1991 बैच के आईपीएस अधिकारी यूपी के नए कार्यवाहक डीजीपी नियुक्त

लखनऊ : प्रदेश सरकार ने वर्ष 1991 बैच के आईपीएस अधिकारी राजीव कृष्णा को डीजीपी नियुक्त किया है। उप्र पुलिस भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड के अध्यक्ष के साथ डायरेक्टर विजिलेंस की जिम्मेदारी संभाल रहे राजीव कृष्ण 11 वरिष्ठ आईपीएस अफसरों को सुपरसीड कर डीजीपी बनाए गए हैं। बता दें कि निवर्तमान डीजीपी प्रशांत कुमार को सेवा विस्तार नहीं मिल सका, जिसके बाद देर शाम राजीव कृष्णा को डीजीपी बनाने की घोषणा कर दी है।

मूल रूप से गौतमबुद्धनगर के निवासी राजीव कृष्णा इलेक्ट्रानिक्स एंड कम्युनिकेशन से इंजीनियरिंग की है। उन्हें दो बार राष्ट्रपति का गैलेंट्री अवार्ड भी मिल चुका है। उनकी सेवानिवृत्ति में अभी चार वर्ष और एक माह का समय बाकी है, जिसकी वजह से वह लंबे समय तक प्रदेश के डीजीपी बने रह सकते हैं।

प्रदेश में वर्ष 2017 में भाजपा सरकार के गठन के बाद यह नौवें डीजीपी की तैनाती है। 24 अप्रैल, 2017 को सबसे पहले सुलखान सिंह डीजीपी बने थे, जिन्हें एक सेवा विस्तार भी मिला था। उनके बाद ओपी सिंह, हितेश चंद्र अवस्थी व मुकुल गोयल पूर्णकालिक डीजीपी के रूप में तैनात रहे। जबकि डा. देवेन्द्र सिंह चौहान को 12, मई 2022 को पहला कार्यवाहक डीजीपी बनाया गया था। इसके बाद डीजीपी के चयन के लिए संघ लोक सेवा आयोग को कोई प्रस्ताव नहीं भेजा गया है।

चौहान के बाद 31 मार्च,2023 को डा.आरके विश्वकर्मा दूसरे व इसी वर्ष 31 मई को विजय कुमार तीसरे कार्यवाहक डीजीपी बने। विजय कुमार का सेवाकाल 31 जनवरी, 2024 को पूरा हुआ था, जिसके उपरांत प्रशांंत कुमार चौथे कार्यवाहक डीजीपी बनाया गया था।

नए डीजीपी के चयन की चर्चाएं शुरू होने के बाद राजीव कृष्ण को ही इस पद का सबसे प्रबल दावेदार माना जा रहा था। 1991 बैच में वह वरिष्ठता सूची में तीसरे स्थान पर हैं। इस बैच में आलोक शर्मा व पीयूष आनन्द वरिष्ठता क्रम में आगे हैं पर दोनों ही अधिकारी केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर हैं।

प्रशांत कुमार के साथ ही 31 मई को 1990 बैच के ही आइपीएस अधिकारी पीवी रामाशास्त्री व डा.संजय एम. तरडे का भी सेवाकाल पूरा हाे गया। रामशास्त्री डीजी जेल व तरडे डीजी टेलीकाम के पद पर तैनात थे।

एक जून को एडीजी के पद पर तैनात 1992 बैच के आइपीएस अधिकारी आशुतोष पांडेय, आनन्द स्वरूप व नीरा रावत डीजी के पद पर प्रोन्नत हो जाएंंगे। जल्द ही नए डीजी जेल व डीजी टेलीकाम की तैनाती के साथ ही इस स्तर के अधिकारियों में अन्य फेरबदल हो सकते हैं।

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