बंगाल में CAA कार्ड से मतुआ समुदाय ने बढ़ाई ममता की टेंशन?

कोलकाताः: ममता बनर्जी बंगाल में घूम-घूम कर प्रचार कर रही हैं कि इंडिया ब्लॉक की सरकार बनने पर नागरिकता संशोधन कानून (सीसीए) को खत्म कर दिया जाएगा। लेकिन, बंगाल में जिन लोगों को इस कानून से लाभ मिलने की उम्मीद जगी है, वह तृणमूल की टेंशन बढ़ाने लगे हैं।

सीएए से बंगाल में सबसे ज्यादा फायदा मतुआ समुदाय को मिलने वाला है। अब मतुआ महासभा के प्रमुख और केंद्रीय मंत्री शांतनु ठाकुर ने कहा है कि मतुआ समाज के लोग सीएए के तहत नागरिकता के लिए आवेदन करेंगे, क्योंकि इसके नहीं होने से चार पीढ़ियों ने भुगता है।

मतुआ को पता है, सीएए जरूरी है- मतुआ महासभा के प्रमुख
ईटी को दिए एक इंटरव्यू में मतुआ नेता ने कहा, ‘वे इस कैंप से उस कैंप में भटकते रहे हैं और इस दौरान उन्होंने 75 साल गंवा दिए हैं। उन्हें पता है कि भविष्य की पीढ़ियों के लिए नागरिकता जरूरी है, सीएए जरूरी है और मतुआ को ये पता है, इसलिए वह जरा भी कंफ्यूजन में नहीं हैं।’

ठाकुर से सवाल ही यही किया गया था कि क्या पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री की ओर से लगातार नए कानून के लिए आवेन नहीं करने के लिए कहने से कहीं मतुआ लोगों में कोई असमंजस की स्थिति तो नहीं है। मतुआ नेता के मुताबिक कोई भी ताकत या मुख्यमंत्री का भाषण मतुआ समाज को सीएए के तहत नागरिकता के लिए आवेदन डालने में अड़ंगा नहीं लगा सकता।

बांग्लादेश से आए लोगों को आवेदन का बेसब्री से इंतजार
बंगाल के बनगांव लोकसभा सीट पर 20 मई को चुनाव होना है। यहां बांग्लादेश से कई पीढ़ियों पहले आए शरणार्थियों की एक बड़ी आबादी रहती है। सिर्फ मतुआ ही नहीं, इनमें दलित और आदिवासी समेत अन्य पिछड़ी जातियों की भी काफी तादाद है, जो बांग्लादेश से आकर यहीं बस गए हैं और सीएए का आवेदन डालने का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं।

सीएए लागू होने से भाजपा को मिल सकता है फायदा
बांग्लादेश के पबनापारा से दशकों पहले भारत आईं जुथिका सरकार कहती हैं, ‘हम सीएए के लिए अप्लाई करेंगे और दादा को वोट देंगे। वही जीतेंगे।’ वह भाजपा के बनगांव के सीटिंग सांसद शांतनु ठाकुर की ही बात कर रही हैं। वह फिर से यहां बीजेपी प्रत्याशी हैं। टीएमसी ने बिस्वजीत दास और कांग्रेस ने प्रदीप बिस्वास को उतारा है।

मनोरंजन सरकार नाम के एक व्यक्ति का कहना है, ‘हम अपने इलाके में बीजेपी की मदद करेंगे। हम सब बांग्लादेश के पबना के हैं और नागरिकता का इंतजार कर रहे हैं। हम चुनाव पूरे होने का इंतजार कर रहे हैं और इसके बाद आवेदन डालेंगे। हम सबके पास जाति प्रमाण पत्र है, लेकिन सीएए से हमें नागरिकता मिलेगी।’

मतुआ ही नहीं बनगांव में अनेकों दलित और पिछड़े हैं, जो चुनावों के बाद सीएए के लिए आवेदन करने के लिए बेसब्र हैं। इलाके में आदिवासियों की भी आबादी है और उनके लिए भी नागरिकता बहुत ज्यादा मायने रखती है। फुलबारी नहाटा के सुफल सरकार कहते हैं, ‘पिछले लोकसभा चुनाव में हमने बीजेपी उम्मीदवार को बढ़त दिलाई। लेकिन, बाद में 2021 के चुनावों के दौरान हमारे इलाके के लोगों को प्रताड़ित किया गया। अगर हम पंचायत पर नियंत्रण नहीं रखेंगे, असल में कुछ नहीं होगा।’

कुछ लोगों में सीएए को लेकर जरूर पैदा हुआ है कंफ्यूजन
हालांकि, बनगांव शहर के पास ही कई लोग हैं, जिन्हें सीएए को लेकर कोई आइडिया नहीं है। सुषोमा अधिकारी कहती हैं, ‘हम नहीं समझ रहे कि क्या सीएए से हमें फायदा मिलेगा। एक परिवार के रूप में हमने हमेशा सीपीएम का समर्थन किया है, लेकिन इस बार इसका कोई उम्मीदवार नहीं है। तृणमूल ने पक्का घर के लिए पैसे दिए, जो कि बन रहा है। लेकिन, वह हर घर से कट मनी लेते हैं।’

‘मतुआ को गुमराह’ करने की कोशिश कर रही हैं ममता- बीजेपी
भाजपा उम्मीदवार ने ममता बनर्जी पर ‘मतुआ को गुमराह’ करने की कोशिश का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा, ‘मैं लोगों को सुझाव दूंगा कि वह जो कहती हैं, उसे न मानें। सीएए उसके लिए है जो बांग्लादेश, अफगानिस्तान और अन्य देशों से आए हैं। अगर आपके पास वोटर कार्ड या आधार कार्ड है तो इसका मतलब ये नहीं है कि आप नागरिक हैं।’

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