योगी सरकार 2: वो सात कदम जिन्होंने कायम किया प्रदेश में पुलिस का इकबाल

अपराधियों व माफियाओं के खिलाफ सजा, संपत्ति और संहार की कार्रवाई, फ्राड पर लगा अंकुश

लखनऊ: उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार आगामी 25 मार्च को सात साल पूरे होने जा रही है। सात वर्षों के दौरान यूपी समेत पूरे प्रदेश में जो बात सबसे ज्यादा चर्चा का विषय रही वह है अपराधियों व माफियाओं के खिलाफ सजा, संपत्ति और संहार की कार्रवाई। खासतौर से सरकार के बुलडोजर एक्शन और अघोषित एनकाउंटर नीति ने पूरे देश में खासी सुर्खियां बटोरी। फिर चाहे वह कुख्यात विकास दुबे का या फिर बाहुबली माफिया अतीक अहमद के बेटे असद का मुठभेड़ में मारा जाना। यूपी में सात सालों के दौरान अपराधियों व माफिया के खिलाफ वो कार्रवाई हुई जो दूसरे राज्यों के लिए भी नजीर बनी।

एक तरफ बुनियादी विकास, औद्योगीकरण और रोजगार को लेकर उठाए गए कदमों ने प्रदेश की तस्वीर बदली तो दूसरी तरफ संपत्ति को लेकर घर-घर में चल रहे झगड़े खत्म करने और बिल्डरों के चंगुल में फंसकर धोखे का शिकार किसानों को बचाने के लिए बड़े फैसले लिए गए। रक्त संबंधों में केवल पांच हजार रुपये की रजिस्ट्री का असर ये हुआ कि प्रापर्टी से जुड़े ढाई लाख विवाद खत्म हो गए। इसी तरह रक्त संबंधों के बाहर पावर ऑफ अटार्नी करने पर सात फीसदी स्टांप शुल्क लगाकर किसानों को फ्राड से बचाने की पहल की गई।

दूसरे राज्यों के लिए मॉडल बना यूपी
जुलाई 2020 में कानपुर के बिकरू गांव में हुई डिप्टी एसपी समेत आठ पुलिस वालों की मुठभेड़ में हुई शहादत के बाद सरकार की कार्रवाई का चाबुक ऐसा चला कि माफियाओं की चूलें हिल गईं। विकास दुबे और उसके सहयोगियों के घर बुलडोजर से गिराने के बाद बुलडोजर पूरे देश में पुलिस कार्रवाई का सिंबल बन गया। दूसरे राज्यों ने भी योगी मॉडल को फॉलो किया।

गांव से लेकर शहर तक में संपत्ति से जुड़े झगड़े खत्म करने की रूपरेखा स्टांप और रजिस्ट्री विभाग ने तैयार की। स्टांप एवं रजिस्ट्री मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रवींद्र जायसवाल के मुताबिक घरों में सौहार्द्र व भाईचारा बढ़ाना, किसानों को ठगी से बचाना और महिलाओं को आर्थिक रूप से मजबूत बनाना ही इन नीतियों का मकसद है।

मुठभेड़ों से अपराधियों में मची भगदड़
सरकार की अघोषित एनकाउंटर पॉलिसी ने अपराधियों में खासी दहशत पैदा की। प्रदेश में सात साल के दौरान 195 अपराधी मुठभेड़ में मारे जा चुके है। जबकि छह हजार से अधिक गंभीर रूप से जख्मी हुए हैं। हालांकि इस दौरान एक डिप्टी एसपी समेत 16 पुलिसवालों की भी शहादत हुई।

पुश्तैनी जमीन के लाखों विवाद एक झटके में होंगे खत्म
पुश्तैनी जमीन से जुड़े लाखों मामले दशकों से अदालत में फाइलों में दबे हैं। बंटवारा न होने से भाई-भाई का दुश्मन हो गया है। इस कटुता को खत्म करने के लिए प्रस्ताव तैयार किया गया है। इसके मुताबिक जिस जमीन पर पूरे खानदान के जितने दावेदार होंगे, सभी को एक साथ बुलाकर मौके पर बंटवारा कर दिया जाएगा। इसके एवज में सिर्फ पांच हजार रुपये स्टांप शुल्क लिया जाएगा।

अभी बंटवारे के तीन रास्ते, तीनों ही पेंचीदा
– मान लीजिए एक 100 साल पुरानी पुश्तैनी जमीन है। जिसकी कीमत एक करोड़ रुपये है। उस पर खानदान के 36 लोग दावेदार हैं। तो अभी बंटवारे के ये तीन रास्ते हैं। पहला रास्ता, सभी तहसील में जाएंगे। वहां कुटुंब का रजिस्टर बनेगा। बताना होगा कि 36 लोग दावेदार हैं और आपस में तय किया है कि कौन सा परिवार उस जमीन के कितने हिस्से में रहेगा और कहां रहेगा। अब जमीन की नापजोख के लिए लेखपाल को लगाया जाता है। वहीं से मामला लटकने लगता है। दस साल से चालीस साल तक लग जाते हैं।

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