बिना धर्मांतरण के अंतरधार्मिक विवाह करना गैरकानूनी- इलाहाबाद HC

आर्य समाज मंदिरों की जांच के आदेश

प्रयागराज: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा है कि बिना धर्म बदले अगर कोई अंतरधार्मिक विवाह करता है तो वह गैरकानूनी है। कोर्ट ने एक आदमी के खिलाफ चल रही आपराधिक कार्यवाही को रद्द करने से इनकार कर दिया। उस आदमी पर आरोप है कि उसने एक नाबालिग लड़की से आर्य समाज मंदिर में शादी की थी। इसका मतलब है कि शादी को कानूनी रूप से वैध बनाने के लिए लड़की को धर्म परिवर्तन करना होगा।

बता दें कि याचिकाकर्ता सोनू ने दावा किया कि उसने एक लड़की से आर्य समाज मंदिर में शादी की, जो अब बालिग हो चुकी है और दोनों साथ रह रहे हैं. उसने इस आधार पर अपने खिलाफ दर्ज मुकदमे को रद्द करने की मांग की. हालांकि सरकारी वकील ने तर्क दिया कि दोनों पक्ष अलग-अलग धर्मों से हैं, न ही धर्म परिवर्तन हुआ और न ही विवाह का विधिवत पंजीकरण हुआ. ऐसे में यह शादी कानूनन मान्य नहीं है.

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने राज्य के गृह सचिव को यह जांच करने का आदेश दिया है कि आर्य समाज मंदिर नियमों का पालन किए बिना शादी के सर्टिफिकेट कैसे जारी कर रहे हैं। कोर्ट ने यह भी कहा कि उस आदमी के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही को रद्द नहीं किया जाएगा, जिसने कथित तौर पर एक नाबालिग लड़की का अपहरण करके उससे शादी की थी।

जस्टिस प्रशांत कुमार ने 24 जुलाई को अपने आदेश में स्पष्ट किया कि जांच एक ऐसे अधिकारी द्वारा की जानी चाहिए जो पुलिस उपायुक्त के पद से नीचे का न हो। कोर्ट ने यह आदेश देने से पहले पाया कि लड़का और लड़की दोनों अलग-अलग धर्मों के हैं। कोर्ट ने कहा, “आवेदन में यह कहा गया है कि उन्होंने प्रयागराज के आर्य समाज मंदिर में शादी की है। हालांकि, मौजूदा कानून के अनुसार उचित धर्मांतरण के बिना यह नहीं किया जा सकता था।” इसका मतलब है कि शादी करने से पहले लड़की को अपना धर्म बदलना चाहिए था।

इन टिप्पणियों और निर्देशों के साथ, कोर्ट ने सोनू उर्फ शाहनूर द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया। सोनू ने कोर्ट में एक आदेश को रद्द करने की मांग की थी। यह आदेश 12 सितंबर, 2024 को जारी किया गया था। इस आदेश में सोनू को IPC की धारा 363, 366, 376 और Pocso एक्ट की धारा 3/4 के तहत आरोपी बनाया गया था। उस पर आरोप है कि उसने एक नाबालिग लड़की का अपहरण किया और उससे बलात्कार किया।

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