ED के नोटिस पर पेश क्यों नहीं हुए केजरीवाल? सुप्रीम कोर्ट की तीखे सवाल

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बयान दर्ज कराने के लिए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा बार-बार समन जारी किए जाने के बावजूद ईडी के समक्ष उनके पेश नहीं होने पर सोमवार को सवाल उठाया. न्यायालय ने कहा कि क्या वह अपने बयान दर्ज नहीं किये जाने के आधार पर, आबकारी नीति घोटाले से जुड़े धन शोधन के एक मामले में अपनी गिरफ्तारी को चुनौती दे सकते हैं.
शीर्ष अदालत ने कहा कि जब वह समन के बावजूद पेश नहीं हुए तो अब धारा 50 के तहत बयान दर्ज न किए जाने को आधार बनाकर दलील कैसे दे सकते हैं? कोर्ट ने केजरीवाल से यह भी पूछा कि उन्होंने जमानत अर्जी क्यों नहीं दाखिल की?
केजरीवाल की गिरफ्तारी को गैरकानूनी बताते हुए उनके वकील ने कहा कि समन पर पेश न होने या जांच में सहयोग न करने के आधार पर गिरफ्तारी नहीं हो सकती।
केजरीवाल की गिरफ्तारी को बताया गैरकानूनी
सिंघवी ने कहा कि वह शुरुआती गिरफ्तारी को ही गैरकानूनी मानते हैं। इसलिए विरोध नहीं किया। पीठ ने कहा कि किसी सामान्य केस में अगर कोई गिरफ्तार होता है तो उसे कोर्ट में पेश किया जाता है। रिमांड मांगे जाने पर कोर्ट विचार करता है कि रिमांड देनी है कि नहीं। अगर कोर्ट रिमांड नहीं देता है तो जमानत अर्जी दी जाती है और अगर कोर्ट को ठीक लगता है तो जमानत दे देता है। नहीं तो अभियुक्त को न्यायिक हिरासत में भेज देता है।
9 समन पर क्यों नहीं पेश हुए केजरीवाल
पीएमएलए की धारा 19 के तहत किसी की गिरफ्तारी तभी हो सकती है जबकि इस विश्वास का कारण और सामग्री हो कि आरोपित दोषी है। ऐसा विश्वास करने के लिए इस मामले में कोई सामग्री नहीं है। ¨सघवी ने कहा कि करीब 10 दस्तावेज हैं, जिनमें केजरीवाल का नाम नहीं लिया गया है। इसमें तीन आरोपपत्र और गवाहों के बयान शामिल हैं। जब सिंघवी ने कहा कि धारा 50 में दर्ज उनका बयान कहां है। तो पीठ ने कहा कि आप नौ समन पर पेश नहीं हुए। जांच में सहयोग नहीं किया।
जब आप बयान दर्ज कराने के लिए पेश ही नहीं हुए तो आप धारा 50 में बयान दर्ज न किए जाने की दलील कैसे दे सकते हैं। सिंघवी ने कहा कि ईडी उन्हें गिरफ्तार करने उनके घर आई थी। वह ईडी के पास नहीं गए थे। जब ईडी गिरफ्तारी के लिए घर आ सकती है तो बयान दर्ज कराने भी आ सकती है। इसके अलावा वह सीबीआइ के नोटिस पर पेश हुए थे और उन्होंने ईडी के भी हर समन का विस्तृत जवाब दिया था और कुछ सवाल पूछे थे।
जांच में सहयोग न करना गिरफ्तारी का आधार
सिंघवी ने कहा, समन पर पेश न होना और जांच में सहयोग न करना गिरफ्तारी का आधार नहीं हो सकता। उन्होंने इस संबंध में कोर्ट के एक पूर्व फैसले का हवाला दिया। उन्होंने कहा कि इस मामले में गवाहों के जो बयान उनके पक्ष में हैं, ईडी ने उन्हें रिकार्ड पर नहीं रखा है। सिर्फ खिलाफ वाले बयान को ही आधार बनाकर गिरफ्तारी की है। उनके खिलाफ पांच बयान हैं, जिनमें से एक ने राजनीतिक दल तेदेपा ज्वाइन की है। एक ने चुनावी बांड खरीदा है तथा एक और राजनीतिक दल से जुड़ा है।
पीएमएलए की धारा 19 क्या कहती है?
मनी लांड्रिंग रोकथाम कानून (पीएमएलए) की धारा 19 पर ध्यान दिया जाना चाहिए। इसके मुताबिक आरोपित के दोषी होने के कारण और उसके समर्थन में सामग्री होने पर ही गिरफ्तारी हो सकती है।
सिंघवी ने कहा यह सामान्य आपराधिक मामले में अपनाई जाने वाली प्रक्रिया है। पीएमएलए इससे ऊपर है। उसकी धारा 19 कहती है कि गिरफ्तारी का कारण और आधार ज्यादा पुख्ता होना चाहिए। सिंघवी ने कहा कि उन्होंने रिट याचिका दाखिल कर गैरकानूनी गिरफ्तारी के व्यापक मुद्दे को उठाया है।
चुनाव घोषित होने और आचार संहिता लागू होने के बाद गिरफ्तार किए जाने पर सवाल उठाते हुए कहा कि इस समय गिरफ्तार करने की कोई जरूरत नहीं थी। जिन बयानों के आधार पर केजरीवाल की गिरफ्तारी की गई है, वे बयान ईडी के पास नौ महीने से थे। मामले की सुनवाई मंगलवार को भी जारी रहेगी।
24 मार्च को हुई थी केजरीवाल की गिरफ्तारी
ईडी ने आबकारी नीति घोटाले से जुड़े मनी लांड्रिंग मामले में केजरीवाल को 24 मार्च को गिरफ्तार किया था। वह फिलहाल न्यायिक हिरासत में तिहाड़ जेल में हैं। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती दी है। हाई कोर्ट ने केजरीवाल की गिरफ्तारी को वैध ठहराया है। केजरीवाल की याचिका पर सोमवार को न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और दीपांकर दत्ता की पीठ ने सुनवाई की।
सुनवाई शुरू होते ही पीठ ने केजरीवाल के वकील अभिषेक मनु सिंघवी से पूछा कि क्या केजरीवाल ने जमानत अर्जी दाखिल की है। सिंघवी ने जब इन्कार किया तो कोर्ट ने पूछा कि जमानत अर्जी क्यों नहीं दाखिल की। सिंघवी ने कहा, क्योंकि गिरफ्तारी गैरकानूनी है। तभी ईडी की ओर से पेश एडीशनल सालिसिटर जनरल एसवी राजू ने कहा कि केजरीवाल ने बाद में उन्हें हिरासत में भेजे जाने का विरोध नहीं किया था। यह तथ्य भी गौर करने लायक है।