यूएन के 193 देशों में से केवल तीनों ने ऑपरेशन सिंदूर का समर्थन नहीं किया: विदेशमंत्री
'22 अप्रैल से 17 जून के बीच PM मोदी और ट्रंप के बीच नहीं हुई कोई बात'

नई दिल्ली : लोकसभा में ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा के दौरान विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि भारत ने पाकिस्तान को पूरी दुनिया में बेनकाब कर दिया। उन्होंने कहा कि यूएन में शामिल 193 देशों में से केवल तीन ऐसे देश थे जिन्होंने ऑपरेशन सिंदूर का समर्थन नहीं किया था। बाकी के देशों ने आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव द्विपक्षीय मामला था। किसी अन्य देश के दखल से ऑपरेशन सिंदूर को नहीं रोका गया था बल्कि डीजीएमओ के स्तर पर पाकिस्तान ने ही आगे बढ़कर ऑपरेशन रोकने की गुहार लगाई थी।
भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने विपक्ष की ओर से उठाए गए सीजफायर के दावों को लेकर जवाब दिया. जयशंकर ने कहा कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का भारत-पाकिस्तान के बीच सीजफायर में कोई रोल नहीं है. उन्होंने कहा कि पीएम मोदी और ट्रंप के बीच 22 अप्रैल से लेकर 17 जून के बीच कोई बात भी नहीं हुई है.
एस जयशंकर ने लोकसभा में कहा, ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के बीच 22 अप्रैल से 17 जून के बीच कोई सीधी बातचीत नहीं हुई. 22 अप्रैल को ट्रंप ने पहलगाम हमले के बाद पीएम मोदी से बात की थी और 17 जून को मोदी की कनाडा यात्रा के दौरान दोनों की फोन पर बात हुई थी.’
भारत और पाकिस्तान के बीच युद्धविराम को लेकर डोनाल्ड ट्रंप के दावों को खारिज करते हुए विदेश मंत्री ने कहा कि 22 अप्रैल से 17 जून तक पीएम मोदी और डोनाल्ड ट्रंप के बीच फोन पर कोई बात नहीं हुई। उन्होंने कहा कि 9 मई को अमेरिकी उपराष्ट्रपति ने फोन किया था। प्रधानमंत्री नोदी ने स्पष्ट बता दिया था कि अगर पाकिस्तान कोई हरकत करता है तो उसे मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा।
विदेश नीति पर विपक्ष के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि सरकार की विदेश नीति की ही वजह से अमेरिका ने टीआरएफ को आतंकियों की लिस्ट में डाल दिया है। उन्होंने कहा कि 26/11 आतंकी हमले का आरोपी तहव्वुर राणा अगर अमेरिका से भारत आ गया है तो वह विदेश नीति की वजह से ही संभव हो पाया है।
190 देशों ने दिया भारत का साथ: जयशंकर
पहलगाम हमले के बाद भारत को विदेश से समर्थन नहीं मिलने के विपक्ष के दावों को खारिज करते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र के 193 सदस्यों में से पाकिस्तान और तीन अन्य देशों को छोड़कर सभी ने ऑपरेशन सिंदूर का समर्थन किया था.
पाकिस्तान को सख्त मैसेज देना जरूरी था: विदेश मंत्री
ऑपरेशन सिंदूर पर लोकसभा में बोलते हुए जयशंकर ने पाकिस्तान को चीन के समर्थन पर विपक्ष के आरोपों को नकारते हुए कहा कि दोनों देशों की साझेदारी 60 साल से कांग्रेस के समय से चल रही है. विदेश मंत्री ने सदन में कहा, ‘पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तान को स्पष्ट संदेश देना जरूरी था. हमारी सीमाएं लांघी गईं तो यह संदेश देना जरूरी था कि परिणाम अच्छे नहीं होंगे.’
आतंकवाद को कतई बर्दाश्त नहीं करेगा भारत: जयशंकर
उन्होंने हमले के बाद सिंधु जल संधि को स्थगित करने और अटारी सीमा बंद करने जैसे कूटनीतिक निर्णयों का जिक्र करते हुए कहा कि इन शुरुआती कदमों के बाद भारत का जवाब रुका नहीं. उन्होंने कहा कि भारत ने वैश्विक विमर्श और कूटनीतिक माहौल बनाकर यह स्पष्ट संदेश दिया कि उसकी आतंकवाद को कतई बर्दाश्त नहीं करने की नीति है और वह अपने लोगों की रक्षा करेगा.
जयशंकर ने कहा कि पाकिस्तान के संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) का सदस्य होने के नाते उस मंच पर इस संबंध में समर्थन पाना भारत के लिए कठिन था, लेकिन सुरक्षा परिषद के 25 अप्रैल के बयान को देखें तो इसमें कड़े से कड़े शब्दों में पहलगाम हमले की निंदा की गई. उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र के 193 सदस्य देशों में से पाकिस्तान को छोड़कर केवल तीन ने ऑपरेशन सिंदूर का विरोध किया.
