प्रियंका के साथ बघेल-गहलोत को मिला रायबरेली-अमेठी का जिम्मा

नई दिल्ली :प्रियंका गांधी छह मई से खुद रायबरेली और अमेठी में कैंप करने जा रही हैं। लगाने से यह साफ हो गया है कि कांग्रेस रायबरेली ही नहीं, राहुल गांधी की छोड़ी हुई अमेठी सीट पर भी डटकर चुनाव लड़ेगी।

उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस ने अपनी रणनीति में बड़ा बदलाव कर दिया है। कांग्रेस का गढ़ माने जाने वाली रायबरेली और अमेठी सीट पर जीत का गणित तैयार करने की जिम्मेदारी दो पूर्व मुख्यमंत्रियों को सौंपी गई है। कांग्रेस ने छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को रायबरेली और राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को अमेठी की जिम्मेदारी दी है। दोनों की गिनती गांधी परिवार के करीबी नेताओं में की जाती है।

रायबरेली सीट से इस बार राहुल गांधी मैदान में उतरे हैं, उनका मुकाबला भाजपा के दिनेश प्रताप सिंह से है। जबकि, अमेठी सीट से कांग्रेस ने गांधी परिवार के नजदीकी किशोरी लाल शर्मा को टिकट दिया है। उनका मुकाबला केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी से होगा, जिन्होंने पिछले लोकसभा चुनाव में अमेठी से राहुल गांधी को चुनाव में हराया था।

कांग्रेस की ओर से लोकसभा सीटों के लिए उम्मीदवारों के नामांकन के बाद पर्यवेक्षकों की नियुक्ति की गई है। अमेठी और रायबरेली लोकसभा सीट पर पांचवें चरण के तहत 20 मई को मतदान होना है। इस प्रकार करीब मतदान से 14 दिन और प्रचार अभियान खत्म होने के महज 12 दिन पहले ऑब्जर्वर नियुक्त किए गए हैं। ऐसे में इन दोनों नेताओं के लिए आखिरी समय में जीत का गणित तैयार करना किसी चुनौती से कम नहीं है।

लोकसभा चुनाव के दौरान यह दूसरा मौका है, जब पार्टी ने इन दो कद्दावर नेताओं को अहम जिम्मेदारी सौंपी है। पार्टी ने लोकसभा चुनाव के लिए ‘नेशनल अलायंस कमेटी’ बनाई थी। इसमें भी पार्टी ने इन दोनों नेताओं को शामिल किया था। इन नेताओं को इंडिया गठबंधन में शामिल सभी विपक्षी दलों के साथ सीट शेयरिंग फॉर्मूला तैयार करने की जिम्मेदारी भी सौंपी थी।

चुनावी राजनीति का लंबा अनुभव रखने वाले अशोक गहलोत को लोकसभा चुनावों में चुनौती वाली सीट की जिम्मेदारी दी गई है। इस सीट के परिणाम से अब उनकी सियासी प्रतिष्ठा भी जुड़ गई है। इस सीट पर पिछली बार राहुल गांधी हार गए थे, अब कांग्रेस और गहलोत के सामने यह सीट बड़ी चुनौती है। गहलोत पहले भी कई राज्यों में चुनावी ऑब्जर्वर और इंचार्ज का काम चुके हैं।

गहलोत को कांग्रेस में चुनाव अभियान चलाने और ग्राउंड पर चुनावी माहौल बनाने का विशेषज्ञ माना जाता है। 2017 के गुजरात विधानसभा चुनावों में इंचार्ज के तौर पर गहलोत ने जिस तरह का माहौल बनाया था, उसकी देश भर में चर्चा हुई थी। गरबा में नाचने से लेकर घर-घर जाकर पर्चे बांटकर वोट मांगने की स्टाइल से भी खूब चर्चाएं बटोरी थीं। इस चुनाव में कांग्रेस ने 1995 के बाद पहली बार 77 सीटें जीती थीं। पार्टी ने इसके बाद गहलोत को दोबारा 2022 के गुजरात विधानसभा चुनाव के लिए सीनियर आब्जर्वर नियु्क्त किया था।

हालांकि ये जिम्मेदारी उन्हें तब सौंपी गई थी, जब चुनाव में महज छह माह से भी कम का समय बचा था। इस चुनाव में पार्टी को उम्मीद के मुताबिक नतीजे नहीं मिले थे। गहलोत पिछले डेढ़ दशक से आक्रामक नजर आ रहे हैं। राजस्थान के विधानसभा चुनाव के दौरान भी उन्होंने भाजपा पर तीखे हमले किए। पीएम मोदी और भाजपा नेताओं पर उनके कई बयान सुर्खियों में रहे हैं।

रायबरेली के पयवेक्षक बनाए गए छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम भूपेश बघेल भी छत्तीसगढ़ की राजनांदगांव लोकसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। उनकी सीट पर मतदान पूरा हो गया है। अब 7 मई को छत्तीसगढ़ में तीसरे और अंतिम चरण का मतदान होगा। इससे एक दिन पहले ही बघेल को रायबरेली की जिम्मेदारी सौंपी गई। भूपेश बघेल ने एक्स हैंडल पर पोस्ट कर, इस बड़ी जिम्मेदारी और भरोसे के लिये शीर्ष नेतृत्व का आभार जताया है। इससे पहले भी बघेल को हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए सीनियर ऑब्जर्वर नियुक्त किया था।

दोनों नेताओं के साथ प्रियंका भी रहेंगी तैनात
इस बीच प्रियंका गांधी छह मई से खुद रायबरेली और अमेठी में कैंप करने जा रही हैं। प्रियंका के साथ गहलोत और बघेल की ड्यूटी लगाने से यह साफ हो गया है कि कांग्रेस रायबरेली ही नहीं, राहुल गांधी की छोड़ी हुई अमेठी सीट पर भी डटकर चुनाव लड़ेगी। पार्टी सूत्रों ने कहा कि प्रियंका गांधी ने प्रचार अभियान की कमान संभाल ली है। अब वे दोनों सीटों पर प्रचार करते हुए नजर आएंगी।

प्रियंका सैकड़ों ‘नुक्कड़ सभाएं’, बैठक और घर-घर अभियान कार्यक्रम आयोजित करेंगी। केंद्र रायबरेली होगा, जहां वह एक गेस्ट हाउस में ठहरेंगी। बूथ प्रबंधन से लेकर आउटरीच तक, सब कुछ वह ही संभालेंगी। सूत्रों ने कहा कि स्वतंत्रता सेनानियों के परिवारों और दशकों से गांधी परिवार के साथ पारिवारिक संबंध रखने वाले लोगों तक पहुंच शुरू हो चुकी है। प्रियंका गांधी इन दोनों सीटों के डिजिटल और सोशल मीडिया अभियान की भी निगरानी करेंगी। वे लगभग 250-300 गांवों को कवर करेंगी और दोनों निर्वाचन क्षेत्रों को पर्याप्त समय देंगी।

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