अमेरिकी पत्रकार फरीद जकारिया- अकेले भारत के पास वो ताकत जो चीन पर लगा सकता है लगाम

मोदी के तीसरे टर्म पर भी फरीद जकारिया ने कही बड़ी बात

नई दिल्ली : भारत में जन्मे अमेरिकी पत्रकार और जाने-माने जियोपॉलिटिक्स एक्सपर्ट फरीद जकारिया ने नए उभरते वर्ल्ड-ऑर्डर में भारत की बड़ी और अहम भूमिका बताई है। उन्होंने अपने एक इंटरव्यू में कहा कि भारत की भूमिका इसलिए बहुत ही महत्वपूर्ण हो जाती है कि एशिया में वही इकलौता देश है जो चीन को काउंटर कर सकता है। उस पर लगाम लगा सकता है।

टीवी न्यूज चैनल एनडीटीवी को दिए इंटरव्यू में दिग्गज पत्रकार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व की भी जमकर तारीफ की। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी एक ही साथ आम आदमी को आकर्षित कर सकते हैं और आधुनिकीकरण की लहर भी ला सकते हैं। उन्होंने इसके लिए डिजिटल इंडिया की कामयाबी का उदाहरण भी दिया। इंटरव्यू में उन्होंने पीएम मोदी के संभावित तीसरे कार्यकाल के बारे में भी बातचीत की।

फरीद जकारिया ने अपनी नई किताब ‘द एज ऑफ रिवोलूशंस’ में दुनिया में हो रहे क्रांतिकारी बदलावों, तमाम देशों के उदय और उससे पैदा होने वाली चुनौतियों के बारे में बताया है। इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि चीन का उदय अंतरराष्ट्रीय राजनीति की मूलभूत हकीकत है और भारत बहुत महत्वपूर्ण हो गया है, क्योंकि यह एशिया का एकमात्र देश है जो इसे ‘काउंटर’ कर सकता है.

फरीद जकारिया ने पीएम मोदी के संभावित तीसरे कार्यकाल को लेकर कहा कि इससे उन्हें अन्य ग्लोबल लीडर्स के मुकाबले ज्यादा वजन देगा। तीसरा कार्यकाल उन्हें लोकतांत्रिक वैधता देगा जो कई ग्लोबल लीडर्स में नहीं है। उन्होंने कहा, ‘यह (तीसरा कार्यकाल) प्रधानमंत्री मोदी के लिए एक निश्चित प्रकार का नैतिक और राजनीतिक ताकत देगा।’ उन्होंने कहा कि अगर पीएम मोदी को तीसरा कार्यकाल मिलता है तो वह बहुत ही ऐतिहासिक होगा। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी बहुत की लोकप्रिय हैं और देश के तमाम लोग उनकी बात सुनते हैं।

प्रधानमंत्री मोदी की तारीफ करते हुए जकारिया ने कहा कि वह एक तरह से अद्वितीय हैं। वह अंदरूनी और बाहरी दोनों तरह से काम करने में सक्षम हैं। उन्होंने कहा कि ट्रंप भी लोकप्रिय नेता हैं लेकिन मोदी जितने नहीं। जकारिया ने कहा कि अमेरिका में शहरी आबादी काफी ज्यादा है और उसका एक बड़ा तबका सोचता है कि ट्रंप उनके लिए ठीक नहीं हैं।

जकारिया ने कहा, ‘लेकिन प्रधानमंत्री मोदी एक ही साथ आम आदमी को और तकनीक पर आधारित आधुनिकीकरण की लहर, जो अभी भारत में चल रही है, को आकर्षित करने में सक्षम हैं। इसलिए मुझे लगता है कि वह राजनीतिक तौर पर इतने कामयाब हैं…वह राजनीतिक तौर पर बहुत चतुर हैं।’ भारत में डिजिटल क्रांति का जिक्र करते हुए जकारिया ने कहा, ‘एक गरीब देश और टेक्नॉलजी में देर से आने वाले देश के रूप में भारत ने वह सबसे अच्छा रास्ता चुना जो वह अपना सकता था।’

‘एशिया में सिर्फ भारत में चीन को काउंटर करने की कुव्वत’
एक सवाल के जवाब में फरीद जकारिया ने कहा, ‘चीन का उदय और रूस की वापसी मौजूदा वर्ल्ड ऑर्डर की महत्वपूर्ण नई विशेषताएं बन गई हैं। ये दोनों ही मौजूदा नियम-आधारित अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था के लिए एक तरह की सीधी चुनौती पेश करते हैं।

इस संदर्भ में भारत बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है, क्योंकि भारत चीन को एक तरह से संतुलित कर सकता है या उसे काउंटर कर सकता है। इस आकार और पैमाने का यह एकमात्र देश है, जो एशिया में लंबे समय तक चीन को संतुलित करने की क्षमता रखता है।’

वर्ल्ड ऑर्डर में भारत की भूमिका कितनी महत्वपूर्ण है, इसे समझाते हुए जकारिया ने कहा कि वह नियम-आधारित इंटरनैशनल ऑर्डर को कायम रखने के मामले में भी एक प्रतिसंतुलन पैदा कर सकता है, जिसका वह ऐतिहासिक रूप से हिमायती रहा है। उन्होंने कहा, ‘राज्य की संप्रभुता पर जोर, संयुक्त राष्ट्र जैसे निकायों के माध्यम से फैसला लेने पर जोर। इसलिए इस नई दुनिया में भारत एक बहुत ही सकारात्मक और रचनात्मक भूमिका निभा सकता है। संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोप में भारत के लिए जबरदस्त सद्भावना है।’

‘नए वर्ल्ड ऑर्डर में भारत की महत्वपूर्ण भूमिका मगर ये चुनौतियां भीं’
जकारिया ने उन चुनौतियों का भी जिक्र किया जिनसे भारत को पार पाना होगा। उन्होंने कहा कि भारत को इस स्थिति का लाभ उठाने के लिए दो मोर्चों पर चुनौती का सामना करना पड़ेगा।

जकारिया ने चुनौती वाले दोनों मोर्चों के बारे में कहा, ‘एक, इसे आर्थिक रूप से विकसित होना होगा। चीन अभी भी आर्थिक दृष्टि से भारत से पांच गुना बड़ा है। प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद के संदर्भ में, भारत अभी भी एक गरीब देश है। यह प्रति व्यक्ति 2,700 डॉलर है, जो इसे जी-20 में सबसे गरीब देश बनाता है। इसलिए, अपना वजन बढ़ाने के लिए, इसे आर्थिक रूप से आगे बढ़ना जारी रखना होगा और, स्पष्ट रूप से, थोड़ा तेज़। भारत जैसे गरीब देश को 9% की दर से आगे बढ़ने की आवश्यकता है।’

दूसरी चुनौती को लेकर जकारिया ने कहा, ‘भारत को नियम-आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था के प्रति प्रतिबद्ध रहना चाहिए।’ उन्होंने ये आशंका जताई कि भारत जैसे देश संकीर्ण और अल्पकालिक अस्थायी लाभ के लिए कुछ नियमों को त्याग सकते हैं, इसका खतरा हमेशा बना रहेगा। जकारिया ने कहा कि नए वर्ल्ड ऑर्डर में भारत के पास नियम बनाने, तय करने की क्षमता है। अजेंडा को आकार दे सकता है, नियम बना सकता है लेकिन ऐसा करने के लिए उसे नियम-आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था के प्रति प्रतिबद्ध रहना होगा।

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