ह्वाइट हाउस बौखलाया, अब आगे क्या?

वाशिंगटन : अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ पर दिए गए जिस आदेश को लेकर पूरी दुनिया में हंगामा मचा है, उसे अमेरिकी संघीय अदालत ने पलट दिया है। इससे राष्ट्रपति ट्रंप को बड़ा झटका लगा है। संघीय न्यायालय ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के पांच प्रमुख टैरिफ कार्यकारी आदेशों को अवैध और असंवैधानिक ठहराया है। न्यायालय ने कहा कि इन आदेशों के तहत लगाए गए टैरिफ़ राष्ट्रपति की शक्तियों से बाहर थे और इन्हें लागू करने के लिए कांग्रेस की मंजूरी आवश्यक थी। संघीय अदालत के इस फैसले से व्हाइट हाउस भी बौखला गया है।

ह्वाइट हाउस ने इस निर्णय को ‘स्पष्ट रूप से गलत’ बताते हुए अपील की योजना बनाई है। अमेरिकी अदालत के इस फैसले से ट्रंप के ट्रेड वार में फंसे दुनिया के तमाम देश राहत की सांस ले रहे हैं।

अदालत ने क्या सुनाया फैसला?
संयुक्त राज्य अमेरिका के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार न्यायालय ने ऐतिहासिक निर्णय सुनाते हुए कहा कि ट्रंप प्रशासन ने 1977 के अंतर्राष्ट्रीय आपातकालीन आर्थिक शक्तियों अधिनियम (IEEPA) का दुरुपयोग करते हुए व्यापक टैरिफ़ लगाए थे, जो राष्ट्रपति की संवैधानिक शक्तियों से बाहर थे। न्यायालय ने यह भी कहा कि व्यापार घाटे को ‘असामान्य और असाधारण खतरा’ मानने की ट्रंप प्रशासन की दलील कानूनी रूप से उचित नहीं थी। अदालत के इस फैसले से एक तरफ जहां दुनिया के तमाम देशों में जश्न का माहौल है, वहीं ह्वाइट हाउस को तगड़ा झटका लगा है।

अब क्या होगा ह्वाइट हाउस का कदम?
व्हाइट हाउस के प्रवक्ता कुश देसाई ने न्यायालय के निर्णय की आलोचना करते हुए इसे ‘स्पष्ट रूप से गलत’ बताया और कहा कि यह निर्णय राष्ट्रीय सुरक्षा और आर्थिक आपातकाल की स्थिति को नजरअंदाज करता है। उन्होंने कहा, “हम इस निर्णय के खिलाफ अपील करेंगे और इसे सुप्रीम कोर्ट तक ले जाने का विचार कर रहे हैं।” संघीय अदालत के इस फैसले ने राष्ट्रपति ट्रंप की टैरिफ योजनाओं को ध्वस्त कर दिया है, जिसके चलते दुनिया में सबसे बड़ा ट्रेड वार छिड़ गया था।

न्यायालय ने आदेश में क्या कहा?
न्यायालय ने आदेश दिया कि ट्रंप के आदेशों के तहत लगाए गए टैरिफ़ तत्काल प्रभाव से हटाए जाएं। अदालत ने अमेरिकी सीमा शुल्क और सीमा सुरक्षा विभाग को इन टैरिफ़ों के तहत कोई शुल्क न वसूलने का निर्देश दिया। न्यायालय ने यह भी कहा कि राष्ट्रपति को टैरिफ़ लगाने की शक्ति केवल कांग्रेस से स्पष्ट अनुमति मिलने पर ही हो सकती है। मगर ट्रंप ने कांग्रेस से अनुमति नहीं ली।

इस फैसले का क्या हुआ असर?
इस निर्णय के बाद अमेरिकी व्यापार जगत में राहत की लहर है। छोटे व्यवसायों और व्यापार संघों ने न्यायालय के निर्णय का स्वागत किया है, क्योंकि ट्रंप के टैरिफ़ों ने आपूर्ति श्रृंखला में विघटन, लागत में वृद्धि और व्यापार भागीदारों के साथ तनाव पैदा कर दिया था। अब इसमें कमी आने की उम्मीद है।

निर्णय बरकरार रहा तो क्या होगा?
व्हाइट हाउस ने संघीय अदालत के इस निर्णय के खिलाफ अपील करने की योजना बनाई है, लेकिन यदि यह निर्णय बरकरार रहता है तो ट्रंप प्रशासन को भविष्य में टैरिफ़ लगाने के लिए अन्य कानूनी प्रावधानों का सहारा लेना होगा, जैसे कि 1974 के व्यापार अधिनियम की धारा 301 का। बता दें कि इसके तहत वह टैरिफ पर कई तरह के फैसले कांग्रेस की मंजूरी से ले सकेंगे।

क्या हैं इस निर्णय के मायने?
अदालत का यह निर्णय अमेरिकी संविधान में निर्धारित शक्ति के पृथक्करण के सिद्धांत को मजबूत करता है और यह स्पष्ट करता है कि व्यापार नीति निर्धारण में राष्ट्रपति की शक्तियां सीमित हैं। अदालत का यह फैसला अब ट्रंप को अन्य निर्णयों को भी सोच-समझकर लेने को मजबूर करेगा। अपने दूसरे कार्यकाल में ट्रंप लगातार विवादित फैसले ले रहे हैं, जिससे दुनिया भर में तहलका मचा है।

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