तालिबान के दांव से बुरी तरह फंस गया पाकिस्तान

पाकिस्तान में टीटीपी के आतंकियों ने तेज कर दिए हैं हमले

इस्लामाबाद: पाकिस्तान ने जिस तालिबान पर अपना सबसे बड़ा दांव खेला था, उसने ही पाकिस्तान को ऐसा झटका दिया है कि पाकिस्तान तड़प रहा है। तालिबान के अफगानिस्तान की सत्ता पर काबिज होने के बाद अचानक ही उसके पाकिस्तानी संस्करण तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) में फिर से जान दौड़ आई। टीटीपी ने छोटे-छोटे संगठनों का विलय कर खुद को संगठित किया, आधुनिक हथियार हासिल किए और पाकिस्तान पर एक बार फिर कहर बनकर टूट पड़ा। पाकिस्तान में आतंकी हमले तेज हो गए और दोनों देशों के बीच आज तनाव अपने सबसे चरम पर है।

अमेरिका के जाने के बाद जब साल 2021 में तालिबान ने काबुल ने प्रवेश किया था, तो उस समय सबसे ज्यादा खुश पाकिस्तान हुआ था। पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री इमरान खान तो इतने जोश में थे कि उन्होंने कह दिया कि अफगानों ने गुलामी की जंजीरें तोड़ दी हैं। तालिबान अभी काबुल में सेटल हो ही रहे थे कि एक सप्ताह के भीतर ही पाकिस्तानी सेना की खुफिया विंग आईएसआई के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल फैज हमीद वहां पहुंच गए। आईएसआई चीफ ने तब एक विदेशी पत्रकार से यहां तक कह दिया था कि सब ठीक हो जाएगा। लेकिन आज 3 साल होने को हैं और पाकिस्तान का खुमार उतर चुका है। हालात ठीक होने की बात कौन करे, बिगड़ इतने गए कि उसी पाकिस्तान की वायु सेना ने ‘भाई अफगानिस्तान’ पर हवाई हमला बोल दिया।

अफगानिस्तान को जिम्मेदार बता रहा पाकिस्तान
पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने 28 मार्च को एक बयान दिया जिसमें उन्होंने अफगानिस्तान को पाकिस्तान में आतंकवाद के लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार बताया। उन्होंने कहा कि आतंकवाद से निपटने में काबुल उन्हें सहयोग नहीं कर रहा। आसिफ ने इसके पहले तालिबान को ये भी धमकी दे दी थी कि वे भारत और अफगानिस्तान को दिया जाने वाला आर्थिक गलियारा बंद कर देंगे। ये वही ख्वाजा आसिफ हैं, जिन्होंने साल 2020 में कतर में अमेरिका और तालिबान के बीच समझौते पर हस्ताक्षर को बुराई पर अच्छाई पर जीत बताया था। उस समय ख्वाजा आसिफ ने एक्स पर लिखा था, “आपके (अमेरिका) के पास शक्तिशाली सेना हो सकती है, लेकिन अल्लाह हमारे साथ है। अल्लाह महान है।”

पाकिस्तान और अफगानिस्तान में भड़का तनाव
पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच तनाव ने इसी महीने उग्र रूप ले लिया जब उत्तरी वजीरिस्तान जिले में पाकिस्तानी चौकी पर भयानक आतंकी हमला हुआ। 6 आत्मघाती हमलावरों ने विस्फोटकों से भरा ट्रक चौकी में घुसा कर पाकिस्तानी सेना के दो अधिकारी समेत सात जवानों को मार डाला। हमले की जिम्मेदारी हाफिज गुल बहादुर नाम के संगठन ने ली, जो टीटीपी का ही एक सहयोगी संगठन है। हमले से तिलमिलाए पाकिस्तान ने अफगानिस्तान के अंदर हवाई हमला बोल दिया और दावा किया कि उसने टीटीपी के कमांडर को निशाना बनाया है। हमले पर अफगान तालिबान भड़क उठा और उसने पाकिस्तान को संभलकर रहने की चेतावनी दे डाली।

बात बयानबाजी तक ही नहीं रुकी, अफगान सेना ने पक्तिका प्रांत की सीमा के पार पाकिस्तानी सैनिकों पर मोर्टार भी दागे। इसके साथ ही अफगानिस्तान के विदेश विभाग ने पाकिस्तान के राजदूत को समन भी भेजा और उनसे आपत्ति जताई। जिन तालिबान नेताओं को कभी पाकिस्तान ने अपने घर में पनाह दी थी, आज वे ही उसके राजदूत को बुलाकर क्लास लगा रहे हैं। ये पाकिस्तान के लिए अजीब स्थिति है, लेकिन पाकिस्तान लाचार है और कुछ कर नहीं पा रहा है।
तालिबान ने पाकिस्तान को दिया बड़ा झटका, भारत के बनाए बंदरगाह से करेगा व्यापार

पाकिस्तान से संबंध तोड़ रहा अफगान तालिबान
एक तरफ पाकिस्तान पर टीटीपी के हमले लगातार जारी हैं, दूसरी तरफ अफगान तालिबान भी पाकिस्तान से दूरी बना रहा है। मार्च के आखिरी सप्ताह में ही तालिबान सरकार के वाणिज्य मंत्रालय ने बताया कि अफगानिस्तान का अधिकांश व्यापार अब कराची के बजाय ईरान के चाबहार पोर्ट के माध्यम से हो रहा है। चाबहार पोर्ट का निर्माण भारत ने किया है और भारत से बढ़ती तालिबान की नजदीकी ने पाकिस्तान को और चिढ़ा दिया है। मार्च के पहले सप्ताह में भारत के विदेश विभाग के उपसचिव जेपी सिंह के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल से तालिबान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी ने मुलाकात की थी। इस दौरान चाबहार के रास्ते व्यापार को बढ़ाने पर जोर देने पर चर्चा हुई थी।

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