राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने पूर्व पीएम आडवाणी को दिया भारत रत्न

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी रहे मौजूद रहे उनके घर पर

नई दिल्लीः भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी को रविवार को भारत रत्न दिया गया। लालकृष्ण आडवाणी के घर पर चल कर आया ‘भारत रत्न’, मोदी की मौजूदगी में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने वहीं उन्हें सम्मानित किया।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने रविवार (31 मार्च 2024) को भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी के आवास पर जाकर उन्हें देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ दिया। इस दौरान राष्ट्रपति के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और गृहमंत्री अमित शाह भी मौजूद थे। दरअसल, आडवाणी के खराब स्वास्थ्य के कारण उनके घर जाकर यह सम्मान सौंपा गया।

लालकृष्ण आडवाणी का जन्म 8 नवंबर 1927 को वर्तमान पाकिस्तान के कराची शहर में हुआ था। उन्होंने कराची के सेंट पैट्रिक और सिंध स्थित हैदराबाद के डीजी नेशनल कॉलेज से पढ़ाई की है। लालकृष्ण आडवाणी मात्र 14 वर्षों की उम्र में 1941 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में शामिल हो गए थे। सन 1947 वे संघ की कराची ईकाई के सचिव बने।

बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 3 फरवरी 2024 को उन्हें भारत रत्न देने की घोषणा की थी। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और भाजपा के संस्थापक सदस्य नानाजी देशमुख के बाद लालकृष्ण आडवाणी भारत रत्न सम्मान पाने वाले भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े तीसरे नेता हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 3 फरवरी 2024 को भारत रत्न देने की घोषणा करते हुए कहा था कि उन्हें ये बताते हुए खुशी हो रही है कि पूर्व उप-प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी को ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया जाएगा। उन्होंने आडवाणी से बात करके उन्हें बधाई भी दी थी। पीएम ने आडवाणी को अपने समय के सबसे सम्मानित नेताओं में से एक बताते हुए कहा था कि भारत के विकास में उनका योगदान चिरस्मरणीय है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लालकृष्ण आडवाणी के साथ अपनी 2 तस्वीरें पोस्ट की थी और लिखा था, “लालकृष्ण आडवाणी का जीवन जमीनी स्तर पर काम करने से शुरू हुआ और उप-प्रधानमंत्री के रूप में देश की सेवा करने तक पहुँचा। हमारे गृह एवं सूचना-प्रसारण मंत्री के रूप में भी उन्होंने छाप छोड़ी। संसद में उनके संबोधन हमेशा अनुकरणीय और समृद्ध अंतःदृष्टि से परिपूर्ण रहे।”

सन 15 अगस्त 1947 में भारत के विभाजन के बाद उनका परिवार मुंबई में आ गया। 1951 में उन्हें जनसंघ ने राजस्थान में संगठन की जिम्मेदारी सौंपी और 6 वर्षों तक घूम-घूम कर उन्होंने जनता से संवाद किया था और संपर्क बनाया था। 1967 में दिल्ली महानगरपालिका परिषद का अध्यक्ष चुने जाने के साथ उन्होंने चुनावी राजनीति में कदम रखा था।

लालकृष्ण आडवाणी का सार्वजनिक जीवन 7 दशकों से भी अधिक का रहा है। 96 वर्ष की उम्र में भी वो लिखने-पढ़ने में रुचि रखते हैं। लालकृष्ण आडवाणी लोकसभा में गाँधीनगर और नई दिल्ली का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। वहीं उन्हें दिल्ली, गुजरात और मध्य प्रदेश से राज्यसभा सांसद भी चुना गया था। 3 बार उन्होंने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष की कमान सँभाली।

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