गुरुग्राम में किडनी रैकेट का फंडाभोड़, 2 से 4 लाख में किडनी की खरीदारी

रैकेट के तार बांग्लादेश और जयपुर से जुड़े हैं

गुरुग्रामः हरियाणा के गुरुग्राम के सेक्टर 39 इलाके में किडनी रैकेट का फंडाभोड़ किया गया है. गुरुग्राम पुलिस, स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी और सीएम फ्लाइंग ने संयुक्त छापेमारी करते हुए किडनी रैकेट के बड़े नेक्सेस का खुलासा किया है. इस रैकेट के तार बांग्लादेश और जयपुर से जुड़े हुए बताए जा रहे हैं. पुलिस ने मौके से 3 बांग्लादेशी डोनर को भी पकड़ा है. बताया जा रहा है कि 2 से 4 लाख रुपये में किडनी की खरीदारी होती थी और फिर जयपुर में ले जाकर उसे ट्रांसप्लांट किया जाया था. किडनी ट्रांसप्लांट का रैकेट गुरुग्राम के निजी होटल से अवैध तौर पर चल रहा था.

सीएम फ्लाइंग स्क्वॉड को सूचना मिली कि मोहम्मद मुर्तजा अंसारी अंग प्रत्यारोपण का एक गिरोह चला रहा है। वह मांडर, रांची, झारखंड का रहने वाला है। मोहम्मत मुर्तजा सेक्टर-39 स्थित बाबिल पैलेस गेस्ट हाउस में ही डोनर्स व रिसीवर को ठहराता है। जिस पर गुरुवार सुबह करीब 7 बजे टीम ने बाबिल पैलेस पर रेड की। यहां टीम को मोहम्मद मुर्तजा तो नहीं मिला, जबकि गेस्ट हाउस के मालिक रोहित से पूछताछ की गई। रोहित ने खुलासा किया कि कुछ बांग्लादेशी मेहमान रुके हुए हैं। मेहमानों को मोहम्मद मुर्तजा अंसारी लाया था। संदेह जताया गया कि जो लोग ठहरे हैं वे मरीज हैं।

मामला सामने आने के बाद पुलिस जांच-पड़ताल में जुट गई है. पुलिस का कहना है कि यह पूरा मामला बेहद संवेदनशील है. बता दें कि किडनी रैकेट का गुरुग्राम में यह पहला मामला नहीं है. इससे पूर्व 2008 में इसी तरह का एक और मामला सामने आया था. गुरुग्राम के पालम विहार थाना क्षेत्र में उत्तर प्रदेश से लोगों को लाकर उनकी किडनी निकाली जाती थी और किडनी अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा और सऊदी अरब जैसे देशों में प्रत्यारोपित किया जाता था.

इस मामले के आरोपी अमित को 7 फरवरी को साल 2008 में नेपाल से गिरफ्तार किया था. इस रैकेट के गुरुग्राम में चलाए जाने की जानकारी भी यूपी के एक गेस्ट हाउस से मिली थी. जब पुलिस ने छापेमारी की तो मौके से दो दर्जन लोगों को चंगुल से छुड़ाया गया. किडनी निकालने के लिए पहले लोगों को नौकरी की लालच दी जाती थी और क्लिनिक में बुलाया जाता था और फिर किडनी निकलवाने के लिए 30 हजार रुपये का लालच दिया जाता था. वहीं जो लोग इसका विरोध करते थे, उन्हें दवा देकर बेहोश कर दिया जाता था और फिर उनकी किडनी निकाल ली जाती थी.

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