फिर बदलने जा रहे हैं स्टेशनों के नाम, यूपी के 8 स्टेशन शामिल

नई दिल्ली: कुछ महीनों पहले भारतीय रेलवे ने तीन बड़े स्टेशनों, मुगलसराय, इलाहाबाद और गोमो का नाम बदला था. अब एक बार फिर कुछ स्टेशनों का नाम बदलने वाले हैं. जी हां, उत्तर प्रदेश के कुल आठ रेलवे स्टेशनों का नाम जल्द ही बदला जाएगा. यह गृह मंत्रालय द्वारा राज्य सरकार के प्रस्ताव को मंजूरी दिए जाने के बाद हुआ है. किसी स्टेशन का नाम बदलने के लिए, स्टेशन प्रशासन को गृह मंत्रालय से अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) प्राप्त करना पड़ता है. आइए आपको बताते हैं कि किन स्टेशनों को नया नाम दिया जाएगा.
उत्तर प्रदेश के इन स्टेशनों के बदल जाएंगे नाम
ET की रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर प्रदेश में आठ स्टेशनों का नाम जल्द बदला जा सकता है. इसमें फुरसतगंज, कासिमपुर हॉल्ट, जायस सिटी, बानी, मिसरौली, निहालगढ़, अकबरगंज और वारिसगंज शामिल हैं. रिपोर्ट की मानें तो फुरसतगंज रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर तपेश्वरनाथ धाम, कासिमपुर हॉल्ट का नाम जायस सिटी, जायस सिटी का नाम गुरु गोरखनाथ धाम, बानी का नाम स्वामी परमहंस, मिसरौली का नाम मां कालिकन धाम, निहालगढ़ का नाम महाराजा बिजली पासी, वारिसगंज का अमर शहीद भाले सुल्तान और अकबरगंज का नाम मां अहोरवा भवानी धाम रखा जाएगा. इन नामों को लेकर आधिकारिक अधिसूचना जल्द जारी हो सकती है.
इससे पहले बदले गए स्टेशनों के नाम
बता दें कि देश की आजादी के बाद से सरकार ने देश भर में 100 से अधिक स्टेशनों का नाम बदला हैं. इनमें अयोध्या का नाम बदलकर अयोध्या धाम रेलवे स्टेशन, इलाहाबाद जंक्शन का नाम प्रयागराज जंक्शन, मुगलसराय जंक्शन का नाम दीन दयाल उपाध्याय जंक्शन, चेन्नई सेंट्रल का नाम एमजीआर चेन्नई सेंट्रल, बड़ौदा का नाम वडोदरा, बुलसर का नाम वलसाड, ओलावकोट का नाम पालघाट, बेलासिस रोड का नाम मुंबई सेंट्रल, बॉम्बे का नाम मुंबई, पूना का नाम पुणे, शोलापुर का नाम सोलापुर आदि रखा गया हैं.
भारत में रेलवे स्टेशनों के नाम बदलने की प्रक्रिया
रेल मंत्रालय अपने दम पर स्टेशनों में बदलाव या उनके नाम नहीं बदल सकता है. इसके प्रस्ताव को स्टेशन प्रशासन द्वारा शुरू किया जाता है. एक बार जब राज्य सरकार द्वारा किसी विशेष नाम को मंजूरी दे दी जाती है, तो प्रस्ताव को आगे की मंजूरी के लिए MHA में भेजा जाता है. मंत्रालय रेल मंत्रालय को लूप में रखते हुए अपनी मंजूरी देता है. एक बार आधिकारिक रूप से अधिसूचित होने के बाद रेलवे शेष प्रक्रिया जैसे कि नए स्टेशन कोड, टिकटिंग सिस्टम में बदलाव, प्लेटफ़ॉर्म साइनेज आदि शुरू करता है. आम तौर पर स्टेशन का नाम तीन भाषाओं में लिखा जाता है – हिंदी, अंग्रेजी और स्थानीय भाषा.