आर्टिकल 370 पर समीक्षा याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट ने किया खारिज

सीजेआई के नेतृत्व में पांच जजों की पीठ का फैसला

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने आर्टिकल 370 से जुड़े अपने फैसले की समीक्षा को लेकर मांग वाली याचिकाएं खारिज कर दी हैं। सीजेआई डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्‍यक्षता वाली पीठ ने कहा कि समीक्षा याचिकाओं पर गौर करने के बाद पाया गया कि रिकॉर्ड पर स्पष्ट रूप से कोई त्रुटि नहीं है। सुप्रीम कोर्ट रूल्स 2013 के आदेश XLVII, नियम 1 के तहत समीक्षा के लिए कोई मामला नहीं बनता। ऐसे में अनुच्छेद 370 को लेकर समीक्षा याचिकाएं खारिज की जाती हैं। 5 जजों की पीठ में जस्टिस संजीव खन्ना, बी.आर. गवई, सूर्यकांत, और ए.एस. बोप्पना भी शामिल थे।

पीठ ने समीक्षा याचिका को खुली अदालत में सूचीबद्ध करने और व्यक्तिगत रूप से हाजिर होने और बहस करने की अनुमति मांगने वाले आवेदनों को खारिज कर दिया। 11 दिसंबर, 2023 के अपने ऐतिहासिक फैसले में, संविधान पीठ ने सर्वसम्मति से मोदी सरकार के अगस्त 2019 के फैसले पर अपनी मंजूरी की मुहर लगा दी थी।

इसमें अनुच्छेद 370 को हटाकर जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त करने का फैसला किया गया था। जस्टिस कौल 25 दिसंबर, 2023 को रिटायर हुए, जिसके बाद जस्टिस बोपन्ना सहित एक पुनर्गठित पीठ ने समीक्षा याचिकाओं पर फैसला किया।

पिछले दिसंबर में, पीठ ने तीन अलग-अलग लेकिन एकमत निर्णयों में, ‘जल्द से जल्द’ राज्य का दर्जा बहाल करने का आदेश दिया। केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव कराने के लिए 30 सितंबर, 2024 की समय सीमा तय की। साथ ही तत्कालीन राज्य से लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनाने के केंद्र के फैसले की वैधता को भी बरकरार रखा।

2019 में राज्य को जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के केंद्र शासित प्रदेशों में पुनर्गठित करने के मामले में पीठ ने इस तर्क को खारिज कर दिया कि अनुच्छेद 3 के तहत इसके लिए विधेयक केवल राज्य विधानमंडल की सहमति से ही पेश किया जा सकता है। पीठ ने कहा कि उसने पिछले मामले में कहा था कि राज्य विधानमंडल की ऐसी सिफारिश केवल अनुशंसात्मक है और संसद पर बाध्यकारी नहीं है।

इसके अलावा, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राष्ट्रपति के पास यह घोषणा करने या अधिसूचना जारी करने की शक्ति है कि जम्मू-कश्मीर की विधानसभा के भंग होने के बाद भी अनुच्छेद 370 का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा। इसमें कहा गयाकि ऐतिहासिक संदर्भ को देखते हुए अनुच्छेद 370 एक अस्थायी प्रावधान था। शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में भारत के चुनाव आयोग से 30 सितंबर, 2024 तक जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव कराने के लिए कदम उठाने को भी कहा था।

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