. वह दो परंपरा वाले लोगों को चैरिटेबल एक्टिविटीज के जरिए करीब ला रही हैं.
कौन हैं शेखा अली जबर अल सबा?
शेखा अली जबर अल सबा कई सालों से एक मेडिटेटर और योगा प्रैक्टिशनर हैं. वह ‘दरात्मा फॉर योगा एजुकेशन’ की फाउंडर हैं. उन्होंने अपनी सरकार से योगा एजुकेशन का लाइसेंस लिया है. उनकी सरकार ने इसकी शुरुआत की और अब उनके देश में इसे कोई भी ले सकता है.
अल सबा ने योगा की जरनी 2001 में शुरू की थी. उन्होंने इसके बाद योगा स्टूडियो 2014 में ओपन किया था. दरात्मा नाम से उन्होंने स्टूडियो खोला और इस नाम के मतलब में ही उनका विजन साफ दिखाई देता है. दरात्मा दो शब्दों से मिलाकर बनाया गया शब्द है जिसमें पहला शब्द है दर, यह अरबी शब्द है जिसका मतलब है ‘घर’. वहीं इसका दूसरा शब्द है आत्मा यानी ‘कभी न मरने वाली सोल’ यह शब्द उन्होंने संस्कृत से लिया है.
अल सबा ने अपनी जिंदगी न सिर्फ योगा बल्कि मानवता के लिए समर्पित कर दी है. वह कल्चुरल डिवाइड्स को दूर कर दो मानव सभ्यताओं को एक साथ लाने का काम कर रही हैं. 2021 में उन्होंने फंड रेजिंग प्रोग्राम शुरू किया है जिसका नाम है योमनाक लिल यमन. वह यमन के रिफ्यूजी और विस्थापित लोगों की मदद करने के लिए यह फंड रेज कर रही हैं.