जाति जनगणना से प्रभावी और कल्याणकारी नीतियां बनेंगी : भाजपा प्रदेश अध्यक्ष

1931 में ब्रिटिश सरकार के दौरान जातिगत जनगणना की गई थी

देहरादून : भाजपा ने जाति जनगणना संबंधी निर्णय को ऐतिहासिक एवं विकसित भारत निर्माण में अहम बताया है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष एवं राज्यसभा सांसद महेंद्र भट्ट ने कहा, मोदी सरकार का यह कदम आर्थिक एवं कल्याणकारी नीतियों को अधिक प्रभावी बनाएगा।

पार्टी मुख्यालय में मीडिया से वार्ता में उन्होंने कहा, इससे पहले 1931 में ब्रिटिश सरकार के दौरान जातिगत जनगणना की गई थी, तब पाकिस्तान और बांग्लादेश भारत का हिस्सा थे। उस समय हुई जातियों की गणना में ओबीसी वर्ग की संख्या 27 करोड़ थी। तब से आज तक अनुसूचित जाति एवं जनजातियों को छोड़कर राष्ट्रीय स्तर पर कोई आधिकारिक गणना नहीं हुई । 94 वर्ष बाद जातिगत जनगणना को पुनर्जीवित करने का मोदी सरकार का यह निर्णय साक्ष्य आधारित और पारदर्शिता के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

इससे पूर्व जनगणना 2011 में हुई, उस गणना में ओबीसी और अन्य जातियों की गणना न होने से सही आंकलन नहीं किया गया। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने कांग्रेस पर पलटवार करते हुए कहा, कांग्रेस जब विपक्ष में रही जातिगत गणना की वकालत करती रही, लेकिन सत्ता में आने पर उन्होंने इस पर मौन साध लिया।

दरअसल कांग्रेस ने जातिगत जनगणना को केवल राजनीतिक उपकरण के रूप में इस्तेमाल किया और कभी भी उसे धरातल पर उतारने का प्रयास नही किया। आरोप लगाया कि नेहरू से लेकर राजीव गांधी, मनमोहन तक कांग्रेस के सभी प्रधानमंत्रियों ने इसका समय-समय पर विरोध किया। तेलंगाना की इनकी सरकार ने जातीय सर्वेक्षण कराया, लेकिन रिपोर्ट तीन साल बाद भी सार्वजनिक नहीं की। लिहाजा कांग्रेस की इस संवेदनशील और गंभीर मुद्दे पर की गई, दोगली राजनीति से देश भलीभांति परिचित है।

मीडिया से वार्ता के दौरान ओबीसी मोर्चे के प्रदेश अध्यक्ष राकेश गिरी, दायित्वधारी सुरेश भट्ट, प्रदेश सह मीडिया प्रभारी राजेंद्र नेगी, संपर्क प्रमुख राजीव तलवार, सत्यवीर चौहान मौजूद रहे।

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