समुद्री नौवहन के खतरों के जबाव में भारतीय नौसेना का अदम्य शौर्य का प्रदर्शन

नौ सेना के मुरीद हुये बुल्गारिया के पीएम, मोदी को कहा- थैंक्स

नई दिल्ली : भारत के बढ़ते अंतरराष्ट्रीय कद और हिंद महासागर में इसकी ताकत का एक और सबूत सामने आया, जब भारतीय नौसेना ने समुद्री डाकुओं के कब्जे में आए बुल्गारियाई जहाज को छुड़ा लिया। भारतीय नौसेना के जाबांजी भरे कारनामे के लिए बुल्गारिया के राष्ट्रपति रुमेन रादेव ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का शुक्रिया अदा किया है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर बुल्गारिया के राष्ट्रपति कार्यालय के आधिकारिक हैंडल पर लिखा गया, “अपहृत बुल्गारियाई जहाज “रूएन” और 7 बुल्गारियाई नागरिकों सहित उसके चालक दल को बचाने के लिए भारतीय नौसेना की बहादुरीपूर्ण कार्रवाई के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मेरा हार्दिक आभार।”

भारतीय नौसेना ने हिंद महासागर क्षेत्र में समुद्री नौवहन के खतरों के जबाव में अदम्य शौर्य का प्रदर्शन किया है। पिछले कुछ महीनों के भीतर भारतीय नौसेना ने दर्जनों विदेशी मालवाहक जहाजों की अलग-अलग तरीकों से मदद की है। किसी को समुद्री डाकूओं के कब्जे के छुड़ाया है, तो किसी को ड्रोन हमले से लगी आग से बचाया है। हाल में ही भारतीय नौसेना ने 40 घंटे तक चले ऑपरेशन के बाद सोमाली डाकूओं के कब्जे से एमवी रुएन नाम के एक विदेशी जहाज को बचाया है। यह जहाज पिछले तीन महीनों से सोमालियाई डाकूओं के कब्जे में था। इस जहाज पर सवाल 17 क्रू मेंबर्स का भी सुरक्षित रेस्क्यू किया गया है। भारतीय नौसेना के इस सैन्य अभियान की पूरी दुनिया में तारीफ की जा रही है। ऐसे में खुद को दुनिया की सबसे बड़ी नौसेना वाला देश बताने वाले चीन की टेंशन बढ़ गई है।

भारत हिंद महासागर में सक्रिय योगदानकर्ता
फॉरेन पॉलिसी से बात करते हुए भारतीय नौसेना के रिटायर्ड वाइस एडमिरल अनिल कुमार चावला ने तर्क दिया कि चल रहे ऑपरेशन साबित करते हैं कि भारत अंतरराष्ट्रीय समुदाय और एक समुद्री शक्ति के लिए एक सक्रिय योगदानकर्ता है। हूतियों के हमले और समुद्री डकैती में वृद्धि भारत के लिए, विशेष रूप से हिंद महासागर क्षेत्र में संचार की समुद्री लाइनों (एसएलओसी) को सुरक्षित करने के महत्व को प्रदर्शित करती है। वहीं, रिटायर्ड एडमिरल अरुण प्रकाश मौजूदा स्थिति को भारत की हिंद महासागर क्षेत्र को लेकर समुद्री रणनीति की फिर से जांच करने के अवसर के रूप में देखते हैं। प्रकाश का मानना है कि भारत-मालदीव राजनयिक विवाद और चीनी नौसेना की बढ़ती उपस्थिति सहित मौजूदा खतरों और क्षेत्रीय गतिशीलता को देखते हुए एक अनुकूल समुद्री संचालन वातावरण को बढ़ावा देने के लिए एक नई रणनीति की आवश्यकता है।

भारत के लिए हिंद महासागर बेहद जरूरी
चीनी विशेषज्ञ भारत के लिए हिंद महासागर क्षेत्र में समुद्री संचार लाइनों के महत्व को समझते हैं। यह भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण व्यापार मार्गों की सुरक्षा के लिए आवश्यक है। भारत का वार्षिक व्यापार 235-240 अरब डॉलर के बीच लाल सागर से होकर गुजरता है। हालांकि, चीनी विशेषज्ञों को भारत की मंशा पर संदेह है। उदाहरण के लिए, चाइना इंस्टीट्यूट ऑफ कंटेम्परेरी इंटरनेशनल रिलेशंस में भारतीय सेना के विशेषज्ञ वांग से ने हालिया टिप्पणी में तर्क दिया कि नई दिल्ली “ग्लोबल साउथ” के नेता के रूप में हिंद महासागर क्षेत्र को नियंत्रित करने के लिए संकट का फायदा उठा रही है।

भारतीय नौसेना की ताकत देख चीन बेचैन,
चीन ने मौजूदा संकट के प्रति निष्क्रिय रुख अपनाया
वांग इस संकट को भारतीय नौसेना के लि उत्तर-पश्चिमी हिंद महासागर में अपनी मौजूदगी बढ़ाने के रूप में देखते हैं। उनका मानना है कि भारतीय नौसेना का यह अभियान भारत के क्षेत्रीय सुरक्षा प्रयासों का ही एक अंग है। वांग का यह भी मानना है कि भारत के नौसैनिक अभियान एक जिम्मेदार हितधारक की धारणा बनाने में योगदान करते हैं। अन्य चीनी विशेषज्ञों का मानना है कि हिंद महासागर में भारतीय नौसेना की बढ़ी हुई उपस्थिति उसकी ताकत का संकेत है। वांग की ही तरह सैन्य विशेषज्ञ झांग जुनशे ने ग्लोबल टाइम्स को बताया कि भारत की तैनाती लाल सागर की स्थिति के मूल कारणों का समाधान नहीं करती है। झांग ने तर्क दिया कि नई दिल्ली को संकट को कम करने के लिए चीन सहित अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ अपना सहयोग बढ़ाना चाहिए।

संकट में दुनिया और निष्क्रिय पड़ा हुआ है चीन
यह ध्यान देने वाली बात है कि चीन ने मौजूदा संकट के प्रति असामान्य रूप से निष्क्रिय रुख अपनाया है। चीन ने हमलों को रोकने में मदद के लिए इस क्षेत्र में जहाज भेजने से इनकार कर दिया है। चीनी सरकार ने संकट के जवाब में “स्थिति को शांत करने के लिए सभी पक्षों के साथ काम करने” की केवल अस्पष्ट पेशकश की है। जबकि, चीनी विशेषज्ञों का मानना है कि भारत के साधन अपने लक्ष्य हासिल नहीं करेंगे, इसके बावजूद बड़ा अंतरराष्ट्रीय समुदाय भारत के योगदान का स्वागत करता है। समुद्री डकैती विरोधी अभियानों में वृद्धि से ऑपरेशन प्रॉस्पेरिटी गार्जियन प्रतिभागियों को लाल सागर की स्थिति पर अपनी सेना को केंद्रित करने में मदद मिल सकती है।

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