यूपी के ईंट भट्ठा उद्योग में बड़ा बदलाव, पर्यावरण संरक्षण के लिए नियमावली में संशोधन

सरकार द्वारा पारंपरिक लाल ईंट के विकल्पों को बढ़ावा देने पर जोर

लखनऊ : प्रदेश सरकार पर्यावरण संरक्षण को ध्यान में रखते हुए प्रदेश में ईंट भट्ठा उद्योग के नियमन की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाने जा रही है। इसके तहत पर्यावरण विभाग, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, राज्य कर विभाग और अन्य संबंधित विभागों के बीच समन्वय बढ़ाने के साथ-साथ पारंपरिक लाल ईंट के विकल्पों को बढ़ावा देने पर जोर दिया जा रहा है। इसके साथ ही जल्द ईंट भट्ठों की नियमावली में संशोधन होने जा रहा है। इससे पर्यावरण संरक्षण को बल मिलने के साथ ही ईंट भट्ठा उद्योग को भी व्यवस्थित और टिकाऊ बनाया जा सकेगा।

प्रदेश में ईंट भट्ठा उद्योग को नियमित करने के लिए उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश बीएन खरे की विधिक राय भी ली गई है। इसी आधार पर नियमावली में संशोधन का प्रस्ताव तैयार किया गया है। जल्द ही इसे स्वीकृति मिलने की उम्मीद है। वर्ष 2012 से पहले प्रदेश में ईंट भट्ठों के लिए कोई स्पष्ट नियमावली नहीं थी।

2012 में बनी नियमावली के तहत एक ओर प्रदेश के लगभग 6500 ईंट भट्ठे अवैध घोषित हो गये थे, लेकिन इसके बाद भी ईंट भट्ठों के अनियमित संचालन के कारण कर की वसूली नहीं हो पा रही है। वहीं, दूसरी ओर नियम के तहत ईंट भट्ठों का संचालन करने वाले कई ईंट भट्ठा मालिकों को आर्थिक नुकसान हो रहा था।

प्रदेश में ईंट भट्ठा उद्योग में जीएसटी संग्रह में कमी को लेकर राज्य कर विभाग, पर्यावरण विभाग, और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की पिछले दिनों हुई एक संयुक्त बैठक में निर्णय लिया गया कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा सहमति प्राप्त सभी ईंट भट्ठों की सूची राज्य कर विभाग को सौंपी जाएगी।

ईंट भट्ठों से कर संग्रह की प्रक्रिया को और अधिक प्रभावी बनाया जाएगा। इसके साथ ही पारंपरिक लाल ईंट के विकल्पों को बढ़ावा देने पर भी जोर दिया जा रहा है। इसके लिए फ्लाई ऐश ईंट, एएसी ब्लाक और पेवर ब्लाक जैसे पर्यावरण-अनुकूल विकल्पों को बढ़ावा देने का निर्णय लिया गया है।

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