ऑपरेशन के बीच सैंपल जांच करा रिपोर्ट भी वापस लाया ड्रोन
ड्रोन से 37 किमी दूर पहुंचाया मरीज का सैंपल, मरीजों को मिल सकती है ‘आपातकालीन’ जांच सुविधा

नई दिल्लीः इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च (प्ब्डत्) स्वास्थ्य संबंधी उद्देश्यों के लिए ड्रोन का उपयोग करने में अग्रणी रहा है। उसने मणिपुर और नागालैंड के दूरदराज के क्षेत्रों में चिकित्सा आपूर्ति, टीके और दवाओं का वितरण किया है। इसी क्रम में प्ब्डत् ने सर्जरी के दौरान सैंपल को ड्रोन से जांच के लिए भेज कर नई सफलता हासिल की।
भारत ड्रोन क्रांति की ओर कदम बढ़ा रहा है। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (प्ब्डत्) ने एक और सफलता हासिल की। संस्था ने कर्नाटक के एक अस्पताल से टिश्यू (ऊतक) सैंपल को पैथोलॉजिकल टेस्टिंग के लिए भेजा। खास बात यह रही कि सर्जरी के बीच में ही यह ट्रायल किया गया ताकि यह पता लगाया जा सके कि टिश्यू कैंसरग्रस्त था या नहीं? देश में ड्रोन इकोसिस्टम के विस्तार के राष्ट्रीय मिशन को जारी रखते हुए आईसीएमआर ने बुधवार को अपनी आई-ड्रोन पहल के तहत ड्रोन से ऑन्को-पैथोलॉजिकल सैंपल को भेजने का सफलतापूर्वक परीक्षण किया।
ड्रोन ने करकाल स्थित डॉ. टीएमए पीएआई रोटरी अस्पताल के मरीज से ऑपरेशन के जरिए निकाले गए जैव नमूनों (बायलॉजिकल सैंपल्स) को मणिपाल स्थित मणिपाल उच्च शिक्षा अकादमी के कस्तूरबा मेडिकल कॉलेज तक कुशलतापूर्वक पहुंचाया। ड्रोन ने 37 किलोमीटर दूरी तय करने में 15-20 मिनट लगाया जबकि सड़क मार्ग से लगभग 50-60 मिनट लगते हैं। सैंपल का तुरंत विश्लेषण किया गया और रिपोर्ट इलेक्ट्रॉनिक रूप से अस्पताल को वापस भेज दी गई। इसके बाद, सर्जन ने प्राप्त रिपोर्ट के आधार पर सर्जरी को आगे बढ़ाया।
आईसीएमआर, कस्तूरबा मेडिकल कॉलेज (केएमसी) और डॉ. टीएमए पीएआई रोटरी अस्पताल के सहयोगात्मक प्रयासों से देश में पहली बार एक अध्ययन के तहत परीक्षण शुरू किया गया है। कस्तूरबा मेडिकल कॉलेज के साथ आईसीएमआर अभी कर्नाटक के मणिपाल में एक अध्ययन कर रहा है।
बयान में कहा गया है कि अध्ययन का उद्देश्य द्वितीय स्तर के स्वास्थ्य सुविधाओं से तृतीय स्तर के अस्पतालों तक पैथोलॉजी नमूनों जैसी वस्तुओं के परिवहन के लिए हवाई परिवहन प्रणालियों (ड्रोन) के संभावित उपयोग का मूल्यांकन करना है।
कोविड महामारी के दौरान पहली बार आई ड्रोन का प्रयोग किया गया था। उस समय दूर-दराज के क्षेत्रों में ड्रोन के जरिए वैक्सीन पहुंचाई गई थी। स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग (डीएचआर) के सचिव और आईसीएमआर के महानिदेशक डॉ. राजीव बहल ने इस बात पर ने कहा कि आईसीएमआर ने आई-ड्रोन पहल का उपयोग शुरुआत में दुर्गम क्षेत्रों तक टीके वितरित करने के लिए कोविड-19 महामारी के दौरान किया था।
अब ड्रोन कृषि, रक्षा, आपदा राहत और स्वास्थ्य सेवा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं, खासकर आपातकालीन स्थितियों के दौरान दूरदराज और दुर्गम क्षेत्रों में टीके, दवाएं और महत्वपूर्ण आपूर्ति तेजी से पहुंचाने में सक्षम होते हैं।