भारत-चीन तनाव के बीच चीन द्वारा लद्दाख सीमा के पास किया बड़ा युद्धाभ्यास!
युद्धाभ्यास में तोपखाने और गोला बारूद की दिखाई ताकत

बीजिंग: चीन ने लद्दाख से सटे शिनजियांग प्रांत के 5200 मीटर ऊंचे काराकोरम क्षेत्र में बड़ा सैन्य अभ्यास किया है, जिसमें पीपल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने लंबी दूरी की तोपें और अन्य बख्तरबंद वाहन के साथ अपनी धमक दिखाने की कोशिश की है। ये अभ्यास ऐसे समय में हुआ है जब भारत के अरुणाचल प्रदेश को लेकर दोनों देशों के बीच तीखी बयानबाजी देखने को मिली है। चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने अपने एक्स हैंडल पर इस युद्धाभ्यास का वीडियो जारी किया है।
ग्लोबल टाइम्स ने बताया कि शिनजियांग क्षेत्र में स्थित काराकोरम इलाके में चीनी सेना ने लाइव-फायर ड्रिल आयोजत की है। इस अभ्यास के दौरान ऊंचाई वाले मुश्किल भरे हालात में युद्ध की तैयारी के साथ ही दुश्मन को धोखा देने और बख्तरबंद वाहनों की मरम्मत की तैयारियों का भी जायजा लिया गया। इसके साथ ही संचार निगरानी, रडार से टोह लेना और किलेबंदी का निर्माण भी किया। एक्स पर जारी वीडियो में चीनी सेना के टैंकों को गुजरते, तोपों की पोजीशनिंग और फिर फायरिंग करते हुए दिखा गया है।
अरुणाचल पर बाज नहीं आ रहा चीन
अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न हिस्सा है। इस बात को पूरी दुनिया मानती है लेकिन चीन है कि वह सुधरता नहीं। वह इस मुद्दे को लेकर भारत को हमेशा छेड़ता रहता है। चीन दावा करता है कि अरुणाचल उसका क्षेत्र रहा है।
यही नहीं चीन अरुणाचल प्रदेश का नाम ‘जांगनान’ बताता है। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने सोमवार को इस दावे को फिर दोहराया था। चीन का ये टिप्पणी भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर के बयान बाद आई है। जयशंकर ने अरुणाचल प्रदेश को अहम हिस्सा बताते हुए कहा था कि चीन का दावा आधारहीन और झूठा है।
चीन बताता है दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा
भारत के अरुणाचल प्रदेश को चीन दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा कहता है। चीन यहां पर भारतीय नेताओं के दौरे का भी विरोध करता है। हाल की दिनों में पीएम मोदी ने सेलांग में रणनीतिक महत्व की सुरंग का उद्घाटन किया था, जिस पर चीन ने ऐतराज जताया था। चीन को आपत्ति को भारत ने बेतुका बताते हुए खारिज कर दिया था। खास बात ये है कि चीन जिस तिब्बत को अपना कहता है, उस पर चीन ने खुद ही 1050 में हमला बोलकर कब्जा कर लिया था। कब्जे के 8 साल बाद तिब्बत के सर्वोच्च नेता दलाई लामा ने भागकर भारत आ गए थे। उसके बाद से ही चीन भारत से चिढ़ा रहता है।