सीडीएस के बयान के बाद विपक्ष से और किसने क्या कहा?

दिल्ली :कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे सहित पार्टी के कई नेताओं ने ऑपरेशन सिंदूर को लेकर जांच की मांग की है। इसके साथ ही उन्होंने भारत सरकार पर देश को गुमराह करने के आरोप लगाए हैं। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ के सिंगापुर में दिए गए बयान का जिक्र करते हुए खरगे ने कहा कि पाकिस्तान के साथ संघर्ष में भारतीय वायुसेना को नुकसान हुआ है। ऐसे में करगिल कमेटी की तर्ज पर एक इंडिपेंडेंट कमेटी के जरिए ऑपरेशन सिंदूर की जांच कराई जानी चाहिए। राहुल गांधी पहले ही सवाल कर चुके हैं कि पाकिस्तान के साथ संघर्ष में भारत को कितने विमानों का नुकसान हुआ था। इस बारे में सरकार को जानकारी देनी चाहिए।

चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ अनिल चौहान ने सिंगापुर में कहा था कि भारत ने अपनी गलतियों से सीखा और भारतीय सेना पाकिस्तान की सीमा में 300 किलोमीटर अंदर तक हमले करने में सक्षम थी।

मल्लिकार्जुन खरगे ने क्या लिखा?
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर खरगे ने लिखा कि सिंगापुर में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) के इंटरव्यू के बाद कुछ अहम सवाल सामने आए हैं, जिन्हें पूछा जाना जरूरी है। इसलिए सरकार को तुरंत संसद का विशेष सत्र बुलाना चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि मोदी सरकार देश को गुमराह कर रही है और सेना की वीरता का श्रेय पीएम मोदी ले रहे हैं। इसके साथ ही उन्होंने डोनाल्ड ट्रंप के दावों की हकीकत भी सामने लाने की बात कही। खरगे ने लिखा कि वह भारतीय सेना की बहादुरी और पराक्रम का सम्मान करते हैं, लेकिन इस मामले में जांच जरूरी हैं। 140 करोड़ देशभक्त सच जानने का हक रखते हैं।

खरगे के सवाल
1. ऑपरेशन सिंदूर की जांच के लिए करगिल की तर्ज पर निष्पक्ष समिति बनाई जानी चाहिए। इससे यह साफ होगा कि ऑपरेशन के लिए सेना कितनी तैयार थी। इस दौरान कितना नुकसान हुआ।

2. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने युद्ध विराम कराने के अपने दावे को फिर से दोहराया है। यह शिमला समझौते का सीधा अपमान है। जांच समिति इसकी भी हकीकत सबके सामने लाएगी।
3. क्या भारत और पाकिस्तान अब फिर से एक हो गए हैं? संघर्ष विराम समझौते की शर्तें क्या हैं?

टीएमसी नेता ने भी विशेष सत्र की मांग की
तृणमूल कांग्रेस की नेता सागरिका घोष ने भी सीडीएस अनिल चौहान का इंटरव्यू शेयर करते हुए पूछा कि यह बात विदेशी मीडिया को क्यों बताई जा रही है? पहले देश के लोगों को इस बारे में क्यों नहीं बताया गया। इसके बाद दूसरे पोस्ट में उन्होंने लिखा “ऑपरेशन सिंदूर को लेकर नागरिकों में अब बहुत सी चिंताएं हैं, जिन्हें राष्ट्रीय हित में उठाया जाना चाहिए। इसी तरह एक मजबूत लोकतंत्र खुद को नया बनाता है और अनुभवों से सीखता है। नागरिकों और विपक्ष को विश्वास में लिया जाना चाहिए। नरेंद्र मोदी सरकार अब विपक्ष की मांग को अस्वीकार नहीं कर सकती। जून में संसद का विशेष सत्र बुलाया जाना चाहिए।

राहुल गांधी भी कर चुके विशेष सत्र की मांग
राहुल गांधी ने भी ऑपरेशन सिंदूर की पारदर्शिता और सीजफायर पर संसद में विशेष सत्र बुलाने की मांग की थी। इसके साथ ही, उन्होंने सरकार से चार सवाल पूछे थे, जिसमें पहलगाम हमले के आतंकियों के पकड़े न जाने और ऑपरेशन की सफलता से जुड़े सवाल शामिल थे।

कांग्रेस के अन्य नेताओं ने भी पूछे सवाल
कांग्रेस के अन्य नेताओं ने भी ऑपरेशन सिंदूर पर सवाल खड़े किए थे। अलका लांबा ने आरोप लगाया था कि विदेश मंत्री ने ऑपरेशन सिंदूर से पहले पाकिस्तान को जानकारी दी थी। इससे भारतीय सेना को नुकसान हुआ। वहीं, कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने ऑपरेशन सिंदूर के सबूत मांगते हुए पूछा था कि कितने आतंकी मारे गए थे। शशि थरूर ने भी ऑपरेशन सिंदूर की पारदर्शिता पर सवाल उठाते हुए कहा था कि सरकार को नुकसान और उपलब्धियों की स्पष्ट जानकारी देनी चाहिए।

पाकिस्तान नहीं दे पाया विमान गिराने के सबूत
पाकिस्तान ने भारत के छह विमानों को गिराने का दावा किया था। हालांकि, सबूत मांगे जाने पर पाकिस्तान के मंत्री ने कहा था कि सबूत सोशल मीडिया पर मौजूद हैं। दावा यह भी किया गया था कि पाकिस्तान वायुसेना ने राफेल विमानों को मार गिराया है और भारतीय एयरबेस भी तबाह किए हैं। हालांकि, संघर्ष खत्म होने के बाद पीएम मोदी और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह उन एयरबेस में गए, जिन्हें तबाह करने का दावा पाकिस्तान ने किया था। इसके साथ ही भारत ने साबित किया कि पाकिस्तान के दावे झूठे हैं। विदेशी समाचार संस्थानों में अभी भी भारतीय विमानों के मारे जाने और भारत-पाकिस्तान सीजफायर में डोनाल्ड ट्रंप का हाथ होने की खबरें चल रही हैं। इसी आधार पर विपक्ष जांच की मांग कर रहा है। हालांकि, सरकार शुरूआत में ही साफ कर चुकी है कि भारत और पाकिस्तान के बीच डीजीएमओ स्तर पर बातचीत के बाद संर्घष विराम का फैसला लिया गया था।

सीडीएस अनिल चौहान ने क्या कहा था?
सीडीएस अनिल चौहान ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय सेना के विमान गिरने के सवाल पर कहा था कि उनके लिए अहम यह नहीं था कि पाकिस्तान ने कितने विमान गिराए, बल्कि उनके लिए यह अहम था कि विमान कैसे गिराए गए। इसके बाद भारतीय सेना ने अपनी रणनीति बदली और दो दिन बाद पाकिस्तान पर करारा प्रहार किया। भारतीय वायुसेना पाकिस्तान के अंदर 300 किलोमीटर तक हमले करने में सक्षम थी।

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