अमेरिका की यूनिवर्सिटीज में फिलिस्तीन के समर्थन में हो रहे प्रदर्शन

भारत बोला- मामले पर हमारी नजर, एम्बेसी भारतीय छात्रों के संपर्क में

न्यूयॉर्क: अमेरिका की यूनिवर्सिटीज में फिलिस्तीन के समर्थन में प्रदर्शन बढ़ता जा रहा है। कोलंबिया, लॉस एंजिल्स और ऑस्टिन समेत देशभर के 25 विश्वविद्यालयों में ये प्रदर्शन जारी हैं। न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक अब तक 100 से ज्यादा छात्र गिरफ्तार किए जा चुके हैं। ये गाजा में इजराइल के हमले रोकने की मांग कर रहे हैं। विरोध प्रदर्शन दबाने के लिए US नेशनल गार्ड को लाने की भी संभावना जताई गई है।

अमेरिका में नेशनल गार्ड्स की तैनाती बड़े खतरों से निपटने के लिए की जाती है। बुधवार को प्रदर्शन बढ़ने से छात्रों और पुलिस के बीच झड़प हुई। इस दौरान टेक्सास यूनिवर्सिटी में 34 स्टूडेंट्स और सदर्न कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी में 93 छात्रों को गिरफ्तार कर लिया गया। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों के टेंट उखाड़ दिए।150 प्रदर्शनकारियों को कॉलेज से निकालने की चेतावनी दी गई।

गुरुवार (25 अप्रैल) को वीकली ब्रीफिंग में भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा है कि हर लोकतंत्र में “अभिव्यक्ति की आजादी, जिम्मेदारी की भावना , सार्वजनिक सुरक्षा और व्यवस्था के बीच सही संतुलन” होना चाहिए। जायसवाल ने कहा “हम सभी को इसी बात पर आंका जाता है कि हम घर पर क्या करते हैं, न कि इस आधार पर कि हम विदेश में क्या कहते हैं।” भारत अमेरिकी यूनिवर्सिटीज में हो रहे प्रदर्शनों पर अपनी नजर बनाए हुए हैं। इंडियन एम्बेसी भारत के छात्रों के साथ संपर्क में हैं। जब भी किसी मुद्दे को हल करने की आवश्यकता होगी, तो भारत उस पर विचार करेगा।

नेतन्याहू बोले- ये यहूदी विरोधियों का कब्जा
दूसरी तरफ, इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने पहली बार इन प्रदर्शनों पर बयान जारी किया। उन्होंने कहा, “अमेरिकी यूनिवर्सिटी में इजराइल की जंग के खिलाफ हो रहे प्रदर्शन भयानक रूप ले रहे हैं। यहूदी विरोधियों ने विश्वविद्यालयों पर कब्जा कर लिया है। वे इजराइल को मिटाना चाहते हैं। यहूदी छात्रों और प्रोफेसरों को निशाना बनाया जा रहा है। इन्हें तुरंत रोकने की जरूरत है।”

वहीं, दुनिया भर के विश्वविद्यालयों से प्रदर्शन कर रहे छात्रों को समर्थन मिल रहा है। अमेरिका के प्रदर्शनों के बाद मिस्र की काहिरा युनिवर्सिटी, पेरिस, सिडनी और ऑस्ट्रेलिया में भी प्रोटेस्ट शुरू हो गए हैं।

‘बाइडेन प्रदर्शनों के खिलाफ कार्रवाई करें’
प्रदर्शन के बीच अमेरिकी संसद के स्पीकर माइक जॉनसन भी कोलंबिया यूनिवर्सिटी पहुंचे। उन्होंने व्हाइट हाउस से प्रदर्शनों को लेकर कार्रवाई की मांग की। साथ ही हाउस स्पीकर ने कोलंबिया यूनिवर्सिटी की प्रेसिडेंट से इस्तीफा मांगा। जॉनसन के संबोधन के दौरान छात्रों ने फिलिस्तीन के पक्ष में नारे भी लगाए।

दरअसल, पिछले कुछ समय से अमेरिका की टॉप यूनिवर्सिटीज में इजराइल और फिलिस्तीन के समर्थक छात्र लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं। 18 अप्रैल को न्यूयॉर्क पुलिस डिपार्टमेंट ने 100 से ज्यादा फिलिस्तीन समर्थक छात्रों को कॉलेज कैंपस से गिरफ्तार किया था।

कोलंबिया यूनिवर्सिटी से लेकर न्यूयॉर्क युनिवर्सिटी तक ​फिलिस्तीन के समर्थन में प्रदर्शन करने वाले संगठनों की मांग है कि यूनिवर्सिटीज उन कंपनियों से अलग हो जाएं, जो इजराइल से लाभ कमाती हैं।
न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी में प्रदर्शनों का नेतृत्व NYU फिलिस्तीन सॉलिडेरिटी कोइलिशन कर रहा है। ये छात्र चाहते हैं कि यूनिवर्सिटी का तेल अवीव कैंपस बंद किया जाए, क्योंकि यहां फिलिस्तीनी छात्रों को एडमिशन नहीं दिया जाता है।

मिस्र बॉर्डर तक पहुंची इजराइल-हमास जंग
इजराइल-हमास जंग के 6 महीने बाद जंग अब मिस्र बॉर्डर के करीब गाजा के राफा शहर में पहुंच गई है। इजराइल की कार्रवाई से बचते हुए लोगों ने उत्तरी गाजा छोड़कर यहां शरण ली थी। कतर के मीडिया हाउस अलजजीरा के मुताबिक इस इलाके में 10 लाख से ज्यादा लोग रहते हैं। अब इजराइल की सेना यहां भी घुसपैठ की योजना बना रही है। जंग में अब तक 34 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। इनमें 14,500 बच्चे शामिल हैं।

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