I.N.D.I-A गठबंधन ने शक्ति प्रदर्शन के साथ विपक्ष को दिया पूरी एकजुटता का संदेश

रामलीला मैदान में विपक्षी रैली से निकले 5 बड़े संदेश

नई दिल्ली: देश में आम चुनावों की रणभेरी बजने के बाद दिल्ली के ऐतिहासिक रामलीला मैदान में रविवार को हुई विपक्षी खेमे इंडिया गठबंधन की ‘लोकतंत्र बचाओ’ रैली में देश के तमाम विपक्षी नेताओं की हुई जुटान से जहां एक ओर मौजूदा चुनाव की स्वतंत्रता व निष्पक्षता को लेकर अपनी चिंता जाहिर की गई तो वहीं दूसरी ओर समूचा विपक्ष एकजुट होकर पीएम मोदी नीत एनडीए गठबंधन को चुनौती देता नजर आया।

‘पिछले 75 वर्ष में दिल्ली के लोगों ने अन्याय झेला: अरविंद केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल ने विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A की रैली में जेल से दिए अपने पति का संदेश पढ़ते हुए कहा कि भारत माता पीड़ा में हैं और यह अत्याचार नहीं चलेगा। शीर्ष विपक्षी नेता ‘लोकतंत्र बचाओ’ रैली के लिए रामलीला मैदान में एकत्र हुए। सुनीता केजरीवाल ने कहा, ‘पिछले 75 वर्ष में दिल्ली के लोगों ने अन्याय का झेला है। अगर ‘इंडिया’ गठबंधन सत्ता में आता है तो हम दिल्ली को पूर्ण राज्य बनाएंगे।’

रैली में विपक्षी नेताओं ने अपने तीखे तेवरों से कहीं न कहीं सत्तारूढ़ दल को संदेश देने की कोशिश की कि पीएम मोदी के ‘अबकी बार, 400 पार’ के नारे से सजे विजय रथ को रोकने के लिए इंडिया गठबंधन पूरी तरह से तैयार व एकजुट खड़ा है। वहीं समूचे विपक्ष ने लोकतंत्र को बचाने के लिए देश के सामने पांच सूत्रीय मांग रखी, जिसे कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने पेश किया। इसके तहत चुनाव आयोग इस चुनाव में सबके समान अवसर सुनिश्चित करे और सरकार द्वारा विपक्ष के खिलाफ एजेंसियों की कार्रवाई पर रोक, दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल और झारखंड के सीएम की तत्काल रिहाई, राजनीतिक दलों के आर्थिक स्रोतों को बंद न किया जाए, चुनावी बांड की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में एसआईटी का गठन व चुनाव आयोग को स्वतंत्र रूप से काम करने देने की मांग की गई।

इसी के साथ सभी दलों ने बीजेपी के खिलाफ एकजुटता से संघर्ष करने का संकल्प भी सामने रखा। हालांकि इस रैली में विपक्षी खेमे के बीच कुछ उलझन भी दिखाई दी। जैसे टीएमसी के नेता लेफ्ट के साथ दिखने से बचते नजर आए तो वहीं टीएमसी व एसपी के नेता इस रैली के आयोजन के लिए आम आदमी पार्टी की बात करते और कांग्रेस का नाम लेने से बचते दिखे।

विपक्ष का शक्ति प्रदर्शन
रविवार को रामलीला मैदान की रैली के विशाल मंच पर जिस तरह से विपक्षी खेमे के तमाम बड़े नेताओं का जमावड़ा दिखा, वह कहीं न कहीं विपक्ष के सफल शक्ति प्रदर्शन की कोशिश के तौर पर सामने आया। कांग्रेस सहित तमाम दलों की टॉप लीडरशिप, पंजाब व झारखंड जैसे राज्यों के सीएम, टीएमसी नेता ममता बनर्जी व डीएमके चीफ एम के स्टालिन जैसे शीर्ष नेतृत्व की गैरमौजूदगी में प्रतिनिधियों का जुटान और दोनों गिरफ्तार मुख्यमंत्रियों की पत्नियों ने एकसाथ मंच पर पहुंचकर कहीं न कहीं अपनी ताकत दिखाने की कोशिश की। सीपीएम नेता सीताराम येचुरी ने इस रैली की तुलना लगभग 47 साल पहले जेपी नारायण के आह्वान पर इसी रामलीला मैदान में इमरजेंसी के खिलाफ हुई ऐतिहासिक रैली से कर डाली।

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