ट्रम्प ने UN की 19 हजार करोड़ की मदद रोकी

तीन हजार कर्मियों की छंटनी का प्लान

संयुक्त राष्ट्र (UN) : दुनिया में शांति और मानवाधिकार के लिए काम करने वाला संगठन संयुक्त राष्ट्र बजट संकट में फंस गया है. संगठन कंगाली के मुहाने पर खड़ा है. यूएन के पास कर्मचारियों को सैलरी देने के पैसे नहीं हैं. दुनिया के अशांत इलाकों में शांति सेना भेजने की ताकत की बात ही अलग है. इस संकट से उबरने के लिए संयुक्त राष्ट्र अपने कई विभागों से 3 हजार कर्मचारियों की छंटनी की योजना बना रहा है. इस संकट के पीछे की वजह वित्तीय मदद देने वाले देशों की पैसा देने में आनाकानी करना है. अमेरिका ने अपने हिस्से का 19 हजार करोड़ रुपए रोक दिया है. इसकी वजह से अमेरिका पर वोट देने का अधिकार गंवाने अधिकार गंवाने का खतरा भी मंडराने लगा है. उधर, चीन भी फंड देने में देर कर रहा है.

अमेरिका ने 19 हजार करोड़ रोका-
संयुक्त राष्ट्र के बजट संकट बड़ा कारण अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की पॉलिसी है. अमेरिका ने यूएन की 19 हजार करोड़ रुपए की हिस्सेदारी लटका रखी है. जिसकी वजह से यूएन को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. यूएन का साल 2025 का कुल बजट 32 हजार करोड़ है. लेकिन पैसों की कमी के चलते यूएन को बजट में कटौती करनी पड़ रही है. यूएन ने 17 फीसदी कम करने का प्लान बनाया है. इसका मतलब है कि बजट से 5 हजार करोड़ रुपए की कटौती होगी.

अमेरिका को गंवाना पड़ सकता है वोटिंग अधिकार-
संयुक्त राष्ट्र में बजट के संकट से गुजर रहा है. अगर अमेरिका इस साल अपनी अनिवार्य वित्तीय मदद नहीं देता है तो उसपर वोटिंग का अधिकार गंवा सकता है. अमेरिका अगर ऐसा नहीं करता है तो साल 2027 तक संयुक्त राष्ट्र महासभा में वोट देने का अधिकार खो सकता है. यूएन चार्टर के आर्टिकल 19 के मुताबिक अगर कोई भी सदस्य देश 2 साल तक अपनी अनिवार्य सदस्यता शुल्क नहीं देता है तो वह महासभा में वोटिंग का अधिकार गंवा चुके हैं. इसमें वेनेजुएला, ईरान जैसे देश शामिल हैं.

हिस्सेदारी देने में देरी कर रहा चीन-
संयुक्त राष्ट्र के बजट में चीन का हिस्सा 20 फीसदी है. चीन ने पिछले साल आखिरी समय में अपनी हिस्सेदारी दी. साल 2024 में चीन का फंड 27 दिसंबर को मिला. जिसकी वजह से यूएन उस बजट को खर्च नहीं कर पाया. यूएन का नियम कहता है कि पैसा खर्च नहीं होने पर उसे सदस्य देशों को वापस करना पड़ता है. माना जा रहा है कि चीन पैसे देने में देरी करके यह बताना चाहता है कि वो यूएन के फैसलों में बराबरी चाहता है.

आमतौर पर संयुक्त राष्ट्र को फंडिंग साल की शुरुआत यानी जनवरी में मिल जानी चाहिए. लेकिन 2024 में 15 फीसदी भुगतान दिसंबर तक नहीं मिला. इस साल 7 हजारकरोड़ रुपए की रकम 41 देशों पर बकाया रही. इसमें अमेरिका, मैक्सिको, वेनेजुएला और अर्जेंटीना जैसे देश शामिल हैं. इस साल यानी 2025 में 49 देशों ने समय पर भुगतान किया है.

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