ऊंचाहार और सरेनी में आग ने मचाई तबाही, आठ घर जलकर राख

रायबरेली(उत्तर प्रदेश): रायबरेली जिले में आग की घटनाएं नहीं थम रही हैं। रविवार को आग ने ऊंचाहार और सरेनी क्षेत्रों में खूब तबाही मचाई। एक के बाद एक आठ घर जलकर राख हो गए। अग्निकांड में घरों में रखी नकदी, कपड़ा, अनाज समेत छह लाख का नुकसान हुआ। आग बुझाने के दौरान चार लोग और दो मवेशी भी झुलस गए। काफी मशक्कत के बाद आग पर काबू किया जा सका।
ऊंचाहार के पूरे छेदी मजरे कोटिया चित्रा गांव में रविवार की दोपहर गांव निवासी श्यामलाल के दरवाजे पर रखे छप्पर में अचानक आग लग गई। हवा के झोंके से आग ने विकराल रूप धारण कर लिया। इस बीच आग की लपटे पड़ोसी रज्जू के घर तक पहुंच गईं। ग्रामीणों ने कड़ी मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया। आग बुझाने के दौरान गांव निवासी विजय कुमार (24), दिलीप (22), रावेंद्र (17) व रूबी (19) झुलस गए।
आग लगने से श्यामलाल के घर में रखा अनाज, कपड़े, बिस्तर सहित खाने पीने का सामान जल गया। जबकि रज्जू के घर का सामान भी जल गया। ग्राम प्रधान नरेंद्र यादव की सूचना पर लेखपाल हनुमंत प्रसाद ने घटना का निरीक्षण किया। एसडीएम सिद्धार्थ चौधरी ने बताया कि आग लगने की सूचना पर लेखपाल को भेजा गया है। रिपोर्ट मिलने पर नियमानुसार मदद दिलाई जाएगी।
इसी तरह सरेनी थाना क्षेत्र के पूरे सुकुरु मजरे कोटिया एहतमाली गांव में दोपहर के वक्त सरोजा पत्नी मनोज के घर में अचानक आग लग गई। इससे अफरातफरी मच गई। लोग मौके पर लोग दौड़े और आग बुझने लगे लेकिन सरोजा के घर से सटे राम अवतार का छप्पर भी आग की चपेट में आ गया। इससे सरोजा की बाइक और राम अवतार की गृहस्थी व दो मवेशी झुलस गए।
आग ने हरिश्चंद्र, बाबूराम, मालती, मनीराम के घरों को भी चपेट में ले लिया। सभी के छप्पर व गृहस्थी का सामान जल गया। सूचना पर पहुंची फायर ब्रिगेड ने आग को बुझाया। लेखपाल अमर सिंह ने बताया कि सरोजा को तिरपाल उपलब्ध कर दिया गया है। आग से हुए नुकसान का आंकलन कर लिया गया है। अग्नि पीड़ितों की आर्थिक मदद की जाएगी।
ग्रामीणों ने बढ़ाए मदद के लिए हाथ
अग्नि पीड़ितों की मदद के लिए ग्रामीणों ने हाथ बढ़ाए। किसी ने राशन तो किसी ने पीड़ित परिवारों के लिए कपड़े की व्यवस्था की। तहसील प्रशासन के अधिकारियों का दावा है कि जल्द ही पीड़ित परिवारों को आर्थिक मदद दिला दी जाएगी।
खुले आसमान के नीचे आ गए लोग
आग से लोगों के घरों की गृहस्थी जलकर राख हो गई। आग का कहर इस कदर था कि लोगों के खानपान की सामग्री तक नहीं बच पाई। लोग आग बुझाने के लिए मशक्कत करते रहे, लेकिन चल रही हवा से आग की लपटें अधिक थी। इससे लोगों को आग बुझाने में परेशानी का सामना करना पड़ा। गनीमत रही कि ऊंचाहार और सरेनी में लोगों की मदद से जल्दी आग पर काबू पा लिया गया। घरों के जलने से लोग खुले आसमान के नीचे आ गए हैं।