KGMU में पहली बार प्राइवेट प्रैक्टिस के आरोप में वरिष्ठ चिकित्सक बर्खास्त
प्राइवेट प्रैक्टिस निजी संस्था से लाभ लेने व कई संस्था में डायरेक्टर होने के आरोप

लखनऊ : योगी आदित्यनाथ सरकार के प्राइवेट प्रैक्टिस का भत्ता देने के बाद भी वरिष्ठ चिकित्सकों की मनमानी पर किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) की एक कार्रवाई का बड़ा संदेश जाएगा। कुलपति प्रोफेसर डॉ. सोनिया नित्यानंद की अध्यक्षता में शनिवार को कार्यपरिषद की आपात बैठक में फार्माकोलॉजी के निलंबित विभागाध्यक्ष डॉ. सचान की बर्खास्तगी का फैसला किया गया।
किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (केजीएमयू) में फार्माकोलाजी विभाग के निलंबित निर्वतमान अध्यक्ष डॉ. आमोद कुमार सचान को रिटायर होने के तीन दिन पहले शनिवार को बर्खास्त कर दिया गया। डॉ.सचान के खिलाफ प्राइवेट प्रैक्टिस, निजी संस्था से लाभ कमाने और कई संस्था के बोर्ड आफ डायरेक्टर होने के आरोप साबित होने के बाद यह निर्णय लिया गया। विश्वविद्यालय में पहली बार किसी डाक्टर को प्राइवेट प्रैक्टिस के आरोप में बर्खास्त किया गया है। वह 15 जुलाई को रिटायर होने वाले थे। डॉ. सचान के खिलाफ पिछले साल जांच शुरू हुई थी।
कुलपति प्रो. सोनिया नित्यानंद की अध्यक्षता में शनिवार को कार्यपरिषद की आपात बैठक बुलाई गई, जिसमें यह निर्णय लिया गया। बैठक में कुलसचिव की जगह डिप्टी रजिस्टार डॉ. संदीप भट्टाचार्या शामिल हुए। बैठक में डॉ. आमोद कुमार सचान पर प्राइवेट प्रैक्टिस समेत दूसरे आरोप साबित हुए, जिसके बाद कार्यपरिषद ने बर्खास्त करने का फैसला किया। इससे पहले चार जुलाई को इमरजेंसी कार्यपरिषद की बैठक हुई थी। डॉ. सचान को 180 पेज की नोटिस जारी की गई थी, जिसका उन्हें छह दिन में जवाब देना था। हालांकि, उन्होंने जवाब देने के लिए अतिरिक्त समय मांगा। दस जुलाई को फिर इमरजेंसी बैठक हुई, जिसमें कार्यपरिषद ने अतिरिक्त समय देने से मना कर दिया था।
कुलपति केजीएमयू प्रो. सोनिया नित्यानंद ने बताया कि डॉ. आमोद कुमार सचान के खिलाफ लंबे समय तक प्राइवेट प्रैक्टिस सहित कई आरोप साबित हुए हैं। कोर्ट के आदेश के क्रम में इमरजेंसी कार्यपरिषद की बैठकें बुलाई गईं।
कमेटी की जांच रिपोर्ट के आधार पर डॉ. सचान को बर्खास्त करने का निर्णय लिया गया। केजीएमयू में पहली बार प्राइवेट प्रैक्टिस को लेकर बर्खास्ती की कार्रवाई की गई है, जो भविष्य में नजीर बनेगी।मनगढ़ंत शिकायत का निस्तारण मेरी सेवानिवृत्ति से कुछ दिन पहले किया जाना दर्शाता है कि यह कृत्य दूषित मानसिकता और दुर्भावना से प्रेरित है।
पहले भी सामने आए प्राइवेट प्रैक्टिस के मामले
वर्ष 2023 में केजीएमयू में एक विभागाध्यक्ष पर प्राइवेट प्रैक्टिस का आरोप लगा। निजी अस्पताल में इलाज के बाद मरीज की मौत हो गई थी, जिसके बाद यह मामला सामने आया। पीड़ित परिवारीजन ने शिकायत की और सुबूत भी सौंपे।
केजीएमयू प्रशासन ने मामले की जांच कराई। कार्यपरिषद में विभागाध्यक्ष को आरोप पत्र देने पर सहमति भी हुई, लेकिन अधर में लटक गया। अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। ऐसे ही एक और विभागाध्यक्ष पर प्राइवेट प्रैक्टिस का आरोप लगा, जांच में गंभीरता नहीं दिखी और डाक्टर साहब बच गए। हालांकि, विश्वविद्यालय प्रशासन का दावा है कि प्राइवेट प्रैक्टिस की शिकायत मिलने पर किसी को बख्शा नहीं जाएगा।