दक्षिण कोरिया नकली सूर्य बनाने में कामयाब
10 करोड़ डिग्री सेल्सियस की गर्मी हुई पैदा

सियोल: दक्षिण कोरिया के वैज्ञानिको ने न्यूक्लियर फ्यूजन टेक्नोलॉजी में एक अभूतपूर्व मील का पत्थर हासिल किया है। दक्षिण कोरिया ने सबसे ज्यादा समय तक के लिए 10 करोड़ डिग्री सेल्सियस का तापमान बनाए रखने का एक नया विश्व रिकॉर्ड स्थापित किया है। यह तापमान सूर्य के कोर से सात गुना ज्यादा है। 48 सेकंड तक यह तापमान बनाए रखा गया। यह भविष्य के ऊर्जा स्रोत के विकास में एक महत्वपूर्ण प्रगति दिखाता है। न्यूक्लियर फ्यूजन में दो परमाणु आपस में जुड़ते हैं और यह सूर्य और अन्य तारों के ऊर्जा की नकल करता है।
क्यों नकली सूरज बना रहे वैज्ञानिक
वर्तमान में पारंपरिक न्यूक्लियर प्लांट विखंडन से ऊर्जा प्राप्त करते हैं। अर्थात परमाणुओं को तोड़कर। चेन रिएक्शन को शुरू करने के लिए यूरेनियम का इस्तेमाल किया जाता है। इस तरह के प्लांट आधी सदी से ज्यादा समय से चल रहे हैं। 1954 में यूएसएसआर ने अपना पहला परमाणु प्लांट बिजली ग्रिड से जोड़ा था। लेकिन इसके खतरे हैं, जो चेरनोबिल आपदा में देखा गया है। परमाणु विखंडन की सबसे बड़ी समस्या इससे पैदा होने वाला कचरा है, जो सदियों तक खतरनाक रेडियोएक्टिव लेवल को बनाए रख सकता है। इसके विपरीत न्यूक्लियर फ्यूजन या नकली सूर्य सुरक्षित है और लगभग किसी भी तरह का कचरा नहीं फैलाता।
फ्यूजन एनर्जी पाने की कुंजी टोकामक में है, जो एक डोनट के आकार का रिएक्टर है। यह प्लाज्मा बनाने के लिए हाइड्रोजन वेरिएंट को गर्म करता है। प्लाज्मा पदार्थ की वह अवस्था है, जहां परमाणु नाभिक और इलेक्ट्रॉन अलग हो जाते हैं। कोरियाई इंस्टीट्यूट ऑफ फ्यूजन एनर्जी (KFE) में KSTAR रिसर्च सेंटर के निदेशक सी-वू यून के अनुसार भविष्य के परमाणु रिक्टरों की सफलता के लिए यह महत्वपूर्ण है। दिसंबर 2023 से 2024 तक के प्रयोग में 48 सेकंड का रिकॉर्ड बनाया गया।
क्या होगा फायदा
फ्यूजन रिएक्शन से न्यूनतम रेडियोएक्टिव कचरा निकलता है। वहीं असीमित ईंधन स्रोत होता है, जो इसे टिकाऊ और पर्यावरण के अनुकूल बनाता है
फ्यूजन रिएक्शन जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता को कम कर सकता है। इस कारण ऊर्जा से जुड़े जियोपॉलिटिकल तनाव कम हो सकते हैं। क्योंकि फ्यूजन में काम आने वाला ईंधन प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है।
फ्यूजन एनर्जी ग्रीनहाउस गैस का उत्सर्जन नहीं करता। इस कारण यह जलवायु परिवर्तन से निपटने और वैश्विक कार्बन उत्सर्जन को कम करने में महत्वपूर्ण बन जाता है।
अंतरिक्ष खोज में फ्यूजन एनर्जी महत्वपूर्ण हो सकती है। इससे मंगल ग्रह या उससे आगे के मिशन में ऊर्जा आसानी से उपलब्ध हो सकेगी।
इससे दुनिया में गहराता ऊर्जा संकट खत्म हो सकेगा। वैज्ञानिकों का लक्ष्य 2026 तक कम से कम 300 सेकंड के लिए प्लाज्मा का तापमान 10 करोड़ डिग्री तक बनाए रखना है।