सीमा से सटे पंजाब के शहरों में चीनी ड्रोन छोड़ रहा है पाकिस्तान!
पंजाब में ड्रोन के जरिए 'हथियार' और 'नशे' के पैकेट गिराने की रफ्तार बढ़ी

अमृतसर/नई दिल्ली:पाकिस्तान को चीन से भारी मात्रा में ड्रोन हासिल हुए हैं। इन्हीं ड्रोन के जरिए पड़ोसी मुल्क, पंजाब में रोजाना ड्रग्स व हथियार भेज रहा है। सीमा पार पाकिस्तानी इंटेलिजेंस एजेंसी ‘आईएसआई’ द्वारा ड्रोन भेजने के लिए वहां के आतंकी संगठनों एवं तस्करों को तकनीकी मदद दी जाती है।
लोकसभा चुनाव के दौरान पाकिस्तान ने पंजाब में ड्रोन के जरिए ‘हथियार’ और ‘नशे’ के पैकेट गिराने की रफ्तार बढ़ा दी है। पहले सप्ताह में दो चार ड्रोन आते थे, वहीं दो सप्ताह में अब डेढ़ दर्जन से अधिक ड्रोन बरामद हो रहे हैं। पंजाब में अंतरराष्ट्रीय सीमा से लगते गांवों के खेतों में बीएसएफ के सतर्क जवान, महज 24 घंटे में ही तीन से चार ड्रोन बरामद कर रहे हैं। खास बात है कि बीएसएफ द्वारा बरामद किए गए सभी ड्रोन चीन निर्मित हैं।
इंटेलिजेंस एजेंसियों के सूत्रों के मुताबिक, पाकिस्तान को चीन से हजारों ड्रोन की एक बड़ी खेप प्राप्त हुई है। अब पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई ने ये ड्रोन आतंकियों, घुसपैठियों और तस्करों को मुहैया कराए हैं। पाकिस्तान की सीमा से ये ड्रोन पंजाब के सीमावर्ती गांवों के खेतों में भेजे जा रहे हैं। अधिकांश ड्रोन के साथ पीले रंग की टेप वाला एक पैकेट रहता है। उसमें हथियार या ड्रग्स के छोटे पैकेट होते हैं।
पाकिस्तान को चीन से ड्रोन की बड़ी खेप हासिल हुई
पाकिस्तान को चीन से भारी मात्रा में ड्रोन हासिल हुए हैं। इन्हीं ड्रोन के जरिए पड़ोसी मुल्क, पंजाब में रोजाना ड्रग्स व हथियार भेज रहा है। सीमा पार पाकिस्तानी इंटेलिजेंस एजेंसी ‘आईएसआई’ द्वारा ड्रोन भेजने के लिए वहां के आतंकी संगठनों एवं तस्करों को तकनीकी मदद दी जाती है। केंद्रीय सुरक्षा एजेंसी के उच्चपदस्थ सूत्रों का कहना है, पाकिस्तान और चीन का यह खेल तो अब सभी के सामने है।
इसमें कहीं कोई शक नहीं है। पाकिस्तान को चीन से ड्रोन की बड़ी खेप हासिल हुई है। हालांकि इन ड्रोन की खरीद का कोई वित्तीय मेकेनिज्म नजर नहीं आता। संभव है कि दोनों मुल्कों के बीच किसी अन्य समझौते की बदौलत ये ड्रोन पाकिस्तान पहुंचे हैं। कुछ महीने पहले तक सप्ताह में पाकिस्तान की तरफ से पंजाब में दो चार ड्रोन आते थे, अब पिछले कुछ समय से लगातार ड्रोन आ रहे हैं। कई बार तो एक ही दिन में कई ड्रोन छोड़े जा रहे हैं। बीएसएफ द्वारा मार गिराए गए अधिकांश ड्रोन, क्वाडकॉप्टर (मॉडल डीजेआई मेविक 3 क्लासिक, मेड इन चाइना) और क्वाडकॉप्टर (मॉडल डीजेआई मैट्रिस 300 आरटीके, मेड इन चाइना) सीरिज के होते हैं।
सालाना 15 करोड़ रुपये खर्च करता है पड़ोसी
