CAA पर शाहीन बाग के लोगों ने खुलकर कही दिल की बात

'हम भ्रमित थे, हमें धरना प्रदर्शन नहीं करना है, राजनीतिक दल चाहते हैं कि हम धरना-प्रदर्शन करें

नई दिल्ली; नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के नाम पर तैनात पुलिस बल के सिवाय सड़कों पर कोई हलचल नहीं। सीएए के विरोध में करीब चार साल पहले चार माह तक आंदोलनरत रहे शाहीन बाग में गुरुवार को यही नजारा देखने को मिला। शाहीन बाग में रहने वाली शबाना ने कहा कि अब प्रदर्शन और विरोध की जरूरत नहीं है। मुसलमानों को इस कानून से कोई परेशानी नहीं है।

सीएए का विरोध करने वालों का सोच बदलता नजर आया। धरने पर बैठने वाली महिलाओं-पुरुषों के मन में पैदा हुईं आशंकाएं दूर होती देखी गईं। 15 दिसंबर 2019 को संसद में सीएए के पास होने पर शाहीन बाग में विरोध प्रदर्शन शुरू हुआ था। महिलाएं-पुरुष सड़क पर धरने पर बैठ गए थे। खासकर महिलाओं का यह धरना-प्रदर्शन चार माह तक चला था।

कोरोना की वजह से धारा 144 लागू होने के बाद दिल्ली से पुलिस ने धरना खत्म करा दिया था। अब सीएए लागू हो गया है। मगर यहां माहौल बिल्कुल जुदा है। कपड़े की दुकान करने वाले हनीफ से सीएए के बारे में बात करनी शुरू की तभी वहां खड़ी शबाना तपाक से बोल पड़ीं, अब प्रदर्शन और विरोध की जरूरत नहीं है। मुसलमानों को इस कानून से कोई परेशानी नहीं है। हनीफ भी उनकी हां में हां मिलाते नजर आए।

पूर्व में हुए धरना-प्रदर्शन के सवाल पर उन्होंने कहा,”तब लोगों ने हमें बताया था कि सीएए के जरिये मुसलमानों को देश से निकालने की कोशिश की जा रही है। इससे डर कर हमारे घर की महिलाएं धरने पर बैठी थीं। अब हमें पता चला है कि ऐसा कुछ नहीं है।”

लोगों ने कहा-हमें धरना प्रदर्शन नहीं करना है
शाहीन बाग के वासिद कहते हैं कि मुसलमानों को इस कानून से डरने की जरूरत नहीं है। शाहीन बाग में काफी संख्या में सुरक्षाकर्मी तैनात हैं। यहां अब सुरक्षाकर्मियों को इतनी संख्या में तैनात करने की जरूरत नहीं है। हम अमन से रह रहे हैं। हमें कोई धरना प्रदर्शन नहीं करना है। हमें इस कानून का कोई नुकसान और न ही कोई फायदा है।

कहा- खतीजा बेगम कहती हैं कि देश में पहले से ही कितनी बेरोजगारी है। कुछ लोग अपने बच्चों का पेट मुश्किल से भर पाते हैं। दूसरे देश के लोगों को नागरिकता देने से पहले अपने देश के नागरिकों के रोजगार और बेहतर शिक्षा मुहैया करानी चाहिए थी।

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