राजनीति की भी आदर्श आचार संहिता बनाने की आवययकता

राजनीतिक व्यवस्था में व्यापक सुधार जरूरी

रंग पर्व होली के साथ ही विश्व के सबसे बड़े लोकतांत्रिक महोत्सव आम चुनाव की प्रक्रिया भी आरंभ हो गई है। इस चुनाव में करीब 97 करोड़ मतदाता हैं। निर्वाचन आयोग द्वारा चुनाव घोषणा के साथ ही आदर्श चुनाव आचार संहिता भी लागू हो गई है। स्वतंत्र निष्पक्ष और निर्भीक चुनाव निर्वाचन आयोग का संवैधानिक कर्तव्य है।

निष्पक्ष, निर्भीक और स्वतंत्र चुनाव में धनबल एक बड़ी चुनौती बनकर उभरा है। वोट के बदले नोट की घटनाएं होती रही हैं। प्रशासन अवैध धन और शराब आदि की धरपकड़ की चुनौती से जूझता है। इसमें कई बार निर्दोष भी उत्पीड़न का शिकार होते हैं। निष्पक्ष चुनाव के लिए आदर्श चुनाव आचार संहिता ही एकमात्र उपाय है, लेकिन ऐसी संहिता के पीछे कानून की शक्ति नहीं है।

उसका उल्लंघन करने वालों को दंडित करने की कानूनी शक्ति का अभाव है। बेशक आचार संहिता के पालनीय नियम लोक प्रतिनिधित्व कानून, चुनाव नियम और अन्य अधिनियमों का सार हैं, लेकिन राजनीति के खिलाड़ी प्रायः खेल के नियम नहीं मानते। आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन की घटनाएं लगातार बढ़ी हैं।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button