S-400 मिसाइल सिस्टम अगले साल तक सप्लाई करेगा रूस

नई दिल्ली: भारत अपनी सुरक्षा जरूरतों को पूरा करने के लिए तेजी से कदम बढ़ा रहा है। इसमें दुनिया की सबसे बेहतरीन वायु रक्षा प्रणाली में से एक एस-400 मिसाइलों का सौदा भी शामिल हैं। एस-400 मिसाइल सिस्टम भारतीय वायुसेना के बेड़े में सबसे शक्तिशाली हथियार बताया जा रहा है।

यह वायु रक्षा प्रणाली कितनी अहम है इसका अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकतै है कि भारत ने अमेरिका के विरोध को दरकिनार कर ये सौदा किया है। एस-400 मिसाइल एयर डिफेंस सिस्टम भारत में किसी भी संभावित हवाई हमले को नाकाम करने में सक्षम है।

अगले साल होगी आपूर्ति
अब जानकारी है कि रूस नई समयसीमा के तहत अगले साल तक भारत को सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली एस-400 की बची हुई दो रेजिमेंट की आपूर्ति करेगा। रूस 5.5 अरब अमेरिकी डॉलर के सौदे के तहत भारत को लंबी दूरी की मिसाइल प्रणालियों की तीन इकाइयों की आपूर्ति पहले ही कर चुका है। भारत मुख्य रूप से चीन से उत्पन्न सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए अपनी वायु शक्ति क्षमता बढ़ाने के प्रयासों के तहत मिसाइल प्रणालियों की खरीद कर रहा है।

यूक्रेन-रूस युद्ध का पड़ा असर
सूत्रों ने कहा कि उम्मीद है कि सितंबर में भारत को रूस निर्मित दो युद्धपोतों में से पहले युद्धपोत तुशिल की आपूर्ति होगी। उन्होंने कहा कि दूसरे युद्धपोत तमाल की आपूर्ति जनवरी में की जाएगी। उन्होंने कहा कि मूल समयसीमा के तहत, इन पोतों की आपूर्ति 2022 तक होनी थी लेकिन यूक्रेन-रूस युद्ध के कारण इसमें देरी हुई है। रूस 2018 में हुए चार फ्रिगेट सौदे के तहत ‘स्टील्थ फ्रिगेट’ की आपूर्ति कर रहा है। शेष दो पोतों का निर्माण भारत में हो रहा है। सूत्रों ने कहा कि एस-400 मिसाइल प्रणाली की आपूर्ति अगले साल तक पूरी हो जाएगी।

40 से 400 किमी तक है रेंज
एस-400 मिसाइल सिस्टम को खास चीन और पाकिस्तान को ध्यान में रखते हुए डिप्लॉय किया जाएगा। इसकी रेंज 40 से 400 किमी तक है। रूसी राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन की अक्तूबर 2018 में हुई भारत यात्रा के दौरान भारत और रूस के बीच इस एस-400 मिसाइल तकनीक के लिए करार हुआ है। मौजूदा समय में इस मिसाइल तकनीक को दुनिया की सबसे ताकतवर रक्षा प्रणाली समझा जाता है।

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