मरीजों को अब उनके जिलों में ही आईसीयू की सुविधा
डॉक्टरों और नर्सिंग स्टाफ को भी प्रशिक्षित किया जा रहा

लखनऊ : प्रदेश में गंभीर रूप से बीमार मरीजों को उनके ही जिले में इंटेसिव केयर यूनिट (आईसीयू) की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। प्रदेशभर के 40 जिला अस्पतालों में आईसीयू को सक्रिय कर दिया गया है। प्रदेश के जिला अस्पतालों में आईसीयू की सुविधा का लगातार विस्तार किया जा रहा है। जिन अस्पतालों में आईसीयू वार्ड नहीं थे, वहा बनाया जा रहा है। अब तक करीब 40 जिलों में आईसीयू बनकर तैयार हो गया है। यहां मरीजों को भर्ती किया जा रहा है। इसके लिए डॉक्टरों के साथ ही नर्सिंग स्टाफ को भी अलग से प्रशिक्षण दिया गया है।
इस विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम का नेतृत्व महारानी लक्ष्मी बाई (एमएलबी) मेडिकल कॉलेज, झांसी के प्रोफेसर अंशुल जैन ने किया, जो क्रिटिकल केयर मेडिसिन के प्रसिद्ध विशेषज्ञ हैं। अभी भी जिला अस्पतालों के डॉक्टरों, नर्सों और लैब टेक्नीशियनों सहित स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के विविध समूह को गहन प्रशिक्षण दिया जा रहा है। पाठ्यक्रम में वेंटिलेटर प्रबंधन, रोगी निगरानी, संक्रमण नियंत्रण और आईसीयू देखभाल के अन्य महत्वपूर्ण पहलुओं सहित कई आवश्यक विषय शामिल थे।
वर्तमान में राजधानी लखनऊ के कई अस्पतालों में पूरी तरह से चालू और सक्रिय आईसीयू मरीजों की सेवा कर रहे हैं। इनमें बलरामपुर अस्पताल, सिविल अस्पताल, रानी लक्ष्मीबाई अस्पताल, लोकबंधु अस्पताल और राम सागर मिश्रा अस्पताल शामिल हैं, जो शहर के निवासियों को महत्वपूर्ण गहन देखभाल सेवाएं प्रदान करते हैं।
इसके अलावा बाराबंकी, अयोध्या, सीतापुर, उन्नाव, कानपुर नगर, वाराणसी, प्रयागराज, अंबेडकर नगर, बलिया, आजमगढ़, मऊ, गोरखपुर और बस्ती के जिला अस्पतालों में भी आईसीयू प्रभावी ढंग से काम कर रहे हैं। इसी तरह इटावा, बांदा, चित्रकूट, आगरा, मथुरा, फिरोजाबाद, अलीगढ़, बुलंदशहर, कन्नौज, झांसी, बरेली, मुरादाबाद, मेरठ, गाजियाबाद, मुजफ्फरनगर और शामली के जिला अस्पतालों में सक्रिय आईसीयू आवश्यक देखभाल प्रदान कर रहे हैं।
चिकित्सा स्वास्थ्य, परिवार कल्याण एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव पार्थ सारथी सेन शर्मा ने बताया कि प्रदेश के विभिन्न जिला अस्पताल के डॉक्टर, नर्स और पैरामेडिकल स्टाफ को वेंटिलेटर एवं अन्य आधुनिक चिकित्सा उपकरणों के उपयोग में पारंगत करने के लिए प्रशिक्षण इस मंशा से कराया गया कि इसका लाभ प्रदेश की जनता को मिले।
पूर्वी उत्तर प्रदेश से लेकर पश्चिम के कई जिला अस्पतालों में क्रिटिकल केयर यूनिट सक्रिय हैं और मरीजों को इसका लाभ स्थानीय तौर पर मिल रहा है जिससे उनपर वित्तीय बोझ भी कम हो रहा है।