अमेरिका द्वारा भारत को CAA पर उपदेश देने से भड़के हरीश साल्वे

कहा- क्या अमेरिका अपने यहां ‘उत्पीड़ित फलिस्तीनियों’ को देगा नागरिकता?

नई दिल्ली: अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मशहूर भारतीय वकील हरीश साल्वे ने नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) पर अमेरिका की ओर से की गई हालिया टिप्पणियों पर तीखी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि यूएस को इस मामले में चुप रहने की जरूरत है.

दरअसल, अमेरिकी विदेश विभाग ने भारत में धार्मिक स्वतंत्रता पर सीएए के संभावित प्रभाव को लेकर चिंता जताई थी. साथ ही कहा था कि अमेरिका की सरकार इस पर बारीकी से नजर रखे हुए है. इसे लेकर साल्वे ने अमेरिका को आईना दिखाया है.

‘क्या दुनियाभर के पीड़ितों के लिए अपने बॉर्डर खोलेगा अमेरिका?’
एक टीवी चैनल को दिये इंटरव्यू में हरीश साल्वे ने कहा कि क्या अमेरिका दुनियाभर में उत्पीड़ित अल्पसंख्यकों के लिए अपने बॉर्डर खोलेगा?

उन्होंने कहा, ”क्या यूएस पाकिस्तान के अहमदिया, म्यांमार के रोहिंग्या या उन गरीब फिलिस्तीनियों को खुली नागरिकता देगा जिन्हें बेरहमी से मारा जा रहा है. अगर नहीं तो अमेरिका को चुप रहना चाहिए.”

हरीश साल्वे ने अमेरिका से इजरायल के प्रति अपने समर्थन पर फिर से विचार करने की अपील की. उन्होंने कहा कि यूएस को दूसरे देशों को उपदेश देने के बजाय अपनी आंतरिक चुनौतियों से निपटने पर ध्यान देना चाहिए.

‘धर्म का नहीं करने दिया जा रहा पालन’
हरीश साल्वे ने कहा, ”पाकिस्तान में चीजें बदली हैं, उसने खुद को इस्लामिक राज्य घोषित किया था. बांग्लादेश भी खुद को इस्लामिक गणराज्य कहता है और हम सभी तालिबान के साथ अफगानिस्तान का दुर्भाग्य देख रहे हैं.”

उन्होंने आगे कहा, ”गृह मंत्री (अमित शाह) का कहना है कि इन देशों में गैर-इस्लामी आबादी में तेजी से गिरावट आई है. इसलिए भारत कह रहा है कि जो लोग भारतीय जातीयता के हैं, भारतीय उपमहाद्वीप के पारसी, सिख, ईसाई और हिंदू हैं… उन्हें फास्ट-ट्रैक नागरिकता मिलेगी क्योंकि इन इस्लामिक राज्यों में उन्हें अपने धर्म का स्वतंत्र रूप से पालन करने की अनुमति नहीं है.”

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