तमन्नाओं से भरी जिंदगी – कविता
अश्कों को पलकों की कतार में खड़े देखा है ,
मंजर को मंजिल से भटकते हुए देखा है ।
दिया जलाकर बैठ गए हैं तमन्नाओं का आंधियों में ,
जबकि करीब अपने आशियाना जलता देखा है ।।
भरी महफिल में उदास तनहाई को खड़े देखा है ,
आह से भरी सिसकती शामों को देखा है ।
भटकती राहों में कोई साथ दे तमन्ना है ,
जबकि लोगों को ताउम्र तन्हा देखा है ।।
हर ख्वाहिश को ढेर होते हुए देखा है ,
हर नूर को राख होते हुए देखा है ।
कुछ लगाव अब भी जिंदगी से रखें है जब कि ,
मौत के साए में हर चीज को खोते देखा है ।।
अंधेरी खामोश रात में तमन्नाओं को सिसकते देखा है ,
लहरों में उमड़ती प्यास को देखा है ।
तमाम अश्कों के भंवर उनके नाम कर दिए हैं ,
जब से पानी की बूंदों से उठती एक ग़ज़ल को देखा है ।।
नीतू यंत मासी (बदायूं)