भाजपा तमिलानाडु से वीरप्पन की बेटी विद्या रानी की लोकसभा प्रत्याशी

कितनी पढ़ी लिखी है डाकू वीरप्पन की बेटी विद्या रानी?

चेन्नईः चंदन तस्कर ‘वीरप्पन की बेटी विद्या रानी’ शनिवार को बीजेपी में शामिल हो गईं. कृष्णगिरी में बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव मुरलीधर राव, पूर्व केंद्रीय मंत्री पॉन राधा कृष्णन समेत अन्य नेताओं की मौजूदगी में विद्या समेत सैकड़ों लोग पार्टी में शामिल हुए. बीजेपी में शामिल होने के बाद विद्या रानी ने कहा कि मैं गरीबों और वंचितों के लिए काम करना चाहती हूं. पीएम मोदी की योजनाएं लोगों के लिए हैं और मैं उन्हें लोगों तक ले जाना चाहती हूं।

लोकसभा चुनाव 2024 की अधिसूचना जारी कर दी गई है. आम चुनाव कुल 7 चरणों में होगा. चंदन तस्कर और डाकू वीरप्पन की बेटी विद्या रानी भी तमिलनाडु से लोकसभा का चुनाव लड़ेंगी. वह कृष्णागिरि लोकसभा सीट से तमिलर काची के टिकट पर चुनाव लड़ेंगी. उन्होंने हाल ही में बीजेपी छोड़ी है. वह आदिवासियों और दलितों के हित के लिए काम करती रही हैं. आइए जानते हैं कि विद्या रानी ने कहां तक पढ़ाई की है और उनकी शुरूआती पढ़ाई कहां से हुई है।

आश्रम से की पढ़ाई:- विद्या रानी को आरएसएस और वनवासी कल्याण आश्रम ने गोद ले लिया था. वहीं रहकर उन्होंने अपनी शुरूआती पढ़ाई पूरी है. वह शुरू से ही अपने पिता को अपना आदर्श मानी है. हाल ही उन्होंने एक बयान में कहा था कि मेरे पिता हमेशा गरीबों के बारे में सोचते थे, लेकिन उनका रास्ता गलत था. उन्होंने कहा कि वह लोगों की सेवा करने के लिए राजनीति में आई हैं।

कहां तक की है पढ़ाई?
विद्या रानी ने वीवी पुरम लॉ कॉलेज से पढ़ाई की है. वह एक वकील और एक एक्टिविस्ट हैं. वह कृष्णागिरि इलाके में बच्चों के लिए एक स्कूल चलाती हैं. दलित और आदिवासियों के लिए काम करती हैं. उन्होंने 2020 में बीजेपी ज्वाइन किया था

बता दें कि चंदन तस्कर और कुख्यात डाकू वीरप्पन 2004 में तमिलनाडु पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स के साथ मुठभेड़ के दौरान मारा गया था. विद्या रानी अपने पिता से केवल एक बार ही मिली हैं. वह अपने नाना के घर पर रहती थी और वहीं पर उनकी मुलाकात अपने पिता वीरप्पन से हुई थी. उस समय वह तीसरी कक्षा में पढ़ाती थी।

चरवाहा परिवार में हुआ था वीरप्पन का जन्म
वीरप्पन का जन्म 18 जनवरी 1952 को तमिलानाडु के गोपीनाथम गांव में एक चरवाहा परिवार में हुआ था. वीरप्पन का पूरा नाम कूज मुनिस्वामी वीरप्पा गौड़न था. बचपन में उसे लोग मोलाकाई नाम से बुलाते थे. 18 वर्ष की उम्र में वह एक अवैध रूप से शिकार करने वाले गिरोह का सदस्य बन गया था. देखते ही देखते वीरप्प ने उसने चंदन और हाथीदांत का सबसे बड़ा तस्कर बना गया था. 2004 में एसटीएफ के साथ मुठभेड़ में वह मारा गया था।

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