मदरसों पर आए हाईकोर्ट के फैसले से उलमा असहमत

जमात रजा मुस्तफा करेंगे सुप्रीम कोर्ट में अपील

बरेलीः दरगाह आला हजरत से जुड़े संगठन जमात रजा-ए-मुस्तफा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सलमान हसन खान ने कहा कि जल्द ही उलेमा ए इकराम एवं मदरसा संचालकों से बैठक की जाएगी। इसके बाद हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया जाएगा।

ेइलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने शुक्रवार को यूपी बोर्ड ऑफ मदरसा एजुकेशन एक्ट 2004 को असांविधानिक करार दिया। इस आदेश के खिलाफ विश्व विख्यात सूफिज्म के केंद्र दरगाह आला हजरत से जुड़े संगठन जमात रजा मुस्तफा ने सुप्रीम कोर्ट में अपील करने की बात कही है।

जमात रजा मुस्तफा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सलमान हसन खान (सलमान मियां) ने कहा है कि मदरसा संचालक व उलमा-ए-इराम में बेचैनी का माहौल है। मदरसा संचालक व उलमा लगातार दरगाह में संपर्क कर रहे हैं। इसको देखते हुए जल्द ही उलमा व मदरसा संचालकों के साथ मीटिंग की जाएगी। इसके बाद इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया जाएगा।

सलमान मियां ने कहा कि गुरुकुल, संस्कृत पाठशाला जैसी धार्मिक संस्थाओं को भी सरकारी मदद मिलती है। उन्होंने कहा कि एक तरफ भारत सरकार मुसलमानों को मुख्य धारा में लाने की बात करती है और दूसरी तरफ हाईकोर्ट के इस फैसले से प्रतीत हो रहा है कि मुसलमान छात्रों को मुख्य धारा से दूर किया जा रहा है। इससे उनका भविष्य अधर में लटक जाएगा।

वहीं संगठन से जुड़े उलमा ने कहा है कि हाईकोर्ट के फैसले से वह आश्चर्यचकित हैं। मदरसा अधिनियम किसी मौलाना ने नहीं बल्कि सरकार ने बनाया है। उन्होंने कहा है कि ये गलतफहमी है कि मदरसों में सिर्फ मजहबी शिक्षा दी जाती है, जबकि मदरसों में सभी विषय पढ़ाए जा रहे हैं। इसी का परिणाम है कि यहां से पढ़कर निकले छात्र आईएएस, पीसीएस और प्रोफेसर तक बन रहे हैं।

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