घर क्यों नहीं लाते हैं मेहनंदीपुर बालाजी का प्रसाद? जानें इसके पीछे का रहस्य

भारत में ऐसे कई दिव्य मंदिर स्थित है, जो अपने रहस्य और दैवीय शक्तियों के लिए प्रसिद्ध है। राजस्थान स्थित मेहंदीपुर बालाजी का मंदिर इन्हीं मंदिरों में से एक है। इस मंदिर को लेकर लोगों की अलग-अलग मान्यताएं हैं। बालाजी के प्रति भक्तों की अपार आस्था है इसलिए यहां हमेशा श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है।

मेहंदीपुर बालाजी मंदिर में दूर-दूर से भक्तगण अपनी अर्जी लगाने आते हैं। कहते हैं कि बालाजी के दरबार से कोई भी भक्त खाली हाथ कभी नहीं लौटता है। इसके अलावा बालाजी लोगों के अंदर से हर नकारात्मक शक्तियों को दूर भगा देते हैं। तो चलिए आज जानते मेहंदीपुर बालाजी मंदिर के बारे से जुड़ी मान्यताएं और यहां के नियम के बारे में।

मेहनंदीपुर बालाजी मंदिर में दर्शन करने से हनुमान जी मनोकामनाएं पूरी करते हैं. क्या आप जानते हैं यहां प्रसाद चढ़ाने के बाद घर लाने की मनाही होती है. आइए जानते हैं इसके पीछे का कारण और रहस्य के बारे में.

शनिवार का दिन है और हिन्दू धर्म में इस दिन न्याय के देवता शनिदेव और हनुमान जी की पूजा करने का विधान है. इसी के चलते आज हम आपको हनुमान जी के प्रसिद्ध मंदिर मेहनंदीपुर बालाजी मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं. जानकारी के लिए बता दें ये मंदिर राजस्थान के सिकराय स्थित है. हर साल यहां भारी संख्या में श्रद्धालु पूजा-अर्चना करने के लिए पहुंचते हैं.

मान्यता है कि इस मंदिर में दर्शन करने से हनुमान जी मनोकामनाएं पूरी करते हैं. क्या आप जानते हैं यहां प्रसाद चढ़ाने के बाद घर लाने की मनाही होती है. आइए जानते हैं इसके पीछे का कारण और रहस्य के बारे में.

क्यों नहीं लाया जाता है प्रसाद?
मेहनंदीपुर बालाजी मंदिर दौसा की दो पहाड़ियों के बीच स्थित है. इस मंदिर में बालाजी महाराज और भैरव बाबा विराजमान हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार में यहां पूजा दर्शन करने से भूत-प्रेत जैसी समस्याओं से छुटकारा मिलता है.

इस कारण मंदिर से खानपान का सामान या फिर प्रसाद और सुंगधित चीजों को घर पर नहीं लाना चाहिए. इससे इंसान पर भूत-प्रेत का साया आ सकता है. यहां केवल प्रसाद अर्पित किया जाता है और न ही खाया जा सकता है, न किसी को दिया जा सकता है.

मंदिर में इन नियमों का भी रखें ध्यान
मेहंदीपुर बालाजी मंदिर में जाने से पहले कुछ नियमों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है। दर्शन करने से कम-से-कम एक हफ्ते पहले से भक्तों को प्याज, लहसुन, नॉनवेज और शराब आदि का सेवन बंद कर देना चाहिए। तभी बजरंगबली प्रसन्न होते हैं। साथ ही प्रभु श्री राम और सीता के दर्शन करना जरूरी है वरना पूर्ण फल प्राप्त नहीं होता। मेहंदीपुर बालाजी की आरती के समय केवल भगवान की तरफ ही देखें। इस समय पीछे मुड़कर देखना या इधर-उधर नहीं देखना चाहिए।

इस तरीके से चढ़ाया जाता है प्रसाद
मेहंदीपुर बालाजी मंदिर में प्रसाद दो तरीके से चढ़ाया जाता है। एक होता है दरखास्त और दूसरा अर्जी। दरखास्त के प्रसाद को 2 बार खरीदना होता है। इस प्रसाद को चढ़ाने के बाद मंदिर से शीघ्र ही निकल जाना होता है। वहीं, अर्जी का प्रसाद 3 थालियों में दिया जाता है। अर्जी का प्रसाद लौटते समय पीछे की ओर फेंका जाता है। जिसे मुड़कर देखना मना है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button