सूत्रों के मुताबिक, पाकिस्तान से पंजाब में आने वाले अनेक ड्रोन पहले असेंबल भी किए जाते रहे हैं। पाकिस्तान को चीन से सस्ती दरों पर ड्रोन के पुर्जे मिल जाते हैं। इन्हें पाकिस्तान में जोड़ कर ड्रोन तैयार किया जाता है। चाइनीज पुर्जों के जरिए डेढ़ से दो लाख रुपये में एक ड्रोन तैयार हो जाता है। पंजाब सेक्टर में बीएसएफ द्वारा मार गिराए गए अनेक ड्रोन ‘क्वाडकॉप्टर डीजेआई मैट्रिस 300 आरटीके सीरिज’ के रहे हैं। ड्रोन का फ्लाइंग टाइम और भार सहने की क्षमता पर कीमत तय होती है। आर्थिक मार के बावजूद भारतीय सीमा में घुसपैठ कराने के लिए, पाकिस्तान सालाना 15 करोड़ रुपये खर्च करता है। सीमा सुरक्षा बल के अधिकारी बताते हैं कि पाकिस्तान द्वारा गत दो वर्षों से भारी संख्या में ड्रोन, भारतीय सीमा में भेजे जा रहे हैं। गत वर्ष अकेले पंजाब में ही करीब ढाई सौ ड्रोन आए थे। राजस्थान से लगती सीमा पर भी ड्रोन की गतिविधियां बढ़ रही हैं।
ड्रोन गिराने के लिए कई राउंड फायर
पाकिस्तान से आने वाले चीन निर्मित ड्रोन के सिस्टम में कई तरह के बदलाव किए जा रहे हैं। बीएसएफ से बचने के लिए ड्रोन की आवाज और उसकी लाइट को बंद कर दिया जाता है। पंजाब से लगते भारत-पाकिस्तान बॉर्डर पर जब घना कोहरा छा जाता है, तब दर्जनों ड्रोन भेजने की कोशिश रहती है। ड्रोन की ऊंचाई ज्यादा होने, कम आवाज और ब्लिंकर बंद होने की वजह से बीएसएफ को ड्रोन गिराने में कई राउंड फायर करने पड़ते हैं। मौजूदा समय में ड्रोन को जवानों के फायर से बचाने के लिए उसकी ऊंचाई बढ़ा दी जाती है। हालांकि इसके बावजूद, बीएसएफ उसे छोड़ती नहीं है।
बीएसएफ ने पंजाब के सीमावर्ती इलाकों में जो ड्रोन गिराए हैं, उनकी लंबाई छह सौ फुट तक रही है। पाकिस्तान से आने वाले ड्रोन के साथ पीले रंग की टेप वाला एक पैकेट भी रहता है। यह रेडियम टेप की तरह दिखती रहती है। इसका इस्तेमाल इसलिए किया जाता है कि अंधेरे या खराब मौसम में वह पैकेट आसानी से नजर आ सके।
25 हजार एमएच की बैटरी वाले ड्रोन
कुछ ड्रोन तो ऐसे भी मिले हैं, जिनमें 25 हजार एमएच की बैटरी लगी थी। मतलब, ऐसे ड्रोन की मदद से 20-25 किलोग्राम सामान कहीं पर पहुंचाया जा सकता है। पहले जो ड्रोन आते थे, उनकी आवाज साफ सुनाई पड़ती थी। साथ ही वह ड्रोन रात को या अल सुबह आता था। उस वक्त ड्रोन की लाइटें नजर आती थीं। इससे बीएसएफ को निशाना लगाने में दिक्कत नहीं आती थी।
अब ड्रोन में बदलाव के चलते बीएसएफ को हर पल सतर्कता बरतनी पड़ती है। बीएसएफ द्वारा उन सभी सीमावर्ती रास्तों पर विशेष टीमें तैनात की गई हैं, जहां से तस्कर, बॉर्डर की तरफ आ सकते हैं। इसका फायदा यह रहता है कि अगर कोई ड्रोन जो बीएसएफ की नजर में नहीं आया हो, लेकिन वह कहीं आसपास ही उतरा है, तो उस स्थिति में बीएसएफ की टीमें उन तस्करों को सामान सहित पकड़ सकती हैं।
अमृतसर के रोरनवाला खुर्द के खेतों में से बीएसएफ ने चीन निर्मित ‘डीजेआई मेविक 3 क्लासिक’ ड्रोन बरामद किया। इसी दिन गांव भरोपाल के खेतों से चीन निर्मित एक ‘डीजेआई मेविक 3 क्लासिक’ ड्रोन और नशीले पदार्थ का पैकेट बरामद किया गया।