लखनऊ लोकसभा सीट के महामुकाबला और राजनाथ सिंह

अटल के इलाके में कितनी चुनौती दे पाएंगे रविदास?

लखनऊ: लोकसभा चुनाव 2024 बेहद नज़दीक हैं और चुनाव आयोग बहुत जल्द चुनाव की तारिखों का एलान कर सकता है। सत्ताधरी दल बीजेपी पीएम नरेंद्र मोदी की अगुवाई में लगातार तीसरी बार सत्ता पर काबिज होने के लिए पूरा जोर लगा रही है। वहीं विपक्षी दल भी उलटफेर करने की रणनीति पर काम कर रहे हैं। सीटों के लिहाज से सबसे अहम यूपी की 80 लोकसभा सीट पर बीजेपी और इंडी एलायंस की नजर है। बीजेपी और सपा ने कई सीटों पर अपने उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं। बीजेपी ने वाराणसी से नरेंद्र मोदी तो लखनऊ से राजनाथ सिंह को टिकट दिया है। उधर लखनऊ मध्य से सपा विधायक रविदास मेहरोत्रा इंडी एलायंस के साझा प्रत्याशी होंगे।

1991 से बीजेपी का कब्जा, राजनाथ सिंह 2 बार रहे चुके सांसद
दरअसल पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी की कर्मभूमि रही लखनऊ लोकसभा सीट बीजेपी का गढ़ माना जाता है। ये सीट 1991 से बीजेपी के कब्जे में हैं। अटल बिहारी बाजपेयी ने 1991 में जीत का सिलसिला जो शुरू किया था वो अभी तक चला आ रहा है। लखनऊ सीट से बीजेपी 8 चुनाव जीत चुकी है। जिमसें 5 बार अटल जी सांसद बने, एक बार लाल जी टंडन और 2014 और 2019 को मिलाकर दो बार राजनाथ सिंह सांसद बन चुके हैं। इस लोकसभा में 5 विधानसभा सीट आती है। जिसमें जिनमें लखनऊ पश्चिम, लखनऊ उत्तरी, लखनऊ पूर्वी, लखनऊ मध्य और लखनऊ कैंट विधानसभा सीट शामिल है। इसमें से 3 सीट पर बीजेपी ने 2022 चुनाव में जीत दर्ज की थी।

लखनऊ लोकसभा सीट की संख्या और जातीय समीकरण
2011 मतगणना के मुताबिक लगभग 45 लाख जनसंख्या वाली लखनऊ लोकसभा सीट में 2019 के आंकड़े के अनुसार 19.37 लाख वोटर है। जिसमें पुरुषों की संख्या 11 लाख के करीब है वहीं 9 लाख के करीब महिला वोटर शामिल है। इसमें 2024 की अंतिम मतदाता सूची में हो सकता है। वहीं लखनऊ के जातीय समीकरणों पर नजर डाले तो करीब 71 फीसदी आबादी हिंदू समाज से है। जिसमें 18 प्रतिशत वोटर राजपूत और ब्राह्मण है।

बाकी में अन्य जातियां शामिल हैं। लखनऊ में करीब 18 प्रतिशत मुस्लिम वोटर हैं। जबकि 28 फीसदी के करीब ओबीसी समाज से जुड़े लोग लखनऊ संसदीय सीट का वोटर है। वहीं अनुसूचित जन जातीय 0.2% और अनुसूचित जाति लगभग 18 फीसदी के करीब है। लखनऊ में सड़क, पानी, बिजली, सुरक्षा और ट्रैफिक व्यवस्था प्रमुख मुद्दे हैं।

अटल जी की सीट मानी जाती है लखनऊ सीट-
लखनऊ की सीट बीजेपी से ज्यादा अटल जी की सीट मानी जाती है और उन्हें मानने वाले लोग अटल जी को ही बीजेपी मानते हैं। यही कारण है कि इस सीट से बीजेपी का जो उम्मीदवार चुनाव लड़ता है वह बड़े अंतर से जीत दर्ज करता है। अटल जी के बीमार पड़ने के बाद लालजी टंडन को टिकट मिला था तब लालजी टंडन ने कहा कि मैं अटल जी के खड़ाऊ लेकर निकला हूं। टंडन उस चुनाव में बहुत आसानी से जीत गए थे। इसलिए इस सीट पर कम्पटीशन नाम की कोई चीज नहीं है। इस सीट पर फ़िल्म के लोगों का भी प्रयोग किया जा चुका हैं। बीबीडी के मालिक अखिलेश दास भी इतना खर्चा करने के बाद तीसरे स्थान पर रहे थे।

लखनऊ में सपा मजबूत पर जीत की स्थिति में नहीं
नवल कांत सिन्हा ने बताया कि राजनाथ सिंह एक बड़े नेता है। उनकी अपनी एक पहचान है। शहर के अंदर बने ओवरब्रिज, सड़के, आउटर रिंग रोड सहित तमाम ऐसे काम है जो राजनाथ सिंह की वजह से हो पाए हैं। क्योंकि ये केंद्रीय स्तर के काम थे और कोई होता तो शायद इतना बजट ना मिल पाता। मोदी फैक्टर, राम मंदिर निर्माण और बीजेपी की सेफ सीट होने के कारण लखनऊ सीट किसी को किसी भी हालत में जाने वाली नहीं है। वरिष्ठ पत्रकार ने बताया कि कांग्रेस का यूपी में कोई जनाधार नहीं है, इसलिए कांग्रेस का लखनऊ में कोई असर नहीं है। हालांकि सपा मजबूत स्थिति में जरूर है। सपा का एक तगड़ा वोट बैंक भी है। उसके बावजूद सपा जीत दर्ज करने की स्थिति में नहीं है।

5 में से 2 सीट पर समाजवादी पार्टी के विधायक
वहीं लखनऊ लोकसभा सीट में 5 विधानसभा सीट आती है। लेकिन 2022 विधानसभा चुनाव में मोदी फैक्टर और बुल्डोजर बाबा यानी सीएम योगी की लहर होने के चलते जहां बीजेपी ने पूर्ण बहुमत के साथ जीत दर्ज की थी। वहीं राजधानी लखनऊ की 9 विधानसभा सीटों में 2 सीट पर समाजवादी पार्टी ने बीजेपी को हरा दिया था। यह दोनों ही सीट लखनऊ लोकसभा सीट के अंतर्गत आती है। लखनऊ लोकसभा में कुल 5 विधानसभा सीट आती है। सपा ने उन 5 में से 2 सीट पर सपा उम्मीदवार रविदास मेहरोत्रा ने लखनऊ मध्य और लखनऊ पश्चिम से अरमान खान ने जीत दर्ज की थी। जबकि 2017 विधानसभा चुनाव में लखनऊ मध्य और लखनऊ पश्चिम से बीजेपी कैंडिडेट जीते थे।

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