“बैलट पेपर पर लौटने से भी कई नुकसान” : EVM पर सुप्रीम कोर्ट

जस्टिस दीपांकर दत्ता ने कहा- जर्मनी का उदाहरण मत दीजिए

नई दिल्ली: चुनाव में EVM की जगह मतपत्रों के उपयोग को लेकर जारी चर्चाओं के बीच मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बैलट पेपर पर लौटने से भी कई नुकसान हैं. सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस संजीव खन्ना ने EVM को हटाने की याचिका के पक्ष में अपनी बात रख रहे प्रशांत भूषण से पूछा कि अब आप क्या चाहते हैं? प्रशांत भूषण ने कहा कि पहला बैलेट पेपर पर वापस जाएं . दूसरा फिलहाल 100 फीसदी VVPAT मिलान हो. अदालत ने कहा कि देश में 98 करोड़ वोटर हैं. आप चाहते हैं कि 60 करोड़ वोटों की गिनती हो. प्रशांत भूषण ने कहा कि बैलेट से वोट देने का अधिकार दिया जा सकता है या वीवीपैट मे जो पर्ची है उसे मतदाताओं को दिया जाए.

जस्टिस दीपांकर दत्ता ने कहा- जर्मनी का उदाहरण मत दीजिए
याचिकाकर्ता के वकील द्वारा जर्मनी के सिस्टम के उदाहरण देने पर जस्टिस दीपांकर दत्ता ने कहा कि मेरे गृह राज्य पश्चिम बंगाल की जनसंख्या जर्मनी से भी अधिक है. हमें किसी पर भरोसा और विश्वास जताना होगा. इस तरह से व्यवस्था को नुकसान पहुंचाने की कोशिश मत करिए. इस तरह के उदाहरण मत दीजिए… यह एक बहुत बड़ा काम है… और यूरोपीय उदाहरण यहां काम नहीं आते.

प्रशांत भूषण ने क्या कहा?
प्रशांत भूषण ने वीवीपैट की पर्ची मतदाताओं को देने की मांग के साथ कहा कि मतदाता उसे एक बैलेट बॉक्स मे डाल दे. अभी जो वीवीपैट है उसका बॉक्स ट्रांसपेरेंट नहीं है.सिर्फ सात सेकेंड के लिए पर्ची वोटर को दिखाई देती है.

VVPAT की गिनती में लग जाएंगे 12 दिन
वकील संजय हेगड़े ने मांग की कि ईवीएम पर पड़े वोटों का मिलान वीवीपीएटी पर्चियों से किया जाना चाहिए. जस्टिस खन्ना: क्या 60 करोड़ वीवीपीएटी पर्चियों की गिनती होनी चाहिए? वकील गोपाल शंकर नारायण ने कहा कि चुनाव आयोग का कहना है कि सभी वीवीपीएटी पर्चियों की गिनती में 12 दिन लगेंगे. एक वकील ने वोट देने के लिए बारकोड का सुझाव दिया. जस्टिस खन्ना ने कहा कि अगर आप किसी दुकान पर जाते हैं तो वहां बारकोड होता है. बारकोड से गिनती में मदद नहीं मिलेगी जब तक कि हर उम्मीदवार या पार्टी को बारकोड न दिया जाए और यह भी एक बहुत बड़ी समस्या होगी.

जस्टिस दीपांकर दत्ता ने प्रशांत भूषण से पूछा कि आपने कहा कि अधिकांश मतदाता ईवीएम पर भरोसा नहीं करते? आपको यह डेटा कैसे मिला? प्रशांत भूषण: एक सर्वेक्षण हुआ था. जस्टिस दत्ता – हम निजी सर्वेक्षणों पर विश्वास नहीं करते. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि EVM सही काम कर रहीं है या नहीं ये जानने के लिए हमें डेटा चाहिए होगा. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमने चुनाव आयोग से डेटा मांगा है. कुछ मिसमैच ह्यूमन एरर की वजह से है.

EVM पर सुनवाई 18 अप्रैल को जारी रहेगी. एक वकील ने आरोप लगाया कि ईवीएम को पब्लिक सेक्टर यूनिट की कंपनियां बनाती है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि क्या प्राइवेट कंपनी ईवीएम बनाएगी तो आप खुश होंगे.अगली सुनवाई गुरूवार 18 अप्रैल को होगी.

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button