नेपाल में उठी हिंदू राष्ट्र की मांग
राजा की वापसी के लिए सड़कों पर उतरे लोग

काठमांडू: नेपाल में हिंदू राष्ट्र की मांग उठ रही है। 9 अप्रैल को हजारों की संख्या में लोग काठमांडू की सड़कों पर उतरे। लोगों ने राजशाही की वापसी के लिए प्रदर्शन किया। पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प देखी गई। इस दौरान रास्ते में लगे बैरिकेड्स तोड़ने की कोशिश की गई। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज किया।
इस दौरान उनकी पुलिस के साथ झड़प भी हुई। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए बांस-बल्लों, आंसू गैस और पानी की बौछारों का इस्तेमाल किया। यह प्रदर्शन नेपाल की राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी के नेतृत्व में हो रहा था। इस दौरान लोगों ने नारे लगाते हुए कहा, “हम अपने देश और राजा से अपनी जान से ज्यादा प्यार करते हैं। गणतंत्र को खत्म कर राजशाही की देश में वापसी होनी चाहिए।”
नेपाल 2007 में बना धर्मनिरपेक्ष देश, 2008 में खत्म हुई राजशाही
इससे पहले प्रजातंत्र पार्टी ने फरवरी में 40 पॉइंट का एक मैमोरैंडम भी PM ऑफिस को भेजा था। इसमें भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने की मांग की गई थी। दरअसल, नेपाल में साल 2006 में राजशाही के खिलाफ विद्रोह तेज हो गया था। कई हफ्तों तक चले विरोध प्रदर्शन के बाद तत्कालीन राजा ज्ञानेंद्र को शासन छोड़कर सभी ताकत संसद को सौंपनी पड़ी।
साल 2007 में नेपाल को हिंदू से धर्मनिरपेक्ष देश घोषित कर दिया गया। इसके अगले साल आधिकारिक तौर पर राजशाही खत्म कर चुनाव कराए गए। इसी के साथ वहां 240 साल से चली आ रही राजशाही का अंत हो गया। तब से लेकर अब तक नेपाल में 13 सरकारें रह चुकी हैं। नेपाल नें पिछले कुछ समय से राजनीतिक तौर पर काफी अस्थिरता रही है।
PM प्रचंड ने चीन समर्थक ओली के साथ नया गठबंधन बनाया था
हाल ही में नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड ने नेपाली कांग्रेस पार्टी के साथ गठबंधन तोड़ लिया था। उन्होंने केपी शर्मा ओली के नेतृत्व वाली कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल (UML) के साथ मिलकर नई सरकार बनाई, जिसका रुख चीन समर्थक कहा जाता है।
क्यों राजा की वापसी चाहते हैं लोग
पूर्व राजा ज्ञानेंद्र के पास अभी भी कुछ समर्थन है, लेकिन सत्ता में वापसी की संभावना कम है। राजशाही के समर्थक देश के प्रमुख राजनीतिक दलों पर भ्रष्टाचार और विफल शासन का आरोप लगाते रहे हैं। उनका कहना है कि लोग राजनेताओं से खुश नहीं हैं। राजशाही खत्म होने के बाद नेपाल में 13 सरकारें बन चुकी हैं। यह सरकारें भारत और चीन के बीच फंसी रहती हैं। कुछ सप्ताह पहले ही में नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड ने नेपाली कांग्रेस के साथ गठबंधन तोड़ लिया। उन्होंने केपी शर्मा ओली के नेतृत्व वाले कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल (UML) के साथ मिलकर नई सरकार बनाई, जिसका रुख चीन समर्थक रहा है।