यस बैंक से 400 करोड़ की ठगी, 3 साल का फरार, मुंबई पुलिस ने अब पकड़ा

मुंबई: मुंबई पुलिस की आर्थिक आपराधिक शाखा (EOW) ने ग्लोबल टूर और ट्रैवल्स कंपनी कॉक्स एंड किंग्स के मालिक अजय पीटर केरकर के करीबी सहयोगी अजीप पी मेनन को गिरफ़्तार किया है. ये गिरफ़्तारी यस बैंक (Yes Bank) से 400 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी मामले में हुई है. अजीप पी मेनन को 9 अप्रैल को केरल के कोचीन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर गिरफ़्तार किया गया. मेनन यूनाइटेड किंगडम से आए थे. वो इस मामले में 3 साल से वॉन्टेड थे. उनके ख़िलाफ़ EOW द्वारा लुक आउट सर्कुलर जारी किया गया था. अब उन्हें मुंबई ले जाया गया है.

EOW ने फ़रवरी 2021 में यस बैंक से लगभग 400 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के लिए मामला दर्ज किया था. ये मामला कॉक्स एंड किंग्स की सहयोगी कंपनी कॉक्स एंड किंग्स फ़ाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड के ख़िलाफ़ अपराध दर्ज किया गया था. EOW की FIR में केरकर, उनकी पत्नी उर्शिला केरकर और अन्य लोगों को नामित किया गया था. ये FIR यस बैंक के चीफ़ विजिलेंस अफसर आशीष विनोद जोशी की शिकायत पर की गई थी.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक़, केरकर के कहने पर ही मेनन को कंपनी का मैनेजिंग डायरेक्टर नामित किया गया था. लेकिन उनकी ये नियुक्ति रिकॉर्ड में नहीं थी. कॉक्स एंड किंग्स फ़ाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड फ़ॉरेन एक्सचेंज बिजनेस, स्टूडेंट लोन फाइनेंसिंग, छुट्टी फाइनेंसिंग और दूसरी गैर-बैंकिंग वित्तीय सेवाएं देती थी. FIR के मुताबिक़, आरोपियों ने 2018-19 के दौरान कंपनी के अकाउंट बुक में ग़लत और फर्जी खरीदारी और बिक्री लेनदेन रिकॉर्ड बनाया और दिखाया कि कंपनी वित्तीय स्थिति अच्छी है. बैंक का विश्वास हासिल करने के लिए कंपनी ने अपने ग़लत और फर्जी फ़ाइनेंशियल स्टेटमेंट पेश किये.

इसके जरिए आरोपी ने 7 सितंबर 2018 से 1 नवंबर 2019 तक यस बैंक से कर्ज लिया. इसके बाद कर्ज लिए पैसे का बड़ा हिस्सा कथित तौर पर कॉक्स एंड किंग्स लिमिटेड को अपने फायदे के लिए भेज दिया. बैंक से 398.38 करोड़ रुपये का ग़लत तरीक़े से कर्ज लिया गया. EOW के अफसरों ने जांच में पाया कि मेनन के निर्देश पर लोन के पैसे में से 396 करोड़ रुपये कॉक्स एंड किंग्स लिमिटेड को धोखाधड़ी से दिए गए थे.

EOW ने अदालत में CRPC की धारा 164 के तहत कंपनी के प्रमुख सीनियर अफसरों मिलिंद गांधी, रवि मेनन और शैलेश पेडनेकर के बयान भी दर्ज कराए. बताया गया कि मेनन कर्ज के पैसे और कंपनी नीति के सभी लेनदेन संभाल रहे थे. 14 सितंबर 2018 को विदेशी कंपनी यूनाइटेड किंगडम की प्रोमेथॉन एंटरप्राइजेज लिमिटेड के भारतीय स्टेट बैक खाते में ट्रांसफर किए गए थे. EOW अफसरों का मानना है कि मेनन बतौर CEO यूके की कंपनी का कामकाज देख रहे थे. इसलिए ये स्थापित हो गया कि इससे उनको भी फायदा हो रहा था. मेनन के ख़िलाफ़ IPC की धारा 420 (धोखाधड़ी), 406 (आपराधिक विश्वासघात), 465 (जालसाज़ी), 467 (क़ीमती सुरक्षा की जालसाज़ी), 468 (धोखाधड़ी के उद्देश्य से जालसाज़ी), 471 (जाली दस्तावेजों को असली दस्तावेज के रूप में पेश करना) के तहत मामला दर्ज किया गया है.

केरकर कंपनी के सीनियर अफसरों के साथ कई बैंक धोखाधड़ी के मामलों का सामना कर रहे हैं. उन्हें पिछले कुछ सालों में EOW और ED ने कई बार गिरफ़्तार किया है. उनके ख़िलाफ़ आरोप पत्र दायर किया गया था. फिलहाल उन्हें न्यायिक हिरासत में रखा गया है.

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