‘मशीनें करती हैं सही काम, सटीक आते हैं रिजल्ट’ : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत भूषण को फटकार लगाई

नई दिल्ली: इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) से वोटिंग और VVPAT पर्चियों से मिलान की मांग वाली याचिकाओं पर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान कोर्ट ने बैलट पेपरों से वोटिंग के दौरान होने वाली समस्याओं की ओर इशारा किया। साथ ही, बूथ कैप्चरिंग की घटनाओं को भी याद दिलाया। उन्होंने याचिकाकर्ता के वकील प्रशांत भूषण से कहा, हम अपनी जिंदगी के छठे दशक में हैं। हम सभी जानते हैं कि जब बैलट पेपर्स से मतदान होता था, तब क्या समस्याएं होती थीं। हो सकता है आपको पता नहीं हो, लेकिन हम भूले नहीं हैं। वीवीपैट पर्चियों के मिलान के जवाब में सुप्रीम कोर्ट ने कहा, हमें किसी पर भरोसा करने की जरूरत है, सिस्टम को इस तरह ध्वस्त करने की कोशिश न करें।

‘मशीनें करती हैं सही काम, सटीक आते हैं रिजल्ट’
प्रशांत भूषण ने कहा कि जर्मनी जैसे देशों में अब भी बैलट पेपर से मतदान होता है। इस पर बेंच ने कहा, उन देशों में जनसंख्या सिर्फ 5-6 करोड़ है। भारत में मतदाताओं की संख्या 98 करोड़ है। भूषण ने कहा कि VVPAT स्लिप की काउंटिंग में ज्यादा वक्त नहीं लगेगा और यह समांतर रूप से हो सकता है। इस पर कोर्ट ने कहा कि आमतौर पर मशीनें सही काम करती हैं और विशुद्ध रिजल्ट देती हैं, लेकिन मानवीय दखल परेशानी पैदा कर सकता है। इसमें पक्षपात की समस्या आती है।

प्रशांत भूषण ने दलील दी कि EVM और VVPAT का मैनिपुलेशन किया जा सकता है, क्योंकि दोनों का ही प्रोग्राम चिप से संचालित है, जिसमें द्वेषपूर्ण प्रोग्राम डाला जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया कि आखिर वह कैसी राहत चाहते हैं। तब भूषण ने तीन सुझाव दिए और कहा कि पहला- बैलट पेपर वाले सिस्टम पर लौटना चाहिए। दूसरा- वोटर को VVPAT स्लिप मिलनी चाहिए और जिसे बैलट बॉक्स में डिपॉजिट किया जाए और उसकी भी गिनती हो। तीसरा सभी VVPAT पर्चियों की गिनती हो और यह सब पारदर्शी तरीके से हो। अगर ईवीएम और वीवीपीएटी की गिनती में और मिलान में कोई अंतर पाया जाता हो तो फिर सिर्फ वीवीपीएटी की गिनती को मान्यता दी जाए।

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