दुनिया भर में बढ़ रहा परमाणु खतरा: रेडियोएक्टिव मटेरियल की चोरियां बड़े खतरे की घंटी?

नई दिल्ली: पिछले साल, दुनिया भर के 31 देशों में कम से कम 168 बार परमाणु और रेडियोधर्मी सामग्री की चोरी या गुम होने की चिंताजनक घटनाएं सामने आईं। इनमें से छह घटनाओं को लेकर अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) ने गंभीर चिंता जताई है।

पिछले 30 वर्षों में दर्ज 4,243 संदिग्ध मामलों का सिलसिला बढ़ता जा रहा है, जिनमें परमाणु और रेडियोधर्मी सामग्री की तस्करी, खोना या चोरी शामिल है। 1993 से अब तक सामने आए इन मामलों में से 350 गंभीर तस्करी या दुरुपयोग से जुड़े हो सकते हैं, जो विनाशकारी परिणामों को जन्म दे सकते हैं।यह रेडियोधर्मी पदार्थ बम बनाने के लिए इस्तेमाल किए जा सकते हैं, जो विस्फोटकों के साथ रेडियोधर्मी पदार्थों को मिलाकर बनाए जाते हैं और व्यापक पर्यावरणीय प्रदूषण का कारण बन सकते हैं। आतंकवादी समूह या अन्य गैर-राज्यीय हथियार समूह इन सामग्रियों का उपयोग विनाशकारी परमाणु हथियार बनाने के लिए भी कर सकते हैं।

IAEA को डर है कि चोरी किए गए यूरेनियम से ही बम बनाए जा सकते हैं। जो रेडियो प्रदूषण फैला सकते है। बता दें कि एक टन प्राकृतिक यूरेनियम से 5.6 हथियार ब्रेड यूरेनियम बन सकता है। हिरोशिमा में अमेरिका ने 64 किलोग्राम यूरेनियम वाले एटम बम का इस्तेमाल किया था।

जून 2021 में झारखंड में 6.4 किलोग्राम यूरेनियम के साथ सात लोग गिरफ्तार किए गए थे। जबकि मई 2021 में 7 किलोग्राम प्राकृतिक यूरेनियम बेचने की कोशिश में लोगों की गिरफ्तारी हुई थी। फरवरी 2022 में नेपाल में दो भारतीयों सहित आठ लोग यूरेनियम जैसा पदार्थ बेचते पकड़े गए थे।

बड़े साइबर अटैक
हू एम आई नो न्यूक्लियर पावर ने 2014 में कोरियाई परमाणु संयंत्र हैक किया था। वहीं उत्तर कोरिया के लाजरस ग्रुप ने 2019 में भारतीय परमाणु संयंत्र में गैलवेयर डाला। 2003 में स्लैमर वर्ग ने एक परमाणु संयंत्र का कंप्यूटर संक्रमित किया था।

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