परमाणु ब्लैकमेलिंग के आगे नहीं झुका भारत: विदेश मंत्री
विदेश मंत्री ने कहा कि इस दौरान देश ने कोई बाहरी मध्यस्थता स्वीकार नहीं की और परमाणु ब्लैकमेलिंग के आगे नहीं झुका. उन्होंने कहा कि ‘क्वाड’ और ‘ब्रिक्स’ जैसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी पहलगाम हमले की कड़ी निंदा की गई. जयशंकर ने कहा कि अमेरिका ने बीते 17 जुलाई को ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ (टीआरएफ) को वैश्विक आतंकवादी घोषित किया, जिसने पहलगाम हमले की जिम्मेदारी ली थी. 26/11 के मुंबई आतंकी हमले के आरोपी तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण की पृष्ठभूमि में यह फैसला आया.
फ्रांस, जर्मनी और EU ने आतंकवाद के खिलाफ रुख अपनाया: जयशंकर
उन्होंने विपक्ष के कुछ सवालों का जवाब देते हुए कहा, ‘यह हमारी कूटनीति की सफलता है. हमारे कठोर कदमों की झलक दूसरे देशों में भी दिखी और फ्रांस, जर्मनी और यूरोपीय संघ ने आतंकवाद के खिलाफ रुख अपनाया.’ विदेश मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के वादे के अनुसार, हमारे सशस्त्र बलों ने पाकिस्तान को जवाब दिया और उसके हमलों को नाकाम कर दिया.
अमेरिका से बातचीत में व्यापार से जुड़ा कोई मुद्दा नहीं
उन्होंने कहा कि इसे प्रमाणित करने के लिए उपग्रह की तस्वीरें उपलब्ध हैं. 10 मई को कई फोन कॉल आए और बताया गया कि पाकिस्तान संघर्ष विराम को तैयार है. हमने कहा कि डीजीएमओ के माध्यम से पाकिस्तान से यह अनुरोध आना चाहिए. उन्होंने स्पष्ट किया कि इस दौरान अमेरिका से बातचीत में व्यापार से जुड़ा कोई मुद्दा नहीं आया.
विपक्ष के हंगामे से भड़क गए अमित शाह
इस दौरान विपक्ष के सदस्यों के टोकाटोकी करने पर गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, ‘हमारी आपत्ति है कि विपक्ष के सदस्य शपथ लेकर सदस्य बनने वाले विदेश मंत्री के बयान पर भरोसा नहीं कर रहे, दूसरे देशों के बयान पर भरोसा करते हैं. इसलिए ये विपक्ष में बैठे हैं और 20 साल तक वहां बैठने वाले हैं.’
जयशंकर ने विपक्ष के कुछ आरोपों पर कहा कि 2008 के मुंबई आतंकी हमले के बाद शर्म अल शेख में तत्कालीन संप्रग सरकार और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने कहा कि आतंकवाद दोनों देशों के लिए खतरा है. उन्होंने कहा, ‘जिस सरकार ने बहावलपुर और मुरीदके में आतंकी शिविरों को तबाह कर दिया और इतने कदम आतंकवाद के खिलाफ उठाए, उससे विपक्ष के लोग सवाल पूछ रहे हैं.’
चीन यात्रा पर क्या बोले विदेश मंत्री?
जयशंकर ने पाकिस्तान को चीन के समर्थन पर सरकार को घेरने के लिए विपक्ष को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि पाक-चीन साझेदारी 60 साल से चल रही है. अपनी चीन यात्रा पर विपक्ष के हमलों पर उन्होंने कहा, ‘मैं चीन गया था तनाव कम करने के संबंध में अपना रुख साफ करने. मैं गुप्त समझौता और ओलंपिक देखने के लिए नहीं गया.’
उन्होंने कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्होंने डोकलाम पर देश के बजाय चीनी राजदूत से जानकारी लेना उचित समझा. विदेश मंत्री ने कहा कि आज पाकिस्तान से लगी सीमा हो या चीन से लगी सीमा, भारतीय सेना पूरी तरह मुस्तैद है.
सीमापार आतंकवाद की चुनौती अब भी कायम
उन्होंने कहा, ‘60 साल तक सीमा की अनदेखी हुई. पिछले दस साल में बहुत काम हुआ है और काफी कुछ होना है.’ जयशंकर ने कहा कि सीमापार आतंकवाद की चुनौती अब भी कायम है और भारत ने अपना रुख स्पष्ट कर दिया है कि आतंकवाद और बतचीत साथ-साथ नहीं चल सकते, खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